शौर्य एवं सेवा हेतु समर्पित: कर्नल डॉ. लक्ष्मी सहगल
वेबडेस्क। चिकित्सीय संवेदना, मानवीय मूल्यों एवं राष्ट्रीय शौर्य हेतु समर्पित स्वतंत्रता सैनानी, देह धदीची पद्मभूषण, डॉ लक्ष्मी स्वामीनाथन सहगल की पुण्य तिथि के अवसर पर उनकी राष्ट्र तथा समाज हेतु समर्पित साहसिक गाथा का स्मरवर्तमानमें भी सामाजिक चेतना एवं युवा प्रेरणा हेतु समसामयिकहै| तमिलअभिभाषक पिता तथा मलयाली समाज सेविका माता के परिवार में उनकाजन्म24 अक्टोबर 1914 कोमालाबार, तत्कालीन मद्रास राज्य में हुआ|
1938 में मद्रास चिकित्सा महाविद्यालय से एम.बी.बी.एस.,डी.जी.ओ.की चिकत्सा शिक्षा उपाधि प्राप्त करने के पश्चात्आज़ाद हिन्द सेना के कैप्टन प्रेम सहगल से विवाह किया | उनकी बहन श्रीमती मृणालिनी साराभाई प्रसिद्ध नृत्यांगना है तथा सुपुत्री सुहासिनी अली भी राजनैतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं| उनके शौर्य एवं मानवीय त्याग की गौरव गाथा का संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है :
शौर्य गाथा -
वीर सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में सिंगापुर मेंआज़ाद हिन्द सेना मेंकैप्टन के रूप में सम्मिलित हुईं तथा बाद में कर्नल के पदपर"रानी झांसी रेजिमेंट की कमांडर" के रूप में डॉ लक्ष्मी सहगल 1945 मेंभारत – बर्मा (म्यांमार) सीमा परपरअंग्रेजी ब्रिटिश सेना के विरुद्ध युद्धकरते हुए युद्द्बंदी के रूप में नज़रबंद रहीं|
सामाज सेवा एवं मानवीय त्याग -
1944 के द्वितीय विश्व युद्ध,1947 के भारत विभाजन, 1971 के बांग्लादेश मुक्ती संग्राम तथा 1984 के सिख नरसंहार एवं भोपाल गैस त्रासदी के दौरान घायल हुएपीड़ितों की निशुल्क नि:स्वार्थ सेवा का जीवन आदर्श स्थापित करते हुएकानपुर में जन सामान्य को भीजीवन पर्यंत निष्ठापूर्णनि:शुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान करती रहीं | 97 वर्षीय "देह धदिच" परम श्रधेय डॉलक्ष्मीसहगल ने23 जुलाई 2012 के दिन गणेश शंकर विद्यार्थी चिकित्सा महाविद्यालय , कानपुर में देह दान के माध्यम से मोक्ष्य प्राप्त किया|