Kota Coaching Industry: क्यों घट रही है कोचिंग सिटी कोटा में छात्रों की संख्या, लोगों की बदल रही है सोच, छात्रों ने बताई असली वजह

Kota Coaching Industry: क्यों घट रही है कोचिंग सिटी कोटा में छात्रों की संख्या, लोगों की बदल रही है सोच, छात्रों ने बताई असली वजह
राजस्थान का कोटा एक तरह से छात्रों के लिए वो सपनों की दुनिया है जिसे छात्र रात के अंधेरे को चीरते हुए दिन के उजाले में अपने सपनों की पतंग उड़ाते हैं, पर अब छात्रों का कोटा से मोह भंग हो रहा है।

Allen Career Institute, Motion Education के साथ कई और भी कोचिंग संस्थान हैं, जिनके कारण कोटा आज छात्रों की जुबान पर है। राजस्थान के कोटा का नाम जब भी लोगों के ज़ेहन में आता है तो बड़ी- बड़ी इमारते, सड़क पर दौड़ती गाड़ियां और कंधो पर टांगे अपने भविष्य का बोझ छात्र सड़कों पर चलते दिखाई दे जाएंगे। राजस्थान का कोटा एक तरह से छात्रों के लिए वो सपनों की दुनिया है जिसे छात्र रात के अंधेरे को चीरते हुए दिन के उजाले में अपने सपनों की पतंग उड़ाते हैं, पर अब छात्रों का कोटा से मोह भंग हो रहा है। जिनके कारण कोटा की गलियों में छात्रों का तांता लगा रहता पर अब सड़कें सन्नाटे की ओर चली जा रही हैं।

इसका कोई दूसरा और कारण नहीं हो सकता, इसका केवल एक ही कारण है वो है छात्रों की संख्या में कमी होना। माना जा रहा है कि इस बार कोटा में यहां 40 से 45 फीसदी बच्चे कम आए हैं जिससे कोटा की अर्थव्यवस्था की पिलर हिल चुकी है। कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की कोचिंग के लिए प्रसिद्ध है। यहां से सफलता का आंकड़ा भी काफी ज्यादा है, कई बार ऑल इंडिया रैंक फस्ट आई है, टॉप टेन में भी सात तो कभी आठ तक बच्चे आए हैं, लेकिन इस बार यहां के कोचिंग संस्थानों ने दूसरे शहरों में भी अपनी ब्रांच खोल देने का असर यहां दिखाई देने लगा है। छात्रों का कहना है कि जब बच्चों को अपने ही शहर में पढाई के अच्छे अवसर मिलेंगे तो कोई कोटा क्यों ही आना चाहेगा।

आत्महत्या के कारण बदनाम हुआ कोटा

एक रिपोर्ट के अनुसार, कोटा के बदनाम होने का कारण बच्चों की खुदकुशी भी है। अगर एवरेज की बात करें तो करीब 28 बच्चे यहां 1 साल में अपने सपने की उड़ान का गला घोंट देते हैं। दूसरे राज्यों से आने वाले बच्चें जिन्होंने कोटा की अर्थव्यवस्था को अपने कंधों पर टांग कर घसीटने का जिम्मा उठाया है उसका ही कारण है जो साल 2022 में को कोटा की इकोनॉमी 6500 करोड़ के आसपास पहुंचा दिया था, इसके बाद 28 से 29 करोड़ रुपये कोचिंग, पीजी और मेस को स्टूडेंट से मिल रहे थे। इसके साथ ही दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं पर भी स्टूडेंट करोडों खर्च करते थे, सीधे तौर पर एक से डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिल रहा था।

कोटा में 4 हजार हॉस्टल, आधे खाली

कोटा हॉस्टल ऐसोसिएशन के अध्यक्ष विमल मित्तल ने बताया कि पिछले साल यहां करीब पौने दो लाख बच्चे थे, इस बार एक लाख से कुछ अधिक हैं। कोरल पार्क में 25 हजार बच्चों के रहने की क्षमता है और वहां करीब 350 हॉस्टल हैं, लेकिन इस बार वहां केवल 8000 से 9 हजार बच्चे हैं। कोटा में कुल 4800 हॉस्टल और पीजी हैं, लेकिन इस बार आधे ही भरे हैं, क्योंकि कुछ नए निर्माण तेजी से हुए हैं। लैंडमार्क सिटी और अन्य कोचिंग एरिया में स्टूडेंट्स के ज्यादा रहने की वजह से दुकानों का किराया भी काफी ज्यादा था। इस एरिया के दुकानदारों को अच्छा टर्नओवर भी मिल रहा था. लेकिन इस बार यहां भी गिरावट देखने को मिल रही है।

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