"दुष्कर को सरल करते पुष्कर"
वो ऐसे बोलता है वचन ,उन्हें झुक झुक कर सुनता है गगन
4 माह पहले भाजपा नेतृत्व ने उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना कर उनपर अपना विश्वास व्यक्त किया है। जाहिर है कि राष्ट्रीय नेतृत्व यूही तो नेतृत्व परिवर्तन नही करता। अवश्य कुछ ना कुछ बात उनको ऐसा करने के लिये होती ही है। 2017 में उत्तराखंड में रिकॉर्ड जीत दर्ज कर भाजपा की सरकार बनी थी। 4 वर्ष तक त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री रहे उनके बाद तीरथसिंह रावत मुख्यमंत्री बने और अब 4 माह पहले पुष्कर सिंह धामी को यह जिम्मेदारी मिली। माह दिसंबर 2021 में केंद्रीय निर्वाचन आयोग चुनाव की घोषणा कर देगा और चुनाव आचार संहिता प्रदेश में लागू हो जाएगी। कुल मिलाकर पुष्कर सिंह धामी को 6 माह ही स्वतंत्र रूप से अपना काम करने को मिलेगा।
दूसरी महत्वपूर्ण बात की धामी जी को उसी पुरानी टीम के साथ काम भी करना व लेना है जो पूर्व में थी। तीसरी सबसे महत्वपूर्ण व विचारणीय बात है नोकरशाही की वह भी पुरानी ही है। चौथी बात वह प्रमाण है जिसके प्राण भी धामी जी को ही निकालने है वह है कि जब से उत्तराखंड बना है तब से यहां सत्तापरिवर्तन का चलन है जो दूसरे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी है। एक और अति महत्वपूर्ण बात है जो मुझे सम्पूर्ण देश मे देखने को हमेशा मिली वह है चुनाव के आखिरी साल या 6 माह पूर्व बयूरोक्रेसी काम को लटकाती है भिन्न भिन्न चतुराई भरे बहाने बना कर जनता की राह में रोड़ा बन जाती है। इस बात पर मोहर लगाती उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण की मुझसे हुई बात है जिसमें वे अपना लम्बा राजनीतिक अनुभव बताते हुए कहते है कि जब नई नई सरकार बनती है तो अधिकारी पार्टी के मडल अध्यक्ष तक की बात गम्भीरता से लेते है यानी पार्टी के छोटे से छोटे पदाधिकारी की चलती है। आगे श्री दीक्षित जो कहते है वो गम्भीर व चिंतित करने वाली है कि आखिर के महीनों में ये अधिकारी किसी काम मे रुचि नही लेते है बस तू चल में आया वाला फार्मूला चलाते है। यह सब सभी दलों के साथ होता रहता है अबतक यह बीमारी लाइलाज बनी हुई है। इन सब से धामी जी को पार पाना है और वे शर्तिया पार पाएंगे भी क़्योंकि उनकी पीठ पर भारत के यशस्वी व बेहद लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ साथ महान रणनीतिकार देश के गृहमंत्री अमित भाई शाह व कठोर परिश्रमि राष्ट्रीयअध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जी व देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी का हाथ है।
इस प्रकार कैसे चुनाव मे प्रचार करना है, कैसे माहौल बनाना है, वोट प्रतिशत बढ़ाना है कुल मिलाकर कैसे जीत सुनिश्चित करनी है सब मे दक्षता हासिल है धामी जी को। सबसे महत्वपूर्ण एक विशेष खूबी के धनी है युवा मुख्यमंत्री वह है जोश के साथ होश। शास्त्रों में भी वर्णित है जो जोश में होश नही खोता है उसकी सफलता निश्चित होती है। विपरीत परिस्थितियों में ही व्यक्ति की पहचान होती है। धारा के साथ बहने वालो की अपनी निजी कोई पहचान नही बन पाती है अपितु धारा के विपरीत उसे चीरते हुए आगे बढ़ने वालों की जमाने मे अपनी विशेष पहचान जरूर बनी है हमेशा बनती रहेगी।
भारत मे सर्वाधिक लोकप्रिय खेल क्रिकेट है उसमें जिन्होने स्थायी पहचान बनाई है उनको देश ने अलग पहचान दी है जैसे कपिलदेव, सचिन तेंदुलकर, महेन्द्रसिंह धोनी व विराट कोहली आदि। इन सभी महानुभाव गणों ने हारती हुई बाजी को अनेकों बार अपनी सूझ बूझ व हिम्मत और परमात्मा रामजी के आशिर्वाद से जीत में बदल कर दुनिया को दिखाया है।पुरानी कहावत है शेर को सियार का शिकार करने पर कोई वाहवाही नही मिलती ऐसे ही इन महान खिलाड़ीयो ने जब जब पाकिस्तान से भारत का मुकाबला हुआ तब तब दोगुना नही चौगुना जोश दिखाया है और जीत को देश के नाम किया है। पुष्कर सिंह धामी राजनीति के मैदान में धोनी, सचिन, कोहली है किस किस बाल पर कितने रन बनाने है वे बखूबी जानते है उनको 6 गेंद में 6 सिक्सर मारने भी आते है।
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन जाने माने कुशल रणनीतिकार श्री बी एल संतोष जी का कुशल मार्गदर्शन भी धामी जी को विजय धाम अवश्य पहुचायेगा। इस बात में तनिक भी सन्देह नही है। मैं कालेज के दिनों से मुख्यमंत्री धामी जी को नजदीक से जनता हूँ, वे स्वयं में एक जुझारू प्रवर्ती के कड़ी मेहनत करने वाले आशावादी व पूर्ण ईश्वर वादी है। राजनीति का ज्ञान उनको विद्यार्थी जीवन से ही है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय में कई बार ऐतिहासिक विजय पताका फहराने में उनकी मुख्य भूमिका रहती थी। उत्तराखंड गठन के बाद वे यहां आ गये । आगे चलकर पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी जी के ओएसडी बन खूब मेहनत की उनकी मेहनत रंग लायी सरकार के बाद युवा मोर्चा के दो बार प्रदेश अध्यक्ष बने। युवा मोर्चा को जन जन तक पहुचाया उसको नई पहचान दी। संघर्ष का क्रम चलता गया अपनी कड़ी मेहनत से प्रदेश संगठन में उपाध्यक्ष बने। पार्टी के आदेश पर पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और विरोधियों को चारोखाने चित कर विजय प्राप्त की। उनकी जनसेवा ने उन्हें लोकप्रिय बनाया और दोबारा फिर विधायक बने। कुशल स्पिनर भी है अच्छी स्पिन कराते है विरोधी चकित रह जाते है।
विजय की दूसरी बात करें तो वे एक फौजी के बेटे है उनको अनुशासन में रहना और युद्ध जितना दोनो विरासत में मिले हैं। भारत के यशस्वी व बेहद पसंद लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी व यशस्वी गृहमंत्री अमित शाह व उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह ही अजय भी है। परमात्मा रामजी अपने अति प्रिय छोटे भाई लक्ष्मण जी को बताते है, श्री रामचरितमानस की चोपाई - "जेखि रण रिपु न देखी पीठी" भावार्थ जिनकी रण में शत्रु ने पीठ नही देखी कभी ऐसे बर पुरूष जगत में थोड़े ही है। मोदी जी कभी चुनाव नही हारे, अमित शाह जी कभी चुनाव नही हारे योगी आदित्यनाथ भी कभी चुनाव नही हारे और पुष्कर सिंह धामी भी कभी चुनाव नही हारे। सैनिक के बेटे होने का गौरव उनकी प्रतिभा में चार चांद लगाता है। भाजपा में भी एक सैनिक की भांति ही हर मोर्चे पर डटे है धामी जी। ईश्वरवादी हैं तो श्री रामचरितमानस की दो चोपाई सब कहती है, "जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करें सब कोई।" दूसरी, जो इच्छा कीजिये मन माही हरि प्रसाद कछु दुर्लभ नही। कांटो भरा ताज है बेशक लेकिन राम कृपा से सब मंगल होगा।