भारत की कोरोना वैक्सीन डिप्लोमेसी का प्रभाव

भारत की कोरोना वैक्सीन डिप्लोमेसी का प्रभाव
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रंजना मिश्रा

कहते हैं दोस्त और दुश्मन की पहचान मुश्किल समय में ही होती है। भारत ने साबित कर दिया है कि वह दोस्ती निभाता है और चीन, दक्षिण एशिया के देशों को अपनी ताकत से डराता है। कोरोना वैक्सीन के मामले में भारत विश्व गुरु और विश्वमित्र की भूमिका निभा रहा है। भारत में अब घरेलू स्तर पर निर्मित दो कोरोना वैक्सीन आ गई हैं, ऐसे में केवल अपने लोगों को ही सुरक्षित करना भारत की प्राथमिकता नहीं है बल्कि 'वसुधैव कुटुम्बकम्' में विश्वास रखने वाला भारत पूरी दुनिया की मदद कर रहा है। इस वैक्सीन मैत्री की शुरुआत पड़ोसी देशों को वैक्सीन की खेप भेजे जाने से शुरू हो चुकी है। पूरी दुनिया में मेड इन इंडिया वैक्सीन का डंका बज रहा है। भारत ने वैक्सीन डिप्लोमेसी द्वारा पड़ोसी देशों का दिल जीत लिया है। पड़ोसी देशों को भारत की वैक्सीन की खेप मिलनी शुरू हो गई है।

भारत वैक्सीन मैत्री और नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के तहत अपने पड़ोसी मुल्कों को ये वैक्सीन मुफ्त में भेज रहा है जिनमें बांग्लादेश और नेपाल भी शामिल है। भारत ने नेपाल को 10 लाख, बांग्लादेश को 20 लाख, म्यांमार को 15 लाख, भूटान को डेढ़ लाख, सेशेल्स को पचास हजार, मारीशस को एक लाख तथा मालदीव को एक लाख वैक्सीन की डोज बिल्कुल मुफ्त में दी हैं। इन सभी देशों को सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड एस्ट्राज़ेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन की सप्लाई की गई है। श्रीलंका और अफगानिस्तान से बातचीत जारी है और जल्द ही वहां भी भारत की वैक्सीन पहुंचेगी।

जहां एक ओर चीन ने पूरे विश्व को कोरोना वायरस दिया वहीं भारत पूरे विश्व को कोरोना वायरस से बचने के लिए वैक्सीन उपलब्ध करा रहा है। भारत की इस वैश्विक मित्रता के सराहनीय कार्य से प्रभावित होकर अमेरिका के राष्ट्रपति ने भी भारत की सराहना की है और भारत को सच्चा दोस्त बताया है, इसके अतिरिक्त ब्राजील सहित डब्ल्यूएचओ ने भी भारत की दिल खोलकर तारीफ की है। भारत द्वारा ब्राजील को वैक्सीन की डोज पहुंचाए जाने पर ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो ने भारत को एक अलग अंदाज में शुक्रिया अदा किया, उन्होंने भगवान हनुमान जी की एक फोटो संजीवनी बूटी ले जाते हुए पोस्ट की है और वैक्सीन देकर सहायता प्रदान करने के लिए भारत को धन्यवाद दिया।

कई अन्य बड़े-बड़े देशों ने दुनिया में सबसे बड़े दवा उत्पादक देशों में से एक भारत से कोरोना वायरस का टीका खरीदने के लिए संपर्क किया है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह पाकिस्तान की मदद भी कर सकता है लेकिन इसके लिए पहले पाकिस्तान को मदद मांगनी पड़ेगी, किंतु पाकिस्तान ने अबतक भारतीय टीके के लिए संपर्क नहीं किया है क्योंकि उसे चीन से वैक्सीन मिलने का इंतजार है। पाकिस्तान की तरफ से मदद की लिए गुहार लगाए जाने पर चीन तरस खाकर 5 लाख डोज देने को तैयार तो हो गया है किंतु उसने शर्त रखी है कि वह ये डोज पाकिस्तान नहीं पहुंचाएगा बल्कि पाकिस्तान को इसे लेने के लिए अपना जहाज लेकर उसकी चौखट पर आना पड़ेगा।

भारत ने न केवल वैक्सीन पड़ोसी देशों को भेजकर अपने कर्तव्य की पूर्ति की, बल्कि इसके साथ ही टीके की आपूर्ति से पहले प्रशासनिक और परिचालन संबंधी आयामों को शामिल करते हुए संबंधित देशों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया। चीन ने तो मुश्किल समय में भी मदद के नाम पर व्यापार किया किंतु भारत ने सबकी सहायता की। चीन को भारत का बढ़ता प्रभाव बहुत खल रहा है किंतु वह करे भी तो क्या, क्योंकि यह दोस्ती की डोज है और वह भी मेड इन इंडिया। वैसे तो चीन खुद को नेपाल का हितैषी बताता है किंतु जब कोरोना महामारी से लड़ने की बारी आई तो असल दोस्ती भारत ने ही निभाई। पिछले दिनों चीन ने नेपाल को भारत के खिलाफ भड़का कर सदियों पुरानी दोस्ती में गांठ डालने की कोशिश की थी किंतु अब दोनों देशों की दोस्ती फिर से मजबूत हो गई है और उसमें वैक्सीन डिप्लोमेसी का बड़ा रोल है।

नेपाल के अलावा कई पड़ोसी देशों की मदद भारत कर रहा है जिसमें बांग्लादेश भी शामिल है। बांग्लादेश पहले चीन की तरफ बढ़ा था और उसने चीन को एक लाख दस हजार वैक्सीन के ऑर्डर दिए थे, किंतु महंगाई की वजह से उसे वह आर्डर रद्द करने पड़े। भारत वैक्सीन मैत्री और नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के तहत अपने पड़ोसी मुल्कों को ये वैक्सीन मुफ्त में भेज रहा है। बांग्लादेश के विदेश राज्य मंत्री मोहम्मद शहरयार आलम ने भारत की सराहना करते हुए कहा है कि दक्षिण एशिया को क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग करने की जरूरत है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत के पड़ोसी देशों को टीका उपलब्ध कराकर बेहतरीन उदाहरण पेश किया है।

भारत में इस समय कोरोना वायरस के दो टीके कोविशील्ड और कोवैक्सिन लगाए जा रहे हैं। पहले चरण में अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को टीके दिए जा रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ट्वीट में कह चुके हैं कि भारत वैश्विक समुदाय की स्वास्थ्य सेवा जरूरतों को पूरा करने के लिए भरोसेमंद सहयोगी बनकर काफी सम्मानित महसूस कर रहा है। उन्होंने बताया था कि अभी टीकों की आपूर्ति शुरू होगी तथा आने वाले दिनों में और भी काफी कुछ होगा। प्रधानमंत्री के इस ऐलान के बाद पड़ोसी देशों की ही नहीं बल्कि अन्य देशों की भी उम्मीदें भारत से और बढ़ गई हैं। भारत के पड़ोसी देशों में कोरोना वैक्सीन की जो डोज पहुंच रही हैं, वो वहां के नेताओं के ही नहीं बल्कि जनता के भी चेहरे पर मुस्कान ला रही हैं, क्योंकि इन देशों को समझ आ गया है कि मुश्किल समय का साथी सिर्फ भारत ही है। भारत महामारी के खिलाफ मानवता की इस लड़ाई में नेतृत्वकर्ता की भूमिका अदा कर रहा है।

मालदीव में जब भारतीय टीकों की खेप पहुंची तो वहां के विदेश मंत्री का संबोधन सुनने लायक था, जो उन्होंने धाराप्रवाह हिंदी में दिया। धन्यवाद,धन्यवाद, धन्यवाद कहकर उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री और भारत की जनता का शुक्रिया अदा किया। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी यह कहते हुए भारत सरकार और भारत के लोगों को धन्यवाद दिया कि यह सहायता ऐसे समय में दी गई है जब भारत को अपने लोगों को भी टीका लगाना है।

जहां एक तरफ कुछ लोग इस भारतीय वैक्सीन के खिलाफ जमकर प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ यूके की मशहूर मेडिकल जर्नल लैंसेट ने भारतीय वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सिन की जमकर तारीफ की है। लैंसेट के मुताबिक कोविड-19 के भारत के स्वदेशी टीके कोवैक्सिन के फर्स्ट फेज के परीक्षणों में शामिल किए गए लोगों पर इसका कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पड़ा और इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रक्रिया भी बढ़ने का पता चला है।

वैक्सीन प्रदान करने के लिए भारत के पड़ोसी देश आज खुलकर भारत की तारीफ कर रहे हैं। नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री, श्रीलंका के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति, म्यांमार और मालदीव के राष्ट्रपति सहित दक्षिण एशिया के तमाम बड़े नेता आज भारत की तारीफों के पुल बांधने में लगे हैं। भारत सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता देश है और भारत को दुनिया की फार्मेसी भी कहा जाता है, ऐसे में जब भारत इस महामारी से लड़ने के लिए पूरी दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है तो पूरी दुनिया भारत की तारीफ करने को बाध्य हो रही है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को विश्व गुरु बनाने के वादे को सबके सामने रखा था और आज यह वादा सच साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है। कुल मिलाकर भारत के पड़ोसियों और मित्रों को गाढ़े वक्त में 'मेड इन इंडिया' दोस्ती खूब काम आ रही है और वैक्सीन के जरिए दक्षिण एशिया में दबदबा बढ़ाने का चाइनीज़ प्लान फेल हो चुका है।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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