विपक्ष विकल्प तैयार करने से पहले अपना एजेंडा प्रस्तुत करे : अनिल बलूनी
नईदिल्ली/वेब डेस्क। राज्यसभा सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने हाल ही में अपने एक ट्वीट से उत्तराखंड की राजनीति में खलबली मचा दी थी। यह ट्वीट कांग्रेस के किसी बड़े प्रभावशाली नेता का भाजपा में शामिल होने को लेकर था। लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने जैसे ही भाजपा का दामन थामा, तब जाकर उत्तराखंड के कांग्रेसी नेताओं की जान में जान आई। वरना पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से लेकर तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, कांग्रेस नेता मनीष खंडूड़ी समेत कई वरिष्ठ कांग्रेसियों के बारे में पता लगाया जाने लगा कि वे कहां मौजूद हैं। हाल के कुछ सालों में अनिल बलूनी के कद और कार्य करने के दायरे में निरंतर विस्तार हुआ है। स्वभाव से शांत, मिलनसार और वाक्चातुर्य जैसे गुण बलूनी को औरों से अलग बनाते हैं। यही कारण है कि पार्टी का उन पर भरोसा निरंतर बढ़ता जा रहा है। मीडिया विभाग का प्रभार संभालने के साथ-साथ वे पार्टी की अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय रहते हैं। उनकी सक्रियता के चलते उत्तराखंड के संभावित मुख्यमंत्री बनने में उनका नाम भी सामने आता रहा है। के न्द्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में भी उनके नाम की चर्चा थी लेकिन उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर फिलहाल पार्टी ने उन्हें संगठन में बनाए रखना ही उचित समझा। श्री बलूनी ने शनिवार को पार्टी की एक महत्वपूर्ण आभासी बैठक में व्यस्तता के बावजूद 'स्वदेश' से विस्तार से बातचीत की। वर्तमान में राजनीति की दिशा व दशा से लेकर विपक्ष की अवसरवादिता सहित अनेकों मुद्दों पर उन्होंने खुलकर बातचीत की।
कश्मीर मसले पर गुपकार गठबंधन की बैठक
मंत्रिमंडल विस्तार से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक स्थिरता के लिए गुपकार गठबंधन के नेताओं के साथ बातचीत को अनिल बलूनी ने मील का पत्थर बताया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल से जम्मू-कश्मीर में आशातीत माहौल बनेगा। कुछेक मुद्दों पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती असहमत दिखीं लेकिन यदाकदा वे भी राज्य की राजनीतिक धारा में लौट आएंगी। हालांकि गुपकार नेताओं की कथनी और करनी में अंतर रहता है। वे जम्मू-कश्मीर में कुछ बोलते हैं जबकि दिल्ली आते ही उनकी भाषा बदल जाती है। बैठक में परिसीमन प्रक्रिया बड़ा मुद्दा था। अगले वर्ष जम्मू-कश्मीर में एक चुनी हुई सरकार आपको देखने को मिलेगी।
लक्ष्यविहीन हैं राष्ट्रमंच के नेता
पिछले दिनों राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के दिल्ली स्थित आवास पर 'राष्ट्रमंच' की बैठक को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। बैठक में विपक्ष के कई नामचीन नेताओं ने भाग तो लिया लेकिन कोई सार नहीं निकला। इस पर श्री बलूनी का मानना है कि राष्ट्रमंच की बैठक अगर देश हित में हुई है तो यह स्वागत योग्य है। इसके लिए विपक्ष के नेताओं को एजेंडा प्रस्तुत करना चाहिए। लेकिन केवल विरोध के लिए विरोध का कुनबा इकट्ठा किया जाए, यह बात लोगों के गले नहीं उतरती। विपक्ष इससे पहले भी एकजुटता के प्रयास कर चुका है। कर्नाटक में बेमेल गठबंधन की कुमारस्वामी सरकार बनी। उसका हस्र लोगों ने देखा। यह अपने ही अंतर्विरोधों के कारण धराशायी हो गई। मेरा मानना है कि विपक्षी दल केवल प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ एकजुट होने का दिखावा करते
हैं।
महाविकास अघाड़ी गठबंधन सरकार से लोगों में निराशा
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के कामकाज पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में श्री बलूनी ने कहा कि घटक दलों के नेता व मंत्री सवालों के घेरे में है। केवल भाजपा को रोकने के लिए अस्तित्व में आए इस बेमेल गठबंधन के पास न तो कोई स्पष्ट नीति है और न ही साफ नीयत। हाल ही में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत के कई मायने निकाले जा रहे हैं। आप इस मुलाकात को किस नजरिए से देखते हैं? अनिल बलूनी ने इसके जवाब में कहा कि महाविकास अघाड़ी के घटक दलों वैचारिक समानता न होने के कारण आपस में ही उलझते रहते हैं। तीनों दलों के नेताओं की बयानबाजी से उद्धव सरकार की साख पेंदे में चली गई है। सरकार में रहकर जनता के सौ करोड़ की वसूली का मामला अभी सुलझ भी नहीं पाया है कि उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के खिलाफ मामला सामने आया है। आखिर जनता भी तो जवाबदेही चाहती है। सरकार को सौ करोड़ की वसूली का हिसाब तो देना ही होगा।
मुख्यमंत्री धामी सर्वमान्य नेता
अगले साल उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी उत्तराखंड में इस बार क्या लक्ष्य लेकर चल रही है? पार्टी चुनाव में चेहरा सामने रखकर उतरेगी या सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा? इसके जवाब में भाजपा मीडिया प्रभारी बलूनी ने कहा कि पार्टी हर चुनाव को गंभीरता से लेती है और पूरी तैयारी के साथ चुनाव में उतरती है। जहां तक आपने उत्तराखंड में चेहरे पर चुनाव लडऩे की बात की है तो वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही पार्टी का चेहरा रहेंगे। उन्हीं के नेतृत्व में पार्टी चुनाव लड़ेगी। आप देखिएगा इस बार पिछले से ज्यादा सीटें आएंगी। लेकिन पांच साल में पार्टी ने जिस तरह मुख्यमंत्री बदले हैं, क्या उससे साख पर सवाल नहीं उठेंगे? अनिल बलूनी ने कहा कि भाजपा ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जो लोकतांत्रिक मूल्यों में भरोसा करती है, ऐसे में सामूहिक निर्णय ही सर्वोपरि होता है। जहां तक तीरथ सिंह रावत को बदलने का सवाल है तो कोरोना संकट उपचुनाव में बाधक बन रहा है, ऐसे में रावत ने स्वत:संज्ञान लेते हुए संवैधानिक मर्यादा का पालन करते हुए इस्तीफा दिया है। उनके स्थान पर नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपना दायित्व कुशलता पूर्वक निभाने में सक्षम हैं। उत्तर प्रदेश के जनपद पंचायत चुनाव में भाजपा ने बाजी मारी है, भाजपा क्या इसे विधानसभा चुनाव का सेमी फायनल के रूप में मान रही है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि स्थानीय चुनाव विधानसभा चुनाव का मापदंड नहीं माना जाता। फिर भी लोग मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में भाजपा सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं। मेरा मानना है कि आगामी चुनाव भी सरकार के कामकाज का हिसाब-किताब का आधार बनेगा। उत्तर प्रदेश में विकास के नए आयाम स्थापित हुए हैं। माफियाराज पर लगाम कसी है। अपराध और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण हुआ है। किसानों के हित लाभ में सरकार कई योजनाएं लेकर आई है। पार्टी कार्यकर्ता अगले कुछ माहों में घर-घर जाकर सरकार की उपलब्धियां गिनाएंगे। लेकिन ब्लॉक अध्यक्ष के चुनावों में हिंसक घटनाओं से पार्टी पर सवाल तो उठे हैं, इससे विपक्ष को क्या एक मुद्दा नहीं मिल गया है? इसके जवाब में भाजपा सांसद अनिल बलूनी ने कहा कि कुछ लोग निज स्वार्थ में कभी इस तरह के कार्यों को अंजाम दे देते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री योगी ने तुरंत संज्ञान लेकर जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। सरकार को बदनाम करने वाले उपद्रवी तत्व जल्द ही पुलिस के हाथ आएंगे।