श्री अटल बिहारी वाजपेयी आजातशत्रु राजनेता और राष्ट्रीयता के संवाहक
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टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर,
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,
झरे सब पीले पात,
कोयल की कुहुकरात,
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं,
गीत नया गाता हूं।।
वेबडेस्क। नवसृजन और नव उत्थान के स्वप्नदृष्टा भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री और आजातशत्रु राजनेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की आज जन्म जयंती है। भारत निर्माण के दृष्टा श्रद्धेय अटल जी को शत्-शत् नमन।
भारतीय राजनीति और सार्वजनिक जीवन में वेऐसे महापुरुष थे जिनका कोई आलोचक नहीं था। वे सबके प्रिय थे और सबके अपने थे। उनका व्यक्तित्व विविध आयामों से भरा था। वे श्रेष्ठतम कवि, मौलिक विचारक, दूरदृष्टा, सफल पत्रकार और आजातशत्रु राजनेता थे। वे स्व-भाषा, स्व-राष्ट्र, स्व-संस्कृति और स्व-चिंतन के लिए जिये। वे अतिसंवेदनशील थे उनका व्यक्तित्व यदि पुष्प सा सुकोमल था तो वज्र सा कठोर भी उन्होंने नीतियों, निर्णयों और सिद्धांतों से कभी कोई समझौता नहीं किया।
वे राजनीति में एक आदर्श थे।संघ के स्वयं सेवक के रूप में, राष्ट्र धर्म के संपादक के रूप में तथा जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी में उन्होंने कार्यकर्ताओं की पीढ़ियां तैयार की हैं। मैं सौभाग्यशाली हूं कि उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। राजनीति की रपटीली राहों में कैसे कोई कार्यकर्ता अपने संकल्प की ओर आगे बढ़े यह मैंने अटल जी से ही सीखा है। वे देशभक्ति व भारतीय संस्कृति की प्रखर आवाज थे। वह एक राष्ट्र समर्पित राजनेता होने के साथ-साथ कुशल संगठक भी थे। उन्होंने भाजपा की नींव रखने और उसके विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई और करोड़ों कार्यकर्ताओं को देशसेवा के लिए प्रेरित किया।
श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन राष्ट्र निर्माण और सेवा के लिए समर्पित था। अटल जी सदैव कहा करते थे कि जो राष्ट्र और समाज के काम आये, वही जीवन सार्थक है। उनके जीवन का हर क्षण लोक कल्याण के लिये समर्पित था। वे अपनी वाणी, विचार, कर्म, ज्ञान और कविताओं के माध्यम से आज भी हमारे बीच हैं।
उनका प्रत्येक वाक्य, कार्यकर्ता के लिए मानों मार्गदर्शन होता था। आज यदि भारतीय जनता पार्टी विश्व भर में अपना गौरव प्राप्त कर रही है तो उसमें अटल जी की श्रम और साधना बहुत महत्वपूर्ण है। वे जहां रहे, उन्हें जो दायित्व मिला उन्होंने उसमें कीर्तिमान बनाए। वे जब 1977 में विदेश मंत्री बने तो भारत के वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया।
माननीय अटल जी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में देश ने पहली बार सुशासन की कल्पना को चरितार्थ होते देखा है। जहां उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना जैसे विकासशील कार्य किए तो वहीं पोखरण परीक्षण और कारगिल विजय से विश्वपटल पर एक मजबूत भारत की नींव रखी। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी श्रद्धेय अटल जी के विचारों को केंद्र में रखकर सुशासन व गरीब कल्याण के मार्ग पर अग्रसर हैं। अपनी मूल्यपरकराजनीति और प्रबुद्ध विचारों व हृदयस्पर्शी कविताओं से जन-जन के प्रेरणास्रोत रहे। अटल जी उदीयमान भारतीयता और राष्ट्रीयता के नायक व संस्कृति के वाहक थे। उनकी रचनाओं में राष्ट्र की आत्मा है, सभ्यता का गौरव है।
वे राजनीति को राष्ट्र निर्माण का एक मार्ग मानते थे और राष्ट्र को कोई भूखंड अथवा धरती का टुकड़ा नहीं बल्कि एक सजीव प्रतिमान मानते थे। उन्होंने कहा था किभारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता-जागता राष्ट्रपुरुष है। हिमालय इसका मस्तक है, गौरी शंकर शिखा है। कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल बाहुएं हैं। दिल्ली दिल है। विंध्याचल कटि है, नर्मदा करधनी है। पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघाएं हैं। कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है। पावस के काले-काले मेघ इसके कुंतल केश हैं। चांद और सूरज इसकी आरती उतारते हैं। यह वंदन की भूमि है, अभिनंदन की भूमि है। यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है। इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिंदु-बिंदु गंगाजल है। हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए।
राष्ट्र सर्वोपरि के दृष्टा राष्ट्रपुरुष अटल जी ने अपने दूरदर्शी नेतृत्व से देश को विकास की अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। एक सशक्त और समृद्ध भारत निर्माण के लिए उनके प्रयासों को सदैव स्मरण किया जाएगा।हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत आज यदि नए प्रतिमान गढ़ रहा है तो उसमें माननीय अटलजी की प्रेरणा शक्ति भी शामिल है।एक बार पुनः श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को कोटि कोटि वंदन...।
(लेखक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)