स्वतंत्रता से अमृत महोत्सव तक की यात्रा और विश्व गुरु बनता भारत
वेबडेस्क। आजादी का अमृत महोत्सव एवं विश्व पटल पर चमकता भारत
"तुम न समझो देश को, स्वाधीनता यू ही मिली है,
हर कली इस बाग़ की, कुछ खून पीकर ही खिली है ।
मस्त सौरभ, रूप या जो रंग फूलों को मिला है,
यह शहीदों के उबलते खून का ही सिलसिला है ।
बिछ गए वे नींव में, दीवार नीचे गड़े हैं,
महल अपने, शहीदों की छातियों पर ही खड़े हैं ।
नींव के पत्थर तुम्हें सौगंध अपनी दे रहे हैं,
जो धरोहर दी तुम्हें, वह हाथ से जाने न देना ।
देश की स्वाधीनता पर आँच तुम आने न देना ।।"
श्रीकृष्ण सरल जी की यह पंक्तियां अपने देश के स्वतंत्रता इतिहास को प्रदर्शित करती है । आज हम आजादी की 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे, तो हमे इतिहास के उन पृष्ठों को जरूर पलटकर देखना चाहिए , जिन बलिदानीयों ने स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपने प्राणों को हंसते हंसते न्योछावर कर दिया जिस के परिणाम स्वरूप हम स्वतंत्र भारत को देख पा रहे है । साथ ही हमको उन लाखों-लाख स्वतंत्रता सेनानीयों के स्वप्न को भी स्मरण करना चाहिए जिन्होंने भारत स्वतंत्र होने के पश्चात भारत कैसा होगा उसकी कल्पना हमारे सामने रखी होगी । उनके स्वप्न के अनुसार अगर हम भारत को खड़ा कर पाए तो 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव मनाना सार्थक होगा एवं स्वतंत्रता के लिएबलिदान हुए क्रांतीकारीयों के प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।
भारत को स्वतंत्र कराने के लिए बलिदानीयों ने जो स्वप्न देखा था, उनके स्वप्न को साकार कर सके इसलिए हमें कृतसंकल्पित होकर कार्य करना होगा । साथ ही जिन्होनें देश को स्वतंत्रत कराने में बलिदान दिया उनका स्मरण निरंतर करते रहना चाहिए । वैसे तो मुगलों के आक्रमण आठवीं सदी से प्रारंभ हो गए थे परंतु उनको ग्यारवी सदी में आंशिक सफलता प्राप्त हुई परन्तु यह भी सत्य है मुगलों को इस देश के लोंगो ने कभी चेन नहीं लेने दिया, संघर्ष जारी रखा । यह देश का दुर्भाग्य ही था कि जब मुस्लिम सत्ता कमजोर हुई तो उनके स्थान पर अंग्रेजी राज्य भारत में स्थापित हो गया । यह क्यो हुआ इस विषम में न जाते हुए भारत को स्वतंत्रत कराने में जिन अबाल, वृद्ध, नौजवान, नारियों ने अंग्रेजों के विरूद्ध अपनी अवाज बुलंद कर देश की स्वतंत्रता काप्रयत्न किया उनकों स्मरण एवं उनके दिखाए मार्ग पर हम केसे चल सकते है इसका विचार हम सब ने करना चाहिए
अंग्रेजी सत्ता के विरूद्ध भारत में पहला संगठित प्रयत्न 1857 में हुआ, जिसने अंग्रेजी सत्ता को भारत की संगठित शक्ति का अहसास कराया था जबकि अंग्रेजों ने इस प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को गदर नाम देकर भारत के उस प्रयत्न को छुपाने का प्रयास किया लेकिन तो यह है कि यह संग्राम भारतीयों का अंग्रेजों के विरुद्ध एक योजनाबद्व प्रयास था। रोटी और कमल के द्वरा गांव-गांव जाकर व्यक्ति-व्यक्ति से मिलकर इसमें आम आदमी की सहभागिता सुनिश्चित की गई थी । इस स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार थे नानासाहेब पेशवा, तात्याटोपे, बहादुरशाह जफर , झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, बाबू कुवरसिंह , मंगल पांडे एवं अनंत योद्धा जिनके नाम मात्र से कई पुस्तके लिखी जा सकती है ।
1857 की क्रान्ति का व्यापक प्रभाव आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक रूप से था और इसमें हर वर्ग के लोंगो ने भाग लिया था , ऐसा अब आधुनिक इतिहासकार सिद्ध कर चुके हैं। अतः 1857 का स्वतंत्रता आंदोलन मात्र एक सैनिक विद्रोह नहीं वरन पूर्ण राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम था। यह अलग बात है इस स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीयों को सफलता नहीं मिली इससे भारत घोर निराशा में चला गया था लेकिन भारत के लोंगो ने स्वतंत्रता की उस आग को शांत नहीं होने दिया।चाहे वह उन्नीस साल का खुदिराम बोस हो जिसने अंग्रेज अधिकारी की बंघ्घी पर बम फेककर अनेक युवको को क्रांति के लिए प्रेरित किया , चाहे रामसिंह कूका हो जिसने पूरे पंजाब को अंग्रेजो के विरूद्ध खड़ा किया हो , चाहे भगतसिंह हो जिसने अंग्रेजों की बहरी सरकार के कान खड़े कर दिए हो , चाहे चन्द्रशेखर आजाद हो जिन्होने बचपन से लेकर युवा अवस्था तक अंग्रेजो को भयभीत करके रखा हो या सुभाषचंद्र बोस हो जिन्होने स्वतंत्र भारत की घोषणा कर पहली सरकार ही गठित कर दी हो या वीर विनायक दामोदर सावरकर हो जिन्होंने विदेशी भूमि पर रहकर स्वतंत्रता की चिंगारी को और तेज किया हो। इन सब से भयभीत, परेशान होकर अंग्रेजों को लगने लगा की अब हम अधिक दिनों तक भारत पर राज्य नहीं कर सकते इसलिए 15 अगस्त 1947 को उन्हे भारत को स्वतंत्र करना ही पड़ा ।
यहा स्वतंत्रता हमे भीख में नहीं मिली इसके लिए भारत ने जो स्वतंत्रता की लम्बी लड़ाई लड़ी चाहे वह क्रांति के माध्यम से हो या कांग्रेस के अंहिसा के मार्ग से इसे हमने अनगिनत बलिदानों के बाद प्राप्त कीया हैं, इसलिए हम सभी का दायित्व बनता है कि वर्तमान पिढ़ी को अपने पूर्वजों के उस संघर्ष को स्मरण कराते रहे। स्वतंत्रता के पश्चात जिन परिस्थियों से हम गुजरे उन्हे भी आज की तरुणाई को बताना ही होगा ।
भारत के स्वतंत्र होने से आज तक की यात्रा आसान नहीं रहीं है , देश की स्वतंत्रता के साथ ही भारत ने विभाजन की त्रासदी को झेला जो अकल्पनीय है, देश की स्वतंत्रता में जितने लोंगो ने अपना बलिदान नहीं दिया उससे अधिक पाकिस्तान बनने पर हुए दंगो में बलिदान हो गए , पाकिस्तान आज भी भारत के लिए एक बढ़ी समस्या बना हुआ है । हम सभी जानते है कि 1948,1965,1971 एवं 1999 में भारत को युद्ध भूमि में पाकिस्तान से सामना करना पड़ा है । चीन से 1962 , 1975 एवं 2020 में दो-दो हाथ कर भारत ने सामना किया हैं । भारत को इन 75 वर्षो में कई दंगे , बाढ़ , भूकंप अनेक प्राकृतिक आपदाओं से गुजरना पड़ा है । अपने देश का यह दुर्भाग्य रहा है कि अपने देश के दो
प्रधानमंत्रियों को हमने आतंकवादी बम धमाकों में खोया हैं । आतंकवाद भी अपने भारत के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है, लाखों-लाख लोग आतंकवादी घटनाओं के शिकार हुए। नक्सलवाद भी हमारे लिए एक चुनौती रहा , विदेश धन और विचार से पोषित नक्सलवाद के कारण कई क्षेत्र विकास से अवरुद्ध हुए है । विदेशी अनुदान द्वारा पोषित कई अराष्ट्रीय आंदोलनों ने भी भारत को अस्थिर करने का असफल प्रयास किया है । भ्रष्टाचार भी भारत के विकास में एक बहुत बड़ी बाधा रहा है जिससे आम जन में सरकारी व्यवस्था के प्रति अविश्वास पैदा हुआ है । इन सब के साथ ही इन 75 वर्षो में भारत ने अपनी प्रगति को भी निरंतर जारी रखते हुए अनेक सकारात्मक प्रयास द्वरा विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है । स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू हो या वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो, सबने इस देश की प्रगति के लिए अथक प्रयास कर भारत को विश्व में एक सशक्त देश के रूप में पहचान दिलाई है ।
देश की स्वतंत्रता के साथ ही भारत ने अपने चरण निरंतर आगे बढ़ाए है , देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने देश को आधुनिक बनाने के लिए जो काम किए उन्हें भुलाया नहीं जा सकता है, उन्होंने शिक्षा से लेकर उद्योग जगत को बेहतर बनाने के लिए कई कार्य किए उन्होंने आईआईटी, आईआईएम और विश्वविद्यालयों की स्थापना की साथ ही उद्योग धंधों की भी शुरूआत एवं भाखड़ा नांगल बांध, रिहंद बांध और बोकारो इस्पात कारख़ाने की स्थापना की थी । नेहरूजी ने पंचवर्षीय योजनाएं के माध्यम से कृषि सुधार, प्रति व्यक्ति आय , उधोग-धंधो में सुधार कर भारत को आगे बढ़ाने प्रयास किया । लालबहादुर शास्त्री जब प्रधानमंत्री बने पाकिस्तान ने भारत पर हवाई हमला किया तब तीनों सेना प्रमुखों ने उनसे पूछा: "सर! क्या हुक्म है ?" शास्त्रीजी ने एक वाक्य में तत्काल उत्तर दिया: "आप देश की रक्षा कीजिये और मुझे बताइये कि हमें क्या करना है ?" शास्त्री जी ने पूरे देश को साथ खड़ा करने के लिए "जय जवान-जय किसान" का नारा बुलंद किया । इससे भारत की जनता का मनोबल बढ़ा और सारा देश एकजुट हो गया । शास्त्रीजी को उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये आज भी पूरा भारत श्रद्धापूर्वक याद करता है।
इंदिरा गांधी जब देश की प्रधानमंत्री बनी तो उन्होंन भी देशहित में अनेक फेसले लिए । 19 जुलाई 1969 को बैंकों के राष्ट्रीयकरण का अध्यादेश , 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े कर बांग्लादेश का निर्माण, 1974 में परमाणु परीक्षण करके भारत को परमाणु शक्ति बनाने जेसे साहसीक कार्य उन्होंन किए एवं 1984 में ऑपरेशन मेघदूत द्वारा सियाचिन पर भारत का कब्जा करने जैसा महत्वपूर्ण कार्य किया ।भारतरत्न अटल बिहारी वाजपयी ने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार किया बल्कि समाज के वंचित वर्ग को ऊपर उठाने के लिए सामाजिक सुधार भी शुरू किए थे । तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने कई ऐसे महत्वपूर्ण कदम उठाए थे जिन्हें आज भी याद किया जाता है । 1998 में उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण, राजीव गाँधी द्वरा प्रारंभ दूरसंचार क्रांति के द्वितीय चरण को प्रारंभ कर अटलजी ने दूरसंचार क्रांति को गति प्रदान की , टेलीकॉम कंपनियों की कई नीतियां और कानून बनाए , भारत संचार निगम लिमिटेड के लिए एक अलग पॉलिसी , सर्व शिक्षा अभियान के द्वरा 4 6-14 वर्ष के बच्चों की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान को मौलिक अधिकार बनाया ।
स्वर्णिम चुतर्भुज योजना के तहत देश के बड़े शहरों को सड़क मार्ग से जोड़ने की शुरूआत, जिसे दुनिया के सबसे लंबे राजमार्गों में जाना जाता है, यह मुख्य रूप से राजमार्गों के एक नेटवर्क वाली योजना है जो देश के चार प्रमुख महानगरों को चार दिशाओं–दिल्ली (उत्तर), चेन्नई (दक्षिण), कोलकाता (पूर्व) और मुंबई (पश्चिम) में जोड़ता है–जिससे एक चतुर्भुज बन जाता है एवं गांवो को शहर से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री सड़क योजना गांव के विकास में नीव का पत्थर साबित हुई है। वर्तमान में अपने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से भारत तीव्र गति से विकास के पथ पर अग्रसर हे, नरेंद्र मोदी ने अनेक महत्वपूर्ण कार्य कर भारत को विश्व पटल पर एक सशक्त देश के रूप में स्थापित किया है उनके महत्वपूर्ण कार्यों में धारा 370 हटाना , लद्दाख को अलग राज्य एवं जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बनाना , तीन तलाक पर कानून, लम्बित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का समाधान, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री अवास योजना, स्वच्छ भारत योजना, जन धन खाता , राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेष ध्यान एवं विदेश नीति को मजबूती के साथ सफल किया और वर्तमान में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देकर जनता में विश्वास पैदा किया हैं । सभी के प्रयास से आज भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रेसर है ।
भारत आज विश्व का सबसे बडा लोकतान्त्रिक देश है, भारत दुनिया का एक मात्र ऐसा देश है जिसने अपनी स्वतंत्रता के बाद से ही अपने प्रत्येक व्यस्क नागरिक को मतदान का अधिकार दिया है । महिला राजनीतिज्ञों की सबसे अधिक संख्या भारत में है , पंचायतों में सबसे अधिक महिलाएं निर्वाचित हुई हैं, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और नेता विपक्ष समेत भारत में महिलाओं ने कई उच्च सरकारी पदों पर काम किया है। भारत अनेक क्षेत्र में दूनिया के अग्रणी देशों की सूची में आ चुका है । भारत की वैज्ञानिक क्षमता को आज दूनिया मान चुकी है ,आज हम अंतरिक्ष क्षेत्र के सबसे उन्नत राष्ट्रों में से एक हैं , वर्ष 1975 में भारत ने पहले अंतरिक्ष उपग्रह का डिजाइन तैयार किया था। इस उपग्रह का नाम महान भारतीय ज्योतिषाचार्य और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था। भारत ने अपने पहले ही प्रयास में चंद्रमा की पड़ताल के लिए भेजे जाने वाले चंद्रयान को लॉन्च करने में सफलता अर्जित की और चंद्रमा की मिट्टी में पानी के कणों की मौजूदगी की खोज की ।घरेलू संचार के लिए उपग्रह विकसित करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। मंगल ग्रह पर मंगलयान को सफलतापूर्वक स्थापित करना अपनी अंतरिक्ष शक्ति को प्रदर्शित करता हे , उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित करने की तकनीक में भारत अग्रणी देश बन चुका है इन सभी कार्यों का श्रेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) को जाता है।
भारत की सेना दुनिया की श्रेष्ठ सेना में स्थान रखती है , आज भारत के पास अत्याधुनिक शस्त्र, सैन्य विमान है । विश्व का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क भारत में है , दूध का सबसे बड़ा उत्पादन, गेहूँ एवं चावल का उत्पादन करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश भारत हे , भारत में थोरियम का सबसे बड़ा भंडार हैं । इन सबके पश्चात भी कुछ कार्य ऐसे है जो हमे करना हे या कहे कुछ चुनौतिया हे अब भी हमारे सामने खड़ी हैं । जातिवाद, स्वच्छता, समरसता, पर्यावरण, नशामुक्ति एवं लोंगो के नैतिक पतन को 5 रोकने जेसे विषयों को एक आंदोलन का रूप देकर हम सब को कई कार्य मिलकर करने होंगे, स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष में मना रहे अमृत महोत्सव में भारत को जगसिरमोर बनाने के लिए सभी को संकल्पबद्ध होना होगा। और भारत के प्रत्येक नागरिक द्वारा इसे अपना कर्त्तव्य मानकर सतत प्रयासरत होने की अवशयकता है , तभी हम दुनिया का नेतृत्व करने में सक्षम हो सकेंगे । "आज़ादी का पर्व, उचित है आज सगर्व मनाएँ हम, भवन-भवन पर ध्वज लहरा कर गीत विजय के गाएँ हम । दीप जलाएँ, नैन मिलाएँ नभ के चाँद-सितरों से, गूँज उठे धरती का कोना-कोना जय-जयकारों से ।"