श्रीराम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

श्रीराम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
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वेबडेस्क। बात करें श्रीराम जन्मभूमि पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में गुरुनानक देव जी का भी कई बार जिक्र है। अदालत के 1045 पन्नों के फैसले में एक गवाह के हवाले से यह कहा गया है कि सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी अयोध्या आए थे और उन्होंने भगवान राम के दर्शन भी किए थे। अयोध्या फ़ैसले की जो कॉपी है, उसमें पृष्ठ संख्या 991-995 में सिखों के प्रथम गुरु का जिक्र किया गया है। एक तरह से ये प्रमुख आधार रहा, जिसका संज्ञान लेते हुए अदालत ने यह माना कि बाबर के आक्रमण से वर्षों पहले भी अयोध्या एक तीर्थस्थल था और वहाँ पूजा-पाठ लगातार होते रहते थे। सुनवाई के दौरान कई सिख साहित्यों के आधार पर यह साबित किया गया कि गुरु नानक देव 1510-11 के आसपास भगवान श्रीराम का दर्शन, राम मंदिर में करने अयोध्या गए थे। जबकि बाबरी मस्जिद का निर्माण 1528 से 1530 के बीच माना जाता है।

अदालत के समक्ष प्रस्तुत ‘आदि साखी’, ‘पुरातन जन्म साखी’, ‘पोढ़ी जन्म साखी’ और ‘गुरु नानक वंश प्रकाश’ जैसे पवित्र पुस्तकों (गुरु नानक देव की जीवनी) के अनुसार गुरु नानक देव वर्ष 1507 (विक्रम संवत 1564) में भाद्रपद पूर्णिमा के दिन तीर्थाटन के लिए निकले थे। उससे पहले उन्हें भगवान श्रीराम का साक्षात्कार हो चुका था। उसके बाद वो दिल्ली से हरिद्वार और सुल्तानपुर होते हुए अयोध्या पहुँचे। उनका ये तीर्थाटन 3-4 सालों तक चला। वो 1510-11 (विक्रम संवत 1567-68) में अयोध्या पहुँचे। सुप्रीम कोर्ट ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि जब उनका ये दौरा हुआ, तब तक बाबर ने भारत पर आक्रमण नहीं किया था।

इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर यह भी पता चला कि बाद के दिनों में गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोविन्द सिंह जी भी भगवान श्रीराम का दर्शन करने अयोध्या पहुँचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि गुरु नानक देव जी द्वारा वहाँ जाकर दर्शन करना हिन्दुओं की आस्था और विश्वास पर मुहर लगाता है। कोर्ट ने यह भी माना कि बाबर के आक्रमण से पहले के कई धार्मिक दस्तावेज मौजूद हैं, जो जन्मभूमि की बात का समर्थन करते हैं।

यहाँ एक और महत्वपूर्ण तथ्य निहंग सिखों को लेकर है। नवम्बर 30, 1858 को अवध के थानेदार ने एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें उसने कहा था कि 25 निहंग सिख राम जन्मभूमि में घुस आए और उन्होंने वहाँ पर हवन किया। इन सिखों ने वहाँ की दीवारों पर ‘राम-राम’ लिखा और कई धार्मिक प्रक्रियाएँ पूरी करते हुए पूजा-पाठ भी की। इन साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि राम जन्मभूमि आंदोलन से पूरा भारत जुड़ा हुआ था। निहंग सिखों की गाथा गुरु गोविंद सिंह जी और उनके पुत्रों के बलिदानी तक जाती है।गुरु नानक देव जी द्वारा अयोध्या जाकर प्रभु श्रीराम का दर्शन करना और फिर निहंग सिखों द्वारा जन्मभूमि में राम की आराधना करने और वहां की दीवारों पर ‘राम-राम’ लिखने से यह पता चलता है कि राम जन्मभूमि से पूरे भारत के लोगों की भावनाएँ जुड़ी थीं।

अयोध्या कई धर्मों की पुण्य भूमि बन चुकी है। हिन्दू के अलावा जैन, बौद्ध और सिखों की यह पवित्र भूमि है। अयोध्या में मौजूद गुरुद्वारा श्री ब्रह्मकुंड साहिब के दर्शन करने के लिए देश और दुनिया के कोने-कोने से सिख श्रद्धालु आते हैं। ऐसी मान्यता है कि सिख समुदाय के पहले गुरु नानकदेव जी, नवें गुरु तेग बहादुर जीऔर दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने यहां गुरद्वारा श्री ब्रह्मकुंड साहब में ध्यान किया था।

गुरुद्वारा श्री ब्रह्मकुंड साहब में मौजूद एक ओर जहां गुरु गोविंद सिंह जी के अयोध्या आने की कहानियों से जुड़ी तस्वीरें हैं तो दूसरी ओर उनकी निहंग सेना के वे हथियार भी मौजूद हैं जिनके बल पर उन्होंने मुगलों की सेना से राम जन्मभूमि की रक्षार्थ युद्ध किया था। कहते हैं कि मुगलों से युद्ध लड़ने आई निहंग सेना ने सबसे पहले गुरद्वारा ब्रह्मकुंड साहब में ही अपना डेरा जमाया था। गुरुद्वारे में वे हथियार आज भी मौजूद हैं जिनसे मुगल सेना को धूल चटा दी गई थी। गुरुजी ने अयोध्या की रक्षार्थ निहंग सिखों का बड़ा-सा जत्था भेजा था जिन्होंने राम जन्मभूमि को युद्ध करके आजाद करवाया और हिन्दुओं को सौंपकर वे पुन: पंजाब वापस चले गए थे।

सिख गुरुओं की प्रभु राम और श्रीकृष्ण पर प्रगाढ़ आस्था इस बात से स्पष्ट होती है कि सिखों के पवित्र धर्मग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में राम शब्द का प्रयोग 2,533 बार किया गया है। सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला शब्द 'हरि' है, प्रयोग 8,344 बार किया गया है। 'गोविंद' शब्द का प्रयोग 475 बार, जबकि 'मुरारी' शब्द का प्रयोग 97 बार किया गया है।

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