भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बनाम स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री
प्रकाशित चित्र को देखकर अधिकतर पाठक भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू का नाम ही लेना चाहेंगे, क्योकि हम सबने बचपन से यही पढ़ा और सुना है। यह सच भी है कि जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी, लेकिन आप सबके लिए यह जानना रोचक हो सकता है वो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नहीं थे।
यकीन मानिए इस चित्र में एक नहीं भारत के दो-दो प्रधानमंत्री शामिल हैं, पहले सुभाष चंद्र बोस और दूसरे जवाहर लाल नेहरू। प्रकाशित चित्र में मालाओं से लदे फंदे सुभाष चंद्र बोस ने 1947 से पहले जब भारत की स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा भी नहीं हुई थी तभी आजाद हिन्द और उसकी अपनी फ़ौज की स्थापना कर ली थी।
उन्होंने 21 अक्टूबर, 1943 को आजाद हिन्द अर्थात स्वतंत्र भारत की एक सरकार का भी गठन किया था। जिसे विश्व के 7 देशों ने मान्यता भी प्रदान की थी। वह सात देश थे-जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, इटली, मानसूकू और आयरलैंड। इस सरकार के पास अपना बैंक था जिसने ₹10 के सिक्के से लेकर एक लाख तक के नोट जारी किए थे। इस सरकार के अपने डाक टिकट भी थे। इसका अपना झंडा भी था। यही तिरंगा जो तब ऐसे अब तक लगातार शान से लहरा रहा है। इस सरकार ने आपने नागरिकों के मध्य आपसी अभिवादन के समय 'जय हिंद' कहने का निर्णय भी लिया था।
हम आज भी गर्व से कह सकते हैं कि भारत के पहले प्रधानमंत्री द्वारा आपसी अभिवादन के लिए सुनिश्चित किये गए 'जय हिन्द' शब्द युग्म को आज भी अपने देश की गौरवमयी सेना, सशस्त्र अर्ध सैनिक बल और पुलिस बल के द्वारा पूर्ण निष्ठा के साथ अनुपालन किया जा रहा है। यह वर्ष सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती का वर्ष है तो हमें इस तथ्य पर गंभीरता से विचार जाने की आवश्यकता है कि स्वतंत्रता संग्राम के अमर नायक के रूप में जाने जाने वाले सुभाष चंद्र बोस को भारतीय इतिहास में क्यों नहीं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पुनर्लिखित कर नई पहचान प्रदान करें। सुभाष चंद्र बोस की 125 जयंती पर समूचे देश में जो कार्यक्रम मनाए जा रहे हैं, उसमें अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के आतिरिक्त सुप्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री काजोल को भी शामिल किया गया है।
(लेखक, वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी हैं।)