हल्कू मिस्त्री, पेशवा की बेटी समेत 450 की शहादत उकेरने वाले आजाद साहब
- गुमनाम क्रांतिकारी व स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की बनाई 450 से ज्यादा पेंटिंग
देश के स्वाधीन हुए 75 साल हो गए हैं और हम इस वर्ष स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहे हैं लेकिन ऐसे कई गुमनाम शहीद हैं जिनके बारे में नई पीढ़ी नहीं जानती है । शिवपुरी के चित्रकार आजाद खान ऐसे शख्स रहे हैं जिन्होंने गुमनाम शहीदों के बारे में लोगों को अपने खर्चे पर तस्वीरे बनाकर जागरूक किया। ग्वालियर अंचल के ऐसे कई गुमनाम शहीद रहे जिनके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन चित्रकार आजाद खान ऐसे गुमनाम शहीदों की पेंटिंग बनाते थे और अपनी इस पेंटिंग को खुद के पैसे खर्च कर प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों के सामने लाते थे। सन् 1857 की क्रांति के वीर शहीद तात्या टोपे के बलिदान दिवस पर आयोजित होने वाले शहीद मेले में चित्रकार आजाद खान अपने पैसे से पेंटिंग लगाते थे जिसमें आजाद खान इस अंचल के कई गुमनाम क्रांतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में पूरी जानकारी इतिहास की पुरानी किताबों और लेखों के माध्यम से एकत्रित करते और फिर उनके चित्र बनाते। गुमनाम शहीदों की इन पेटिंग को प्रदर्शनी के माध्यम से आजाद खान सबके सामने लाते थे। शिवपुरी के पर्यटन स्थलों को लेकर भी आजाद खान ने कई पेंटिंग बनाई। इसके अलावा साइकिल से शिवपुरी से नेपाल तक की भी यात्रा की थी। जिसके लिए तत्कालीन राज्यपाल द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया था।
खुद के पैसे से लगाते थे प्रदर्शनी-
चित्रकार आजाद खान लोनिवि में बतौर मानचित्रकार काम करते थे। वर्ष 2009 में यह रिटायर हो गए थे। इसके बाद इन्होंने गुमनाम क्रांतिकारियों और देश पर जान न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सैनानियों के 450 से अधिक चित्र बनाए हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जिनके बारे में कई लोगों को जानकारी नहीं है।
हल्कू राम मिस्त्री, शहादत खान, नाना साहब पेशवा की बेटी मैना आदि करीब 450 से ज्यादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी क्रांतिकारी और गुमनाम नायकों के चित्र आजाद खान ने बनाए हैं।
इसके अलावा आजाद हिंद फौज के सेनानियों के बारे में भी पूरी जानकारी के साथ उनके चित्र बनाए। रंगों को चित्र में ढालकर अपनी बात रखने वाले चित्रकार आजाद खान स्वयं के पैसे से यह प्रदर्शनी लगाते थे। शिवपुरी में तात्याटोपे शहीद मेला, मानस भवन में 15 अगस्त व 26 जनवरी पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम सहित अन्य स्थानों पर आजाद खान ने यह प्रदर्शनियां लगाईं। आजाद खान अपने पैसे यह प्रदर्शनी स्वयं के खर्चे पर लगाते थे। 30 अप्रैल 2021 को आजाद खान का निधन हो गया।
बेटों ने संभालकर रखीं हैं पिता की विरासत-
30 अप्रैल वर्ष 2021 में आजाद खान के निधन के बाद अब उनके बेटे युसूफ खान उर्फ मोनी और साहिब खान ने अपने पिता के द्वारा शहीदों के बनाए गए चित्रों को संभालकर रखा है। फिजीकल रोड पर रहने वाले उनके बेटे युसूफ खान कहते हैं उनके पिता स्वयं के पैसे से गुमनाम शहीदों व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र बनाते थे जिससे नई पीढ़ी शहीदों के बारे में जान सके। उनका कहना है कि उनके पिता आजाद खान का 30 अप्रैल 2021 में निधन हो गया। इसके बाद कोरोना काल आ गया जिसके कारण वह दो वर्ष से कोई भी प्रदर्शनी नहीं लगा पाए। दूसरे बेटे साहिब खान का कहना है कि पिता के बनाए गए चित्र वह अपने खर्चे पर अन्य जगह व प्रदर्शनियों में लगाएंगे जिससे उनके पिता के बनाए गए चित्रों को नई पीढ़ी देखे और गुमनाम शहीदों के बारे में जान सके।