कहीं यह पराजय का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने की पूर्व रणनीति तो नहीं
दिनेश शर्मा/स्वदेश वेब डेस्क। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में एक ओर कांग्रेस नेता पूर्ण बहुमत के साथ अपनी जीत का दावा कर रहे हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस नेता चुनिंदा घटनाओं को आधार बनाकर बार-बार ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका जताकर प्रशासन और चुनाव आयोग दोनों को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस की पूर्व रणनीति के तहत कांग्रेस प्रत्याशी और कार्यकर्ता कई जिलों में स्ट्राँग रूम के बाहर दिन-रात पहरा भी दे रहे हैं। इससे साफ प्रतीत होता है कि कांग्रेस न तो अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है और न ही उसे संवैधानिक संस्थाओं पर भरोसा है। संभवत: उसे अपनी पराजय साफ दिखाई दे रही है, इसीलिए चुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस अपनी हार का ठीकरा सीधे ईवीएम पर फोड़ने के लिए अभी से ताना-बाना बुन रही है।
मध्यप्रदेश में 28 नवम्बर को हुए मतदान के बाद स्ट्राँग रूम और ईवीएम की सुरक्षा पर कांग्रेस लगातार सरकारी मशीनरी पर सवाल उठा रही है। इस पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वी.एल. कांताराव ने स्पष्ट कर दिया कि निर्वाचन संबंधी सभी तरह की व्यवस्थाओं के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक जिम्मेदवार हैं। उन्होंने दावा किया कि ईवीएम में किसी तरह की गड़बड़ी संभव ही नहीं है। स्ट्राँग रूम की सुरक्षा पुख्ता है। बावजूद इसके ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका को लेकर कांग्रेस नेताओं के बार-बार बयान सामने आ रहे हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि सागर में मतदान के 48 घण्टे बाद स्ट्राँग रूम में ईवीएम पहुंचाए जाने के मामले को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए थे। कांग्रेस ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से शिकायत में कहा कि सागर में मतदान के 48 घण्टे बाद ईवीएम पहुंचाई गई। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि खुरई से भाजपा के उम्मीदवार भूपेन्द्र सिंह और जिलाधिकारी आलोक सिंह के बीच नजदीकी है, जिसके चलते गड़बड़ी की आशंका है। इसी तरह भोपाल के पुरानी जेल परिसर में बनाए गए स्ट्राँग रूम के बाहर लगी एलईडी के बंद होने पर सवाल उठाया गया। इसके अलावा ग्वालियर और भिण्ड में कांग्रेस कार्यकर्ता स्ट्राँग रूम के बाहर पहरा दे रहे हैं।