प्रत्याशियों से रूबरू होकर कमलनाथ दिखाएंगे ताकत
विशेष प्रतिनिधि। विधानसभा चुनाव-2018 के लिए काफी जद्दोजहद के बाद भी कांग्रेस अपने मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी का चेहरा सामने नहीं रख पाई, ऐसे में यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री कौन होगा? इसे लेकर अभी भी कोई नाम स्पष्ट नहीं है। इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा गुरुवार 6 दिसंबर को कांग्रेस के सभी उम्मीदवारों को भोपाल में तलब कर बैठक लिए जाने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। कहा जा रहा है कि इन प्रत्याशियों से रूबरू होकर श्री नाथ अपनी ताकत दिखाएंगे, ताकि भविष्य में जब विधायकों के हाथ खड़े कराने की बारी आए तो उनका नंबर अव्वल रहे।
उल्लेखनीय है कि 15 साल से प्रदेश में भाजपा सरकार सत्ता पर काबिज है, ऐसे में कांग्रेस हर हाल में सत्ता में आने को बेताब है। यही वजह है कि मौजूदा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार बनाने को लेकर आशान्वित है। लेकिन प्रदेश के बड़े नेताओं में गुटबाजी के कारण मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया गया है। यह सवाल जब भी सामने आया तो जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इससे बचते नजर आए, वहीं जिन नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा है, वे भी इस बारे में कुछ नहीं बोल पाते। यद्यपि जो नेता दावेदार हैं, उनके समर्थक जरूर यह मानकर चल रहे हैं कि उनका नेता ही मुख्यमंत्री बनने जा रहा है। फिर विधानसभा चुनावों के टिकट की बारी आई तो बड़े नेताओं से लेकर दावेदारों तक में सिर फुटव्वल की स्थिति देखने को मिली। स्कैनिंग कमेटी अथवा सीडब्ल्यूसी की बैठकों में कहीं न कहीं नेताओं के बीच मनमुटाव और फसाद देखने को मिला। जिससे आम कांग्रेस कार्यकर्ता का मनोबल लगातार गिरा और तमाम दावेदार बागी के रूप में मैदान में भी आ गए। मतदान समाप्त हो जाने के बाद अब सबकी निगाहें 11 दिसंबर को आने वाले परिणाम की ओर है। कांग्रेस के नेता पूरे भरोसे के साथ कह रहे हैं कि सरकार उनकी ही बनने जा रही है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद कमलनाथ ने गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सभी कांग्रेस प्रत्याशियों को तलब किया है। वह उन्हें मतगणना के दौरान होने वाली कठिनाइयों को लेकर मार्गदर्शन देने वाले हैं। लेकिन कांग्रेस के अंदरखाने में यह चर्चा है कि श्री नाथ मार्गदर्शन के बहाने अपनी ताकत और यह दिखाने का प्रयास करेंगे कि वे इन दावेदारों में से जो विधायक बनने जा रहे हैं, उसके कितने नजदीक हैं। ताकि जब विधायक दल का नेता चुनने की बारी आए तो सबसे ज्यादा हाथ उनके पक्ष में खड़े दिखाई दें। यहां बताना मुनासिब होगा कि विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जोड़ी ने सर्वाधिक टिकट हासिल किए और सिंधिया को 55-60 टिकटों पर ही सिमटा दिया।
श्री नाथ ने प्रदेश अध्यक्ष के नाते टिकटों पर अपना हक ज्यादा जताया। जबकि सिंधिया इस मामले में दिग्गी और कमलनाथ के आगे कमजोर साबित हुए। इस चुनाव में मालवा, विंध्य, महाकौशल, बुंदेलखंड और ग्वालियर चंबल संभाग से जीतने वाले दावेदारों पर ही यह दारोमदार होगा कि वह अपना नेता किसे चुनते हैं। यदि सिंधिया की बात की जाए तो वे ग्वालियर-चंबल और मालवा में दखल रखते है और चुनाव के दौरान इन्हीं क्षेत्रों में उनका प्रचार अभियान चला। जबकि विंध्य, महाकौशल और बुंदेलखंड में कमलनाथ एवं दिग्विजय समर्थकों को ज्यादा टिकट मिले हैं। इस तरह यदि विधायकों से जब हाथ खड़े कराने की बारी आएगी तो उसमें सिंधिया की अपेक्षा यह जुगल जोड़ी आगे रह सकती है। यही कारण है कि गुरुवार को होने वाली बैठक में सिंधिया नहीं पहुंच रहे हैं। यद्यपि इस बैठक में सिंधिया से जुड़े प्रत्याशी जरूर मौजूद रहेंगे, जो एक-एक बात पर पैनी नजर रख उसकी जानकारी से सिंधिया को अवगत कराएंगे