राजनीति में उच्च मूल्यों को जीने वाले प्रखर जननायक थे अटल जी
वेबडेस्क। भाव प्रवण कविताएं लिखने वाले भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 25 दिसम्बर को जयंती है। विश्वास नहीं होता कि भारतीय लोकतंत्र के प्रखर जननेता एवं अपने संसदीय जीवन से मान मर्यादा एवं सार्वजनिक जीवन मूल्यों का पाठ पढ़ाने वाले अटल जी हमारे बीच नहीं है, कहते हैं आत्मा अजर अमर है सो निसंदेह अटल जी का महान व्यक्तित्व एवं दिव्य आत्मा हमेशा ही देश दुनिया के नागरिकों को प्रेरक जीवन मूल्यों की ओर प्रेरित करती रहेगी, मित्रों पूरा भारत कभी नहीं भूल पाएगा कि हमारे प्रिय अटल जी 93 वर्ष के गरिमापूर्ण राजनैतिक जीवन के बाद हम सब से विदा हुए थे, आज अपने जन्मदिवस पर वे भारतवासियों के बीच भले न हों मगर उनका आचार विचार और जीवन दर्शन भारतीय संसदीय इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है, यह इतिहास हमारे वर्तमान और भावी जनप्रतिनिधियों के लिए कुशल मार्गदर्शक बन गया है , सत्ताओं को झकझोर देने वाली वो अटल आवाज हमेशा के लिए हमारे संसदीय और राजनैतिक इतिहास की अमूल्य धरोहर बन गई है।
संसद में मान मर्यादा, गरिमा और सरोकारों की राजनीति का कई दशकों तक झंडा लहराने वाले भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रतिष्ठावान राजनेता थे। आज सवा सौ करोड़ लोगों वाले देश में वाजपेयी एक ऐसे नेता थे जो हर दिल अजीज थे और दलों की सीमाओं से कहीं दूर जन जन के प्रिय थे। अपनी गरिमामय राजनैतिक शैली और राजनीति में कमर से नीचे वार न करने की कसम उन्होंने कभी नहीं तोड़ी। आगे अटल जैसा राजनेता होना राजपथ पर चलने वालों का एक सुनहरा सपना होगा। देश की संसद और विधायिका अटल जैसे जनप्रतिनिधि का हमेशा इंतजार करती रहेगी।
असल में अटल होना आसान नहीं होता है। अटल वही हो सकता है जो विचार पर अटल हो, व्यवहार में अटल हो, विनम्रता में अटल हो, नैतिकता में अटल हो। भारत में अटल वही बनता है जिसकी राजनैतिक शुचिता अटल हो, जिसके सिद्धांत अटल हों और हमेशा अटल रहने वाले जीवन मूल्य हों।
मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी का पुस्तैनी पुराना सामान्य सा घर भारतीय लोकतंत्र की ताकत का दस्तावेज है। शिन्दे की छावनी कमल सिंह का बाग नामक एक संकरे मोहल्ले में रहने वाले एक ब्राहमण परिवार के बेटे अटल बिहारी वाजपेयी एक गरिमापूर्ण राजनैतिक हस्ती बनेंगे किसने सोचा था। न उनके परिवार ने इस बेटे में भारतीय राजनीति का ओजस्वी सूरज देख पाया होगा न पड़ोसी उसके कृतित्व को समझ पाए होंगे। ये संभव ही नहीं होता। ऐसी दिव्यदृष्टि लोगों को मिल जाती तो क्या नहीं होता मगर आगे बड़ते कदम जीवन की दिशा बता जाते हैं।
ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी उन अनवरत राजनेताओं में से थे जिन्होंने नेहरु से लेकर भारत के कई प्रधानमंत्रियों को सत्ता में बैठते और उतरते देखा था। कवि हृदय अटल बिहारी वाजपेयी आचार विचार, संस्कार और सिद्धांत की राजनीति करने वाले जननेता थे। अटल बिहारी वाजपेयी चाहे जब 2 सांसद के नेता हों या फिर 1996, 1998, 1999 में भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले नायक हों उनका व्यवहार और तेवर कभी नहीं बदले। राजनीति में वे समय दर समय कभी विपक्ष कभी पक्ष सहित तमाम अलग अलग कर्तव्य और भूमिकाओं में रहे मगर उनके अंदर बिन बाधा के निरंतर ही भावनाशील कवि हृदय सदा बना रहा।
जननायक अटल बिहारी वाजपेयी लंबे संसदीय जीवन की यात्रा करते हुए 90 के दशक में पहले 13 दिन के लिए सत्ता में आए और विश्वासमत पर सत्य की भाषा बोलकर देशवासियों को प्रभावित और प्रेरित कर गए। उन्हें देश से आगे इतना अधिक प्रेम और दुलार मिला कि आम चुनाव के बाद अटल जी पर्याप्त लोकसभा सीटें लाकर गठबंधन सरकार के नायक बने। 1998 में देश के विभिन्न मत मतांतर वाले 13 दलों को साथ जोड़कर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने देशहित में बेहतर सरकार चलाई।
उनकी इस सरकार के खिलाफ आया विश्वासमत सिर्फ एक वोट से गिरा जिसे वे आसानी से जीत सकते थे मगर अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत ही कुछ ऐसी रही जिसमें समझौते की राजनीति की कभी कोई गुंजाइश नहीं थी।आगे अधिक जनमत और अधिक बहुमत से 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी भारत देश के प्रधानमंत्री बने ,लाल किले पर कवि हृदय प्रधानमंत्री अटलजी का देश को संबोधन भारत के करोड़ों लोगों की यादों में आज तक है। वे देश को विकास की राह दिखाते चले गए। सबका साथ, सबका विकास अटल के नेतृत्व में भारत ने देखा। किसी कवि का भारत के सबसे बड़े जनता सिंहासन पर बैठना हर भारतवासी के लिए गर्व का विषय बना।
केन्द्र में 13 दलों की गठबंधन सरकार के साथ अटल बिहारी वाजपेयी के समय में भारत ने पोखरन विस्फोट करके पूरी दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराया। तमाम अमरीकी प्रतिबंधों के बाबजूद भारत ने पोखरन विस्फोट के शौर्य पर डटे रहकर पूरी दुनिया में अपना डंका बजवाया। अटल कवि हृदय पहले थे राजनेता बाद में। वे पाकिस्तान से शांति और मैत्री के संबंध चाहते थे। लाहौर यात्रा में वे बस से शांति का पैगामा लेकर गए थे और नवाज शरीफ से अमन की बात पर गले मिले थे मगर परवेज मुसर्रफ जैसे सेनानायक पाकिस्तान को अमन की बजाय कारगिल के किनारे ले गए। तब अंतर्मन से क्षुब्ध अटल ने उस वक्त राष्ट्र के नाम भावुक संदेश में कारगिल के गुनाहगारों को न भूलने वाला संदेश देने की बात कही थी।
इसके बाद पूरे देश ने देखा। कश्मीर घाटी से कारगिल की ओर निरंतर तोपें गरजीं और आखिरकार टाइगर हिल पर भारत का तिरंगा फहरा दिया गया। अटल के कार्यकाल में स्वर्णिम चर्तुभुज और पूर्व पश्चिम गलियारा, उत्तर दक्षिण गलियारा आधारभूत सौगातें रहीं। भारत के लाखों गांवों को पक्की सड़क देने वाले वे पहले प्रधानमंत्री रहे। आज भी अटलजी के समय की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना गांव गांव की आबादी को पक्की सड़क की सौगातें दे रही है। उनके कार्यकाल में राजनैतिक मूल्य अपने श्रेष्ठ रुप में रहे। संसद में तब भी बहस होती रहीं मगर कमर के नीचे वार न करने की परिपाटी उनके समय में सबसे मजबूत बनी रही।
अटल जनसंघ से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक की यात्रा तक निरंतर शिखर नेता रहे मगर उनके लिए आदर्श और सिद्धात सर्वोच्च शिखर पर रहे। वर्तमान प्रधानमंत्री और तब के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अटलजी के प्रति अनन्य श्रद्धा रखते हैं एवं उन्हें अपनी प्रेरणा मानते हैं।
अटल एक अनवरत यात्रा हैं जिसके हजारों पड़ाव हैं।ये पड़ाव विश्वास के पड़ाव हैं। ये आत्मविश्वास दिलाते हैं कि हम कहीं बढ़ रहें हैं और पहुंच रहे हैं। चलना कहीं पहुंचना नहीं होता। अटलजी पर सरोकार और सिद्धांत रहे हैं जो देशवासियों को मान मर्यादा सिखाते रहे हमेशा। उनका जीवन और राजनैतिक मूल्य देश के समस्त राजनेताओं के लिए अनुकरणीय हैं। अटल सबके प्रिय थे और सब अटल संदेह अटल भारतीय राजनीति के दिव्य सूर्य हैं, वे सबको ठंडक और शीतलता देने वाले चंद्रमा हैं। सांसों के आने जाने से सूरज और चंदा की प्रतिष्ठा प्रभावित नहीं होती। अटल भारत और भारतवासियों के लिए सूरज और चंदा जैसे अजर अमर अटल बने रहेंगे। अटल राजनीति की गरिमा स्थापित करने वाली शख्यिसत थे और हमेशा रहेंगे लेखक स्वतंत्र टिप्पणी कार है