किडनी रोग : महामारियों से बड़ा खतरा

किडनी रोग : महामारियों से बड़ा खतरा
X
डॉ सुखदेव मखीजा

वेबडेस्क। मानव शरीर तथा अन्य विकसित जीवों में जैविक प्रक्रियाओं के सुचारू संचालन के लिए शरीर के आंतरिक वातावरण को सामान्य एवं असामान्य परिस्तिथियों में जीवन के अनुकूल होना अति आवश्यक है। ज्ञातव्य है कि किड्नी गुर्दे शरीर के उत्सर्जन तंत्र के ऐसे आंतरिक अंग हैं जो बायलोजीकल फिल्टर का अद्भुत कार्य करते हैं। इन अंगों पर इस विशेष जैविक प्रक्रिया को निरंतर संधारित करते रहने का महत्वपूर्ण दायित्व होता है, इसलिए किडनी का स्वस्थ होना तथा इसके कार्यों का सामान्य होना पूर्ण रूप से जीवनदायी है।

अंतर्राष्ट्रीय नेफ्रोलॉजी सोसाइटी तथा फेडरेशन ऑफ किडनी फाउन्डेशन के पटल पर किडनी विज्ञान से सबंधित उपलब्ध जानकारी के अनुसार विश्व में लगभग दस में से एक व्यक्ति किडनी कार्य हीनता के असाध्य रोग से ग्रस्त है। आधुनिक जीवन शैली के हानिकारक प्रभावों से उत्पन्न रोगों विशेषकर उच्च रतचाप, मधुमेह, कैंसर आदि की श्रंखलाओं में निरंतर विस्तार तथा औषधियों के अनियंत्रित उपयोग के कारण किडनी को एयूट तथा क्रोनिक दोनों रूप से हानि पहुंचाने की परिस्तिथियों में निरंतर वृद्धि हो रही है। इस विश्व व्यापी जटिल रोग के प्रभाव से न केवल रोग ग्रस्त व्यति एवं उनके परिवार आर्थिक तथा सामाजिक संकटों से पीडि़त हो रहे हैं अपितु रोग निदान एवं विशेष उपचार की व्यवस्थाओं के लिए शासकीय संस्थाओं को भी अतिरिकत वितीय भार को वहन करना पड़ रहा है।

इन महत्वपूर्ण तथ्यों के प्रति जन सामान्य, सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं तथा शासकीय विभागों को स्थानीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर जागरूक एवं सचेत करते हुए किडनी रोगों की रोकथाम का प्रयास करना विश्व किडनी दिवस का प्रमुख जन अभियान है। इन्टरनेशल सोसाइटी ऑफ़ नेफ्रोलॉजी तथा इंटरनेशल फेडरेशन ऑफ किडनी फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में विश्व किडनी दिवस प्रतिवर्ष मार्च माह के दूसरे गुरूवार को आयोजित किया जाता है। इस वर्ष यह दिवस 10 मार्च 2022 को मनाया जा रहा है। इसका प्रथम आयोजन वर्ष 2006 में 66 देशों में हुआ था, वर्तमान में विश्व के लगभग 200 देशों से सबंधित नेफ्रोलॉजी सोसाइटी, शैक्षणिक संस्थानों, स्वास्थ्य समितियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से इस दिवस के अवसर पर व्यापक रूप से विविध गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

आयोजन के उद्देश्य -

मानव शरीर में स्वस्थ गुर्दों (किडनी) की भूमिका तथा इससे संबंधित रोगों की रोकथाम के प्रति जन सामान्य में जागरूकता का प्रचार प्रसार करना। शासकीय एवं निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य नीतियों के माध्यम से किडनी रोग उपचार की सुविधाओं का विस्तार कराना। किडनी रोगों के निदान एवं उपचार की आधुनिक नवीनतम तकनीक से चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को अवगत कराना एवं प्रशिक्षित करना। इस वर्ष हेतु घोषित इस आयोजन का मुख्य सन्देश है। स्वस्थ किडनी हेतु जन जागरूकता। इस आयोजन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं- वर्तमान में विश्व के लगभग 85 करोड़, 850 मिलियन व्यति विभिन्न प्रकार के किडनी रोगों से प्रभावित हैं। दस में से एक वयस्क दीर्घकालीन''क्रोनिक किडनी रोग से ग्रस्त है। विभिन्न चिकित्सीय सर्वे अध्ययनों के अनुसार वर्ष 2015-16 में जनसंख्या के आधार पर किडनी रोगों का प्रतिशत विश्व में लगभग 10 प्रतिशत, विकसित देशों में 20 प्रतिशत तथा एशिया में 17 प्रतिशत था। रोग वृद्धि की वर्तमान दर के आधार पर वर्ष 2040 तक यह रोग विश्व का पांचवां मुख्य जीवन घातक रोग हो सकता है। विश्व में लगभग 197 मिलियन (19.70 करोड़) महिलाएं क्रोनिक दीर्घकालिक किडनी रोगों से ग्रस्त हैं। महिला मृत्यु के दस प्रमुख कारणों में इस रोग का स्थान आठवां है। इस गंभीर जटिल रोग के कारण विश्व में प्रतिवर्ष लगभग छ: लाख महिलाओं की मृत्यु होती है। एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के अविकसित एवं विकासशील देशों में यह संया अत्यधिक होती है।

समस्या निराकरण हेतु विशेष उपाय -

स्वयं सेवी संगठनों के माध्यम से विशेषकर महिलाओं, वृद्धजनों को व्यतिगत स्वास्थ्य विशेष कर ''यूरिनरी हाईजीन के प्रति सचेत करना। क्रोनिक किडनी रोग के प्रति जनसामान्य में जागरूकता उत्पन्न करना। रोग की प्रारंभिक अवस्था में शीघ्र निदान एवं उचित समय पर उपचार की सुविधा उपलब्ध कराना।

(लेखक साहित्यकार एवं पूर्व चिकित्सा प्राध्यापक हैं)

Tags

Next Story