भारत के अनमोल रत्न नरेंद्र मोदी
वेबडेस्क। लगभग 7 दशक बाद मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में चीतों की वापसी हो रही है। यह चीते और कोई नहीं, भारत के अनमोल रत्न कहे जाने वाले यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भागीरथी प्रयासों के चलते आ पा रहे हैं। सरसरी निगाह से देखें तो चीतों का आना कुछ लोगों के लिए एक सामान्य घटना हो सकती है। लेकिन भारतीय पर्यावरण की दृष्टि से यह कदम बेहद महत्वपूर्ण और सराहनीय है। चीतों का भारत आना इस देश और प्रकृति की दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण है, यह बात का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि श्री मोदी अपने जन्मदिन 17 सितंबर को चीतों का समूह श्योपुर जिले के कूनो अभ्यारण में छोड़ने पहुंच रहे हैं। यह अपने आप में देश और दुनिया को चौंका देने वाला फैसला है।
वैसे भी हमारे प्रधानमंत्री अपने नवाचारों से अक्सर देशवासियों और राजनेताओं को अचंभित करते रहे हैं। उदाहरण के लिए श्रीमती द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए राजग उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित करना, कश्मीर से धारा 370 हटाना, मुस्लिम महिलाओं के हित के लिए तीन तलाक पर अंकुश लगाना, अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर निर्माण की शिला रखना, ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय हैं, जिनके बारे में पूर्णता की कल्पना किया जाना भी असंभव कार्य प्रतीत होने लगा था। लेकिन जब लोगों ने इन सभी कार्यों को कल्पना के लोक से उतर कर धरातल पर साकार होते देखा तो एक नारा उभर के सामने आया - मोदी है तो मुमकिन है।
यह बात सही है कि नरेंद्र मोदी अनेक नामुमकिन समझे जाने वाले हिमालयीन लक्ष्यों को मुमकिन बनाते आए हैं। वे जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब वहां भयानक भूकंप ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया था। क्षेत्र विशेष में ऐसी विनाश लीला देखने को मिली जहां पूरा का पूरा शहर खंडहर और चलते-फिरते लोग लाश नजर आ रहे थे। किसी ने सोचा भी नहीं था कि साल बदलते बदलते मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उक्त शहर को पहले से भी अधिक सुंदर तथा सुविधा पूर्ण बनाकर खड़ा कर देंगे, लोगों के भावनात्मक जख्मों को भर पाएंगे। लेकिन उन्होंने ऐसा कर दिखाया। गोधरा कांड के बाद गुजरात में जो दंगे हुए वो ऐसी मिसाल स्थापित कर गए कि दंगाइयों ने उसके बाद फिर कभी गुजरात में सिर उठाने का जोखिम मोल नहीं लिया। यह चमत्कार भी तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ही रचा गया था। ऐसा भी नहीं है कि यह सभी चमत्कृत कार्य श्री मोदी ने राजनीति में प्रत्यक्ष आने के बाद ही शुरू किए हैं। इसके पहले भी आप बड़े बड़े कार्यक्रम सांगठनिक स्तर पर अंजाम देते आए हैं ।
गांधीनगर से शुरू होकर अयोध्या की ओर कूच करने वाली श्री लालकृष्ण आडवाणी की राम मंदिर यात्रा को कौन नहीं जानता। यही वह यात्रा थी जिसने भाजपा का राजनैतिक भाग्य सफलता के उच्च शिखर पर स्थापित कर दिखाया था। दरअसल उस यात्रा की रणनीति बनाने में श्री नरेंद्र मोदी का ही हाथ था। यही नहीं, जब भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुरली मनोहर जोशी ने श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने का संकल्प लिया और यात्रा पर निकले, तब उसकी सफलता के सूत्र भी नरेंद्र मोदी के हाथ में ही रहे। सब जानते हैं कि उक्त यात्रा ने भी यह साबित कर दिखाया कि भाजपा जो कहती है सो करती है। उस समय लाल चौक पर तिरंगा फहराने के साथ ही यह स्पष्ट हो गया था कि कश्मीर भाजपा के लिए केवल राजनीतिक नहीं बल्कि भावनात्मक मुद्दा ही है। यही वजह रही कि पूरे भारत ने उक्त यात्रा को गंभीरता से लिया और लोगों का मत आम चुनावों के दौरान मत पेटियों तक पहुंचकर भाजपा का भाग्य चमकाने लगा।
सवाल उठता है कि श्री नरेंद्र मोदी के अंतर्मन में इतने उच्च कोटि के विचार कहां से आकर स्थापित हुए होंगे। तो जवाब है कि उन्हें यह सब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मिला। श्री मोदी ने अपने पिता की चाय की छोटी सी दुकान से अपना सामाजिक और सार्वजनिक जीवन शुरू किया जो संघ के माध्यम से देश सेवा की ओर जुड़ता चला गया। आपने संघ के प्रचारक के रूप में केवल गुजरात में ही नहीं अपितु विभिन्न राज्यों में कार्य किया और संगठन के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपातकाल के दौरान आप भेष बदलकर उन लोगों को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराते रहे जो तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के निशाने पर हुआ करते थे। उनकी यह खूबी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उसकी राजनैतिक संतति जनसंघ और फिर 1980 में अस्तित्व में आई भारतीय जनता पार्टी को खूब भाईं। यही वजह रही कि जब गुजरात में राजनीतिक संकट गहराया तब संघ और भाजपा ने एक राय होकर संकटमोचक के रूप में आवाज दी और उन्हें प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में उतरने का आदेश दे डाला। यहां भी उन्होंने संगठन को निराश नहीं किया। सत्ता के सूत्र अपने हाथ में आते ही श्री मोदी ने राजनीति और शासन के बीच इतना शानदार समन्वय स्थापित किया कि तब से लेकर आज तक गुजरात में केवल और केवल भाजपा का ही शासन बना हुआ है।
केंद्रीय स्तर पर भी देखें तो श्री मोदी की वही ठोस कार्य प्रणाली दिखाई देती है, जिसके चलते 2014 और 2019 का चुनाव भारी बहुमत के साथ श्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही जीता जा सका है। अगले आम चुनाव को लेकर भी देश की धारणा स्पष्ट नजर आती है। क्योंकि श्री मोदी केवल भारत में ही नहीं अपितु दुनिया भर में देश का नाम ऊंचा, और ऊंचा करते चले जा रहे हैं। विदेशों में भले ही युद्ध आपदाओं का संकट हो, लेकिन वहां भी उन्होंने तिरंगे का महत्व इतना ऊंचा कर दिखाया है कि हमारा झंडा अब लोगों के लिए सुरक्षा कवच साबित होने लगा है। इसका उदाहरण यूक्रेन में देखा जा चुका है। अब चीन हमें आंखें नहीं दिखा पाता। रूस और अमेरिका हमारे साथ मित्रवत व्यवहार करने को विवश हैं। और तो और, दुनिया भर के मुस्लिम राष्ट्र के बड़े-बड़े सेनानायक और राष्ट्र अध्यक्ष श्री मोदी से हाथ मिला कर गौरवान्वित होते देखे जा सकते हैं। वे देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने सर्वाधिक मुस्लिम राष्ट्रों के बड़े से बड़े नागरिक सम्मान हासिल किए हैं। विश्व की महान शक्तियां भारत और भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को आशा भरी निगाहों से देखने लगे हैं। इन सभी खूबियों को देखा जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि श्री मोदी का जन्म देश सेवा के लिए ही हुआ है।
शायद यही वजह है कि अपने जन्मदिन के अवसर पर श्री मोदी बहुत बड़े ऐश्वर्य वैभवपूर्ण समारोह को आयोजित करने में प्रसन्नता का अनुभव नहीं करते। उनकी इसी भावना को ध्यान में रखकर भारतीय जनता पार्टी ने उनके जन्मदिन के अवसर को सेवा सप्ताह के रूप में मनाने का संकल्प लिया है। इस संकल्प को मध्य प्रदेश में खासकर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने चार चांद लगा दिए हैं। उन्होंने श्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना के मद्देनजर कूनो अभ्यारण में चीतों को अनुकूलता प्रदान करने जमीन आसमान एक कर दिया है। संभवत शिवराज सिंह चौहान की विश्वसनीयता का लोहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी माना है यही वजह है कि उन्होंने पूरे देश में मध्यप्रदेश के कूनो अभ्यारण्य को ही चीतों के लिए चुना है। देश में नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की जोड़ी ने सही मायने में डबल इंजन की सरकार के जनहित के महत्व को जमीन पर साकार कर दिखाया है। सभी को हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं।