जानिए क्या है घरेलू हिंसा, पीड़ित महिला को कैसे मिलता है न्याय

जानिए क्या है घरेलू हिंसा, पीड़ित महिला को कैसे मिलता है न्याय
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प्रशान्त अग्निहोत्री, वरिष्ठ अधिवक्ता, म. प्र उच्च न्यायालय

वेबडेस्क। देश में घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि हो रही है। राष्‍ट्रीय मह‍िला आयोग के अनुसार साल 2022 में महिला अपराधों के अलग-अलग मामलों में 30,900 केस दर्ज हुए थे। जिसमें से 23 फीसदी मामले सिर्फ घरेलू हिंसा के है। रिपोर्ट्स की माने तो देश में हर घंटे करीब 20 महिलाएं किसी ना किसी तरिके से घरेलू हिंसा की शिकार होती है। जिनमे से करीब 10 फीसदी मामले ही बाहर आ पाते है।


मप्र हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत अग्निहोत्री ने बताया की घरेलू हिंसा क्या होती है और एक महिला कैसे शिकायत कर सकती है और उसके क्या अधिकार होते है।

घरेलू हिंसा क्या है?

घरेलू हिंसा अर्थात् कोई भी ऐसा कार्य जो किसी महिला एवं बच्चे (18 वर्ष से कम आयु के बालक एवं बालिका) के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन पर संकट, आर्थिक क्षति और ऐसी क्षति जो असहनीय हो तथा जिससे महिला व बच्चे को दुःख एवं अपमान सहन करना पड़े, इन सभी को घरेलू हिंसा के दायरे में शामिल किया जाता है।घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत प्रताड़‍ित महिला किसी भी वयस्क पुरुष को अभियोजित कर सकती है अर्थात उसके विरुद्ध प्रकरण दर्ज करा सकती है।

भारत में घरेलू हिंसा के विभिन्न रूप

भारत में घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के अनुसार, घरेलू हिंसा के पीड़ित के रूप में महिलाओं के किसी भी रूप तथा 18 वर्ष से कम आयु के बालक एवं बालिका को संरक्षित किया गया है। भारत में घरेलू हिंसा के विभिन्न रूप निम्नलिखित हैं-

  • बच्चों के विरुद्ध घरेलू हिंसा- हमारे समाज में बच्चों और किशोरों को भी घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है। वास्तव में हिंसा का यह रूप महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बाद रिपोर्ट किये गए मामलों की संख्या में दूसरा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों तथा भारत में उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के परिवारों में इसके स्वरूप में बहुत भिन्नता है। शहरी क्षेत्रों में यह अधिक निजी है और घरों की चार दीवारों के भीतर छिपा हुआ है।
  • बुजुर्गों के विरुद्ध घरेलू हिंसा- घरेलू हिंसा के इस स्वरूप से तात्पर्य उस हिंसा से है जो घर के बूढ़े लोगों के साथ अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा की जाती है। घरेलू हिंसा की यह श्रेणी भारत में अत्यधिक संवेदनशील होती जा रही है। इसमें बुजुर्गों के साथ मार-पीट करना, उनसे अत्यधिक घरेलू काम कराना, भोजन आदि न देना तथा उन्हें शेष पारिवारिक सदस्यों से अलग रखना शामिल है।

घरेलू हिंसा के कारण -

  • ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के साथ घरेलू हिंसा के कारणों में बाल श्रम, शारीरिक शोषण या पारिवारिक परंपराओं का पालन न करने के लिये उत्पीड़न, उन्हें घर पर रहने के लिये मजबूर करना और उन्हें स्कूल जाने की अनुमति न देना आदि हो सकते हैं।
  • गरीब परिवारों में पैसे पाने के लिये माता-पिता द्वारा मंदबुद्धि बच्चों के शरीर के अंगों को बेचने की ख़बरें मिली हैं। यह घटना बच्चों के खिलाफ क्रूरता और हिंसा की उच्चता को दर्शाता है।
  • वृद्ध लोगों के खिलाफ घरेलू हिंसा के मुख्य कारणों में बूढ़े माता-पिता के ख़र्चों को झेलने में बच्चे झिझकते हैं। वे अपने माता-पिता को भावनात्मक रूप से पीड़ित करते हैं और उनसे छुटकारा पाने के लिये उनकी पिटाई करते हैं।
  • विभिन्न अवसरों पर परिवार के सदस्यों की इच्छा के विरुद्ध कार्य करने के लिये उन्हें पीटा जाता है। बहुत ही सामान्य कारणों में से एक संपत्ति हथियाने के लिये दी गई यातना भी शामिल है।

घरेलू हिंसा के प्रभाव

  • बालिकाएं नकारात्मक व्यवहार सीखती हैं और वे प्रायः दब्बू, चुप-चुप रहने वाली या परिस्थितियों से दूर भागने वाली बन जाती हैं।
  • प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि हिंसा की शिकार हुई महिलाएँ समाजिक जीवन की विभिन्न गतिविधियों में कम भाग लेती हैं।

समाधान के उपाय

हमारी सलाह के अनुसार, यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि घरेलू हिंसा के सभी पीड़ित आक्रामक नहीं होते हैं। हम उन्हें एक बेहतर वातावरण उपलब्ध करा कर घरेलू हिंसा के मानसिक विकार से बाहर निकल सकते हैं।


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