बांग्‍लादेश में हिंदू म‍ंदिरोंं पर हमला पार्ट- 3: जनसेवा के बाद भी कट्टरपंथियों का निशाना बना ISKCON, पढ़िए स्वदेश की विशेष रिपोर्ट

Attack on Hindu Temples in Bangladesh Part - 3
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Attack on Hindu Temples in Bangladesh Part - 3

Attack on Hindu Temples in Bangladesh Part - 3 : भोपाल। इन दिनों देश में बांग्लादेश इस्कॉन मंदिर विवाद गरमाया हुआ है। बीते दिन रविवार को 63 बांग्लादेशी भिक्षुओं को भारत में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। बांग्लादेशी अधिकारियों ने भिक्षुओं को सुरक्षा का हवाला दिया, लेकिन क्या वें भिक्षुक बांग्लादेश में सुरक्षित है। बांग्लादेश में आई विभिन्न आपदाओं के समय इस्कॉन ने अपनी तरफ से कई सेवाएं दी है। बावजूद इसके उन्हें कट्टरपंथियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। मंदिरों पर हमला करवाया जा रहा है। अल्पसंख्यक हिन्दुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। स्वदेश की इस विशेष रिपोर्ट में पढ़िए बांग्लादेश में इस्कॉन द्वारा की गई सेवा और इस्कॉन को निशाना बनाते कट्टरपंथियों के हमले की दर्दनाक कहानी ...।

बांग्लादेश में इस्कॉन द्वारा की गई सेवा

अगस्त 2024 में बांग्लादेश में आई बाढ़ में इस्कॉन मंदिर के सदस्यों और भिक्षुकों ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए थे। इस दौरान मंदिर के सदस्यों और भिक्षुकों ने ढाका में बाढ़ पीड़ितों को भोजन, पानी के साथ दैनिक जरूरतों के सामान की प्रदान किया गया। यह पहली बार नहीं हर साल बांग्लादेश के मानसून मौसम में इस्कॉन भक्त बाढ़ से प्रभावित लोगों की सहायता करने के लिए आगे आते हैं। इनमें केवल हिन्दू धर्म के लोग नहीं होते अन्य विशेष समुदाय के लोग भी शामिल है।

भारी बारिश के बाद अगस्त 2024 में बांग्लादेश में बाढ़ के हालात बन गए थे। बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्रों की रिपोर्ट्स के अनुसार इस आपदा के समय हजारों बांग्लादेशी मुस्लिमों को इस्कॉन मंदिर सहित अन्य मंदिरों में शरण दी गई थी। इस दौरान उनके रहने खाने से लेकर अन्य सारी व्यवस्था मंदिर के सदस्यों द्वारा की गई थी।

5 अगस्त 2024 को इस्कॉन द्वारा प्रभावित परिवारों को नए घर, कपड़े, खाना पकाने के बर्तन और खाद्य सामग्री वितरित की गई थी। इसके अलावा लाल्मोनिर्हत में मंदिर के सदस्यों ने बाढ़ पीड़ितों को भोजन सामग्री समेत अन्य जरूरत का सामान उपलब्ध कराया है। भोजन मिलने के बाद बाढ़ पीड़ितों के चेहरे पर एक मुस्कराहट थी और मंदिर के सदस्यों के चेहरों पर सहायता करने का सुकून।

इसी तरह जून 2022 में इस्कॉन सिलहट ने सिलहट में बाढ़ के दौरान भोजन वितरित किया था। बांग्लादेश के सिलहट और सुनामगंज में लगातार भारी बारिश और भूस्खलन के कारण भयावह बाढ़ की स्थिति हो गई थी। इस स्थिति में इस्कॉन सिलहट ने मदद के लिए आगे आया था।

साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान ने लंबे समय से चले आ रहे उत्पीड़न के कारण पश्चिमी पाकिस्तान से स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। जवाब में पश्चिमी पाकिस्तानी सेना ने "ऑपरेशन सर्चलाइट" शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप नरसंहार, बड़े पैमाने पर विस्थापन और लाखों शरणार्थियों को भारत भागना पड़ा।

स्थिति से बहुत प्रभावित होकर 1 अगस्त 1971 को इस्कॉन ने बांग्लादेश के लोगों को भोजन कराने के लिए 25,000 डॉलर जुटाने के लिए एक संगीत कार्यक्रम आयोजन किया था। इस क्रार्यक्रम के जरिये लगभग 243,000 डॉलर और अंततः फिल्म और रिकॉर्ड की बिक्री से 14 मिलियन डॉलर जुटाए गए थे।

आइए अब जानते हैं इस्कॉन को निशाना बनाते कट्टरपंथियों के हमले की दर्दनाक कहानी ...

11 दिसंबर 2015 को बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले में मुस्लिमों ने इस्कॉन मंदिर पर गोलीबारी और बम विस्फोट किया, जिसमें दो श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

18 अक्टूबर 2016 को बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर में हिंदुओं और पास की मस्जिद से मुस्लिम भीड़ के बीच झड़प हुई थी। इसमें एक महिला सहित दस लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मुस्लिम भीड़ जुम्मा की नमाज से पहले मंदिर गई थी और उसने मंदिर के अधिकारियों से प्रार्थना के दौरान भक्ति गीत बंद करने को कहा था। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ और विवाद हिंसात्मक हो गया।

10 फ़रवरी 2020 को ढाका में इस्कॉन मंदिर पर हमला करने की साजिश रचने के आरोप में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। यह सभी आरोपी अंसार-उल-इस्लाम के सदस्यों थे। आरोपियों में निजाम उद्दीन (21), रेयान भुइयां (20), हनीफ उद्दीन सुमन (19), शेख इफ्तेखारुल इस्लाम (25) और मुफ्ती मुस्लिम उद्दीन (27) शामिल हैं।

15 अक्टूबर 2021 को नोआखली के इस्कॉन मंदिर पर हमला पर लगभग 500 कट्टरपंथियों की भीड़ ने हमला किया। इस हमले में पुजारियों और भक्तों को बुरी तरह पीटा, जिससे वें गंभीर रूप से घायल हुए। इतना ही नहीं कट्टरपंथियों ने एक भक्त की हत्या कर दी गई और उसके शव को तालाब में फेंक दिया गया। मंदिर के अंदर घुसकर हमलावरों ने सभी मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया था।

18 मई 2022 को बांग्लादेश के ढाका में इस्कॉन राधाकांता मंदिर में 200 लोगों की भीड़ ने घुसकर तोड़फोड़ की, जिसमें तीन श्रद्धालु घायल हो गए। इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा बढ़ाने का आह्वान किया।

5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश के मेहरपुर में इस्कॉन केंद्र में आग लगा दी गई। इस घटना में मंदिर की संपत्ति के साथ मंदिर में बनी भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा देवी की मूर्ति भी क्षतिग्रस्त हुई।

30 अक्टूबर 2024 को इस्कॉन प्रमुख चिन्मय दास और 19 हिंदू नेताओं के खिलाफ चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। इस्कॉन प्रमुख चिन्मय दास समेत 19 हिंदू नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने 25 अक्टूबर 2024 को चटगांव में आयोजित एक रैली में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया।

इस्लामवादी बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। 'इंकलाब मंच' नाम के जिहादी संगठन ने 4 नवम्बर 2024 को ढाका यूनिवर्सिटी में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए यह मांग की थी। जिहादी संगठन के सदस्यों ने घोषणा करते हुए कहा कि, वे इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर अदालत में याचिका भी दायर करेंगे।

देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को 25 नवंबर 2024 को एक अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया।

सेवा के बदले हमले और परोपकार के बदले देशद्रोह का आरोप...यह स्थिति है बांग्लादेश में इस्कॉन की। इस्कॉन से जुड़े भिक्षुओं को पुलिस जबरन गिरफ्तार कर रही है और उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी अब खतरे में है। यही सही समय है...कट्टरपंथियों का निशाना बनाए जा रहे इस्कॉन और हिन्दुओं को बचाने के लिए आवाज उठाने का। दिन पर दिन बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमले बढ़ते जा रहे हैं ऐसे में जरूरी है कि, भारत समेत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस ओर ध्यान दें।

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