अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के चेहरे पर आई खुशी

अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के चेहरे पर आई खुशी
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डॉ रहिस सिंह

असंख्य लोगों के जीवन की सुरक्षा और जीविका को सुनिश्चित करना ही जब राजनीति बन जाती है तभी महात्मा गांधी, विनोबा भावे या पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे व्यक्तित्व विचारक एवं राजनेता के रूप में सामने आते हैं। इन तीनों नेताओं के आर्थिक दर्शन में 'अंतिम पंक्ति का अंतिम व्यक्ति 'की प्वाइंट था। वास्तव में राज्य के आर्थिक मॉडल का चुनाव करते समय यदि इन्हें प्रमुखता दी गयी होती तो आजादी के सात दशकों बाद भी रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी सुविधाओं सुनिश्चित करने के लिए सरकारों को चिंतित होना न पड़ता। अफसोस यह कि आजादी के बाद परिभाषाएं गढऩे पर तो ऊर्जा खर्च की गयी, विकास पर नहीं। वैश्वीकरण के आने के बाद तो 'ट्रिकल डाउन जैसा छद्म नवपाश्चात्यवादी (नियोवेस्टर्न) मॉडल अपनाया गया मानो कोई जादू की छड़ी हो। लेकिन हुआ क्या अमीर और गरीब के बीच की खाई और बढ़ गयी। यही नहीं व्यवस्था में व्याप्त रिसाव (लीकेज यानि भ्रष्टाचार) के कारण नीतियों व योजनाओं का लाभ कहीं और अंतरित होता रहा। इस दौर में उत्तर प्रदेश का नेतृत्व अधिकांश समय तक ऐसे हाथों में रहा जिसे न ही किसी इकोनॉमिक मॉडल की समझ थी और न अंत्योदय जैसे विचार से कोई सरोकार। फलत: राज्य बीमारू हो गया और जनता गरीबी से त्रस्त। इसने पलायन को बढ़ावा दिया। यह वर्ष 2017 तक यथावत रहा।

2017 में जब योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने प्रदेश के 24 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप प्रदेश को सुरक्षित, समृद्ध, समुन्नत और आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प लिया। यही से प्रदेश अंत्योदय के लक्ष्यों के साथ सिद्धि की ओर बढ़ा। दरअसल योगी आदित्यनाथ उस आध्यात्मिक परम्परा से हैं जिसने पूर्व मध्यकाल से लेकर वर्तमान समय तक संस्कृति और राष्ट्रवाद की धुरियों को मजबूत किया, समता और समरसता को समृद्धता के सूत्र में बांधा तथा सामाजिक न्याय की अवधारणा को व्यवहारिक जमीन पर उतारा। सच तो यह है कि इसमें गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के 'समाज के अंतिम व्यक्ति के कल्याण का मूलमंत्र निहित था। हालांकि मुयमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास की अवधारणा में तुलसीदास जी के रामराज्य की उस परिकल्पना को भी शामिल किया जिसमें कहा गया है -''नहिं दरिद्र कोउ दु:खी न दीना, ....... उनके विकास का पथ अंत्योदय से सर्वोदय की ओर जाता दिखा जिसके मूल में 'सर्वभूतहितंरता: का सार है।यही नहीं योगी जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में इस पथ पर चलते हुए अंत्योदय से सर्वोदय और सर्वोदय से राष्ट्रोदय की संकल्पना को मूर्तरूप देने का कार्य किया। उन्होंने अवध के मन, पूर्वांचल की आशा, बुंदेलखण्ड की अपेक्षा और पश्चिमांचल की अभिलाषा को न केवल संतुष्ट किया बल्कि इन्हें नए आयाम भी दिये। उन्होंने जीरो टालरेंस के तहत जो कार्रवाइयां की वे प्रदेश में बदली हुयी व्यवस्था का संदेश देने में सफल रहीं।

अपराधमुक्त, भयमुक्त और अन्यायमुक्त वातावरण का सृजन हुआ तो उत्तर प्रदेश ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में 14वें पायदान से लंबी उछाल लेते हुए दूसरे पायदान पर पहुंचा, ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोड्यूस (जीएसडीपी) के आधार पर देश के अंदर छठी से दूसरी अर्थव्यवस्था बनने तक का सफर तय किया, बिजनेस और निवेश का सर्वश्रेष्ठ डेस्टिनेशन बना और विश्वस्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर की बुनियाद रखकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रतार बढ़ाने में सफलता अर्जित की। यह अर्थव्यवस्था का एक छोर है जो तकनीकी तौर पर 'फारवर्ड लिंकेज के रूप में जाना जाता है। इसका दूसरा छोर 'बैकवर्ड लिंकेज तक जाता है जिसमें प्रदेश का प्रत्येक गरीब, किसान, शिल्पकार, श्रमिक, दिव्यांग, युवा के साथ-साथ मातृशक्ति भी शामिल है। इस लिंकेज पर सहायता, सहयोग, पोषण, सुरक्षा, समृद्धि, सशक्तिरण, स्वावलंबन के माध्यम से प्रदेश के विशाल समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने दिशा में निर्णायक कदम उठाए गये। पिछले पांच वर्षों में योगी सरकार ने केन्द्र सरकार के सहयोग से गरीबों, किसानों, श्रमिकों, कर्मकारों, आव्रजितों (इमीग्रांट्स) और महिलाओं ....आदि को सुरक्षा देने, आत्मसम्मान देने और स्वावलंबी बनाने का कार्य किया। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उत्तर प्रदेश के आम-जन को जो सुविधाएं दी हैं उनकी सूची काफी विस्तृत है। फिर भी कुछ उल्लेख करना आवश्यक है। इस दिशा में 15 करोड़ लोगों को दी जा रही राशन की डबल डोज सबसे महत्वपूर्ण मानी जा सकती है। इसने महामारी के काल में लोगों को अतिरेक राशन उपलब्ध कराकर भूख की चिंता से मुक्त तो रखा ही, आत्मसम्मान को भी सुरक्षित रखा।

2 करोड़ 55 लाख 77 हजार से अधिक किसानों को सम्मान निधि वितरित कर किसान कल्याण में अभिवृद्धि की। गरीबों की तरह ही किसानों को लेकर योगी सरकार काफी संवेदनशील रही। उसने पहली ही केबिनेट में किसानों की 36000 करोड़ रुपये की ऋणमाफी कर 86 लाख किसानों को लाभ पहुंचाया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से करीब 28 लाख किसान लाभान्वित हुए। ये किसान सभी वर्गों और जातियों से हैं इसलिए उक्त योजनाओं के क्रियान्यवन से सभी का उत्थान हुआ और सामाजिक समरसता में वृद्धि हुयी। स्वस्थ, सुरक्षित और सुखी नागरिक, आत्मनिर्भर प्रदेश, सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता थी। इस उद्देश्य से प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के साथ-साथ मुख्यमंत्री जनआरोग्य योजना भी शुरू की गयी। मुख्यमंत्री जनआरोग्य योजना के अंतर्गत करीब 43 लाख लोगों को बीमा कवर प्राप्त हुआ। जीवन में बिजली के बहुत उपयोगिता है। इसके अभाव में जन-जीवन ठप, उद्योग धंधे शिथिल और बाजार निराशावादी हो जाता है जबकि भ्रष्ट एवं अराजकता शक्तियां सक्रिय होती हैं।

योगी सरकार ने एक तरफ सौभाग्य योजना के तहत उन 1 करोड़ 41 लाख घरों तक रोशनी पहुंचायी जो अब इससे वंचित थे और दूसरी तरफ 24 घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराकर लोक- जीवन को नई स्फूर्ति दी। दशकों से आजादी का जश्न मना रहे प्रदेश के गरीबों के पास छत भी नहीं थी। पिछले पांच वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना के ऐसे 43 लाख से अधिक लोगों को आवास दिया गया। यही नहीं जिन लोगों का नाम 2011 की जनगणना में न होने से प्रधानमंत्री आवास योजना की सुविधा नहीं मिल पायी थी, विशेषकर कुछ जनजातियों को जिनमें मुसहर, वनटांगिया और थारु प्रमुख थे उन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत घर प्रदान किए गये। इनकी संख्या करीब 90 हजार के आसपास है। हैरानी की बात यह है कि गोरखपुर सहित कई जिलों में बसे वनटांगियाओं के गांवों को 2017 से पहले तक सरकार योजनाओं का लाभ नहीं मिलता था योंकि इनके गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा ही हासिल नहीं था। मुयमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार इनके ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया और राज्य व केन्द्र सरकार की सभी योजनाओं को इन तक पहुंचाया। आज इनके गांव और इनकी जिंदगियां पूरी तरह से बदल चुकी हैं। प्रधानमंत्री उज्वला योजना के तहत 1 करोड़ 67 लाख महिलाओं को मुक्त गैस कनेशन देकर न केवल कार्बन जनित बीमारियों से बचाया गया बल्कि उमें आत्मसमान की नई अलख जगाई गयी। प्रदेश सरकार ने करीब 56 लाख वरिष्ठ नागरिकों को वृद्धावस्था पेंशन देकर उनके जीवन में उत्साह भरने की कोशिश की।

करीब 30 लाख निराश्रित महिलाओं और 11 लाख 19 हजार दिव्यांगजनों को लिए 1000 रुपये प्रतिमाह की पेंशन दी गयी। मुयमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत करीग डेढ़ लाख कन्याओं का विवाह संपन्न कराया गया और सकरार की तरफ से प्रत्येक कन्या को 51 हजार रुपये की धनराशि दी गयी। यही नहीं 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाकर करीब 1 करोड़ महिलाओं को जोड़कर स्वावलंबी बनाने का कार्य किया गया। इसी प्रकार से शबरी संकल्प योजना, किशोरी बालिका योजना, महिला सामर्थ्य योजना के तहत सरकार ने महिलाओं को पोषित, शिक्षित, और सामर्थ्यवान बनाने का कार्य किया। करीब सवा 5 लाख परिवारों को राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की गयी और करीब 63 लाख लोगों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना से जोड़कर लाभ दिलाया गया।

2 करोड़ 38 लाख लोगों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का लाभ मिला जबकि स्किल इंडिया के तहत करीब 9 लाख युवाओं को तथा दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण योजना के तहत 10 लाख युवाओं को प्रशिक्षण देकर व्यापक पैमाने पर सेवायोजित भी किया गया। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत 8 लाख 80 हजार स्ट्रीट वेण्डर्स को लाभ देकर स्वावलबन बनाने की दिशा में आगे बढ़ाया। कुल मिलाकर योगी सरकार लक्ष्य अंत्योदय, प्रण अंत्योदय एवं पथ अंत्योदय के साथ संकल्प को सिद्धि में परिवर्तित करने में सफल रही।

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