बिन देखे विवादों में 72 हूरें, निर्देशक-निर्माता को मिली जान से मारने की धमकी , अखिर कहां जा रहे हम ?
वेबडेस्क। भारतीय सिनेमा ने पिछले कुछ दिनों से देश में हंगामा खड़ा किया हुआ है। कश्मीर फाईल्स' से शुरू हुआ ये हंगामा, 'केरला स्टोरी' से होता हुआ, 'आदिपुरुष' और अब 72 हूरे' तक आ पहुंचा है। अपने टीज़र के लॉच के बाद ही विवादों में आ गई 72 हूरे को लेकर मुस्लिम समाज के विरोध में खड़े हो गए हैं। ये तो तब है जब इनमें से किसी ने ये फिल्म देखी नहीं है। ये तो नाम को रहनुमा इसके ही लेकर इतना उत्तेजित हो गए हैं जैसे 72 हूरें इस्लाम पर हमला है। फिल्म के टीज़र के लॉच के बाद से ही फिल्म के निर्देशक, निर्माता को कट्टरपंथी तत्वों द्वारा धमकी मिलना शुरू हो गयी हैं।
इसके बाद जब फिल्म का ट्रेलर लॉच होने वाला था एक नया विवाद भी सामने आ गया। सेंसर बोर्ड ने फिल्म के ट्रेलर में कुछ कट लगाने का सुझाव दिया जिसे निर्माता ने ये कह कर अस्वीकार कर दिया कि उसने ट्रेलर फिल्म के बीच से ही बनाया है जब फिल्म में ये दृश्य और संवाद रह सकते हैं तो ट्रेलर में क्यों नहीं? इससे एक बार फिल्म फिर से चर्चा में आ गई। 72 हूरों को लेकर चल रही टीवी डिबेट्स में गर्मी तब और बढ़ गई जब एक टीवी डिबेट में सुबुही खान ने साथी पेनलिस्ट शोएब जमाई पर हमला कर दिया। ये विवाद चल ही रहा था कि तभी प्रदर्शित आदिपुरुष विवादों में आ गई। बहुसंख्यक समाज ने निर्देशक, लेखक पर राम कथा को विकृत करके प्रस्तुत करने का आरोप लगाकर उसका बहिष्कार कर दिया जिससे फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल हो गई। फिल्म के लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला पर हल्के संवाद लिखने का आरोप लगा, जिस पर उन्होंने संवाद को बदलने का काम तो किया लेकिन उनके बयानों और हरकतों से कहीं ऐसा नहीं लगा कि वह अपने कृत्य पर शर्मिंदा हैं।
लेकिन हम यहां बात कर रहे है फिल्म 72 हूरों की फिल्म के ट्रेलर को देखने के बाद (जो सेंसर द्वारा रोके जाने के बाद डिजीटल प्लेफॉर्मस पर रिलीज हुआ) लगता है कि फिल्म जेहाद के लिए मुसलिम युवाओं को तैयार करने के लिए उन्हें कट्टरपंथियों द्वारा उनकी शहादत के बाद जन्नत में 72 72 हूरों के मिलने का लालच देने की पृष्ठभूमि पर आधारित है। क्या वास्तव में शहादत के बाद जन्नत में 72 हूरें मिलती है? यहीं इस फिल्म की कहानी है। अब 72 हूरें मिलती है या नहीं इसका जवाब तो फिल्म देखने के बाद मिलेगा, लेकिन अब इस सवाल का जवाब तो मुसलिम रहनुमाओं को देना पड़ेगा कि बिना फिल्म देखे कैसे वो निर्माता, निर्देशक को कटघरे में खड़ा कर सकते हैं? देश में