लोकल से ग्लोबल तक आत्मनिर्भर भारत !

लोकल से ग्लोबल तक आत्मनिर्भर भारत !
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स्वदेश वेबडेस्क। भारत समेत पूरा विश्व इस समय कोरोना संकट से जंग लड़ रहा है। कोरोना के कारण विश्व के ज्यादातर देशों में लॉकडाउन लागू है, जिसके कारण सभी उद्योग–धंधे एवं आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद है। इस बंद के कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा चुकी है। इस चरमरा चुकी अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस पैकेज के जरिए न सिर्फ एक लंबी आर्थिक छलांग का मंच तैयार किया है, बल्कि ज्यादा अवसरों को पैदा करने और स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने का रास्ता भी तैयार किया है। मोदी ने इस आर्थिक पैकेज की घोषणा से न केवल चैकाया बल्कि एक सकारात्मक सन्देश भी दिया है कि, आपदा को अवसर में बदलना है। जिसके लिए उन्होंने आत्मनिर्भर भारत का संकल्प व्यक्त किया है। इस बड़े राहत पैकेज से भारत में लोगों को कामकाज करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और यह कोशिश की जाएगी कि अगले कुछ सालों में भारत अपनी जरूरत की अधिकतर चीजों के लिए खुद पर निर्भर हो जाए। इस आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत देश के 130 करोड़ भारतवासियों को आत्मनिर्भर बनाने की नींव रखी गई है।

पीएम ने कहा कि, हम आपूर्ति की उस व्यवस्था को मजबूत करेंगे जिसमें देश की मिट्टी की महक और मजदूरों के पसीने की खुशबू होगी। उन्होंने कहा कि, देश में जब कोरोना संकट शुरू हुआ तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनता था, N-95 मास्क का नाममात्र का उत्पादन होता था। आज भारत में हर दिन दो लाख पीपीई किट और दो लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। भारत को स्वदेशी के दम पर आत्मनिर्भर बनना होगा और लोकल को प्रति वोकल होना होगा। यानी जितना हो सके हमें भारत में बने प्रोडक्ट्स और सेवाओं का इस्तेमाल करना होगा। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉज सभी पर बल दिया गया है।

सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में कदम बढ़ाते हुए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव रखते हुए सरकार ने हर सेक्टर को ध्यान में रखा है। इस पैकेज के जरिए किस प्रकार सरकार आत्मनिर्भर भारत का सपना देख रही है आइए जानते हैं-

किसान होंगे आत्मनिर्भर

कोरोनावायरस की बड़ी मार किसानों पर पड़ी है। इस हिसाब से आत्मनिर्भर भारत अभियान में तीन करोड़ किसानों को 4.22 लाख करोड़ रुपये का कृषि लोन दिया गया है। इसमें 3 महीने तक उन्हें लोन वापस करने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही इंटरेस्ट सब्वेंशन और तुरंत लोन चुकाने के इंसेंटिव के रूप में मिलने वाली सुविधा 31 मई 2020 तक बढ़ा दी गई है।

आत्मनिर्भर किसान, समृद्ध भारत

आत्मनिर्भर भारत अभियान में मोदी सरकार ने किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हाथ में अधिक पैसे पहुंचाने की कोशिश की है। सरकार ने बताया है कि मार्च और अप्रैल के बीच ₹86,600 करोड़ रुपये के 63 लाख लोन कृषि क्षेत्र में दिए गए हैं। इसके साथ ही सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की रिफाइनेंसिंग के लिए नाबार्ड ने ₹29,500 करोड़ दिए हैं। इसके साथ ही राज्यों को रूरल इन्फ्राट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के लिए ₹4200 करोड़ की मदद दी गई है।

शहरी गरीब बनेंगे आत्मनिर्भर-

भारत सरकार ने बताया है कि पिछले 2 महीने के दौरान प्रवासी मजदूर और शहरी गरीब लोगों के लिए कई उपाय किए गए हैं जिससे उन्हें कोरोना के बाद के दौर में जीने में आसानी हो। इसमें प्रवासी मजदूर के रहने के लिए स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड के रकम के उपयोग की इजाजत दी गई है जिससे कि उनके लिए खाने और पानी की व्यवस्था की जा सके। केंद्र सरकार ने राज्यों को ₹11000 करोड़ दिए हैं, जिससे कि वह स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड की मदद से इनके लिए काम कर सकें। अर्बन होमलेस सेंटर्स में रहने वाले लोगों के लिए दिन में तीन बार खाने की व्यवस्था की गई है। 12,000 सेल्फ हेल्प ग्रुप ने तीन करोड़ मास्क और सवा लाख लीटर सेनेटाइजर बनाए हैं। इसके माध्यम से भी शहरी गरीबों को काम उपलब्ध कराने की कोशिश की गई है।

मनरेगा में बढ़ा आवंटन

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के इस दौर में बहुत से प्रवासी मजदूर अपने घर वापस जा रहे हैं। उन्हें उनके घर पर ही काम मिल सके इसके लिए सरकार ने मनरेगा के माध्यम से बड़ी पहल की है. मोदी सरकार ने बताया है कि 13 मई तक मनरेगा में 14.62 करोड़ मानव दिवस काम बनाया गया है। इस तारीख तक वास्तव में मनरेगा पर खर्च ₹10,000 करोड़ हो चुका है, अब तक देश के 1.87 लाख ग्राम पंचायत में 2.33 करोड़ लोगों ने काम के लिए आवेदन किया था जिन्हें काम मिल गया है। पिछले साल की तुलना में इस साल मई में 50 फ़ीसदी तक ज्याDदा लोगों ने मनरेगा में काम के लिए आवेदन किया है।

नए लेबर कोड से मिलेगी मदद

केंद्र सरकार ने नया लेबर कोड लाकर श्रमिकों के हित में एक बड़ा काम किया है। सरकार ने कहा है कि नए लेबर कोड की वजह से पूरे देश में एक जैसी न्यूनतम मजदूरी की व्यवस्था करने में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही सभी श्रमिकों को समय पर भुगतान कराने में भी मदद मिलने की उम्मीद है। इस समय न्यूनतम वेतन का फायदा सिर्फ 30 फीसदी श्रमिक उठा पाते हैं। इसके साथ ही सभी मजदूरों को नियुक्ति के लिए अपॉइंटमेंट लेटर दिया जाएगा। इसके साथ ही हर इम्पलॉई का सालाना हेल्थ चेकअप अनिवार्य कर दिया जाएगा।

MSME के तहत की गई 16-घोषणाएं

कोविड-19 ने देश और देश दुनिया के सामने बहुत से संकट खड़े किए हैं और चुनौती के समय में देश को अग्रसारित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सूक्ष्म लघु मध्यम वर्गीय गृह उद्योग (MSMEs)के लिए निम्नलिखित 16 घोषणाएं की है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के लाभार्थी

• देश का गरीब नागरिक ।

• श्रमिक ।

• प्रवासी मजदूर ।

• पशुपालक ।

• मछुआरे ।

• किसान ।

• संगठित क्षेत्र व असंगठित क्षेत्र के व्यक्ति ।

• काश्तकार ।

• कुटीर उद्योग ।

• लघु उद्योग ।

• मध्यमवर्गीय उद्योग ।

PM Modi राहत पैकेज के लाभ

• 10 करोड़ मजदूरों को लाभ होगा ।

• MSME से जुड़े 11 करोड़ कर्मचारियों को फायदा ।

• इंडस्ट्री से जुड़े 3.8 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचेगा ।

• टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े 4.5 करोड़ कर्मचारियों को लाभ पहुंचेगा |

• ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे MSME के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है |

• इस आर्थिक पैकेज से गरीब मजदूरों, कर्मचारियों के साथ ही होटल तथा टेक्सटाइल जैसी इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को फायदा होगा।

आत्मनिर्भर भारत अभियान राहत पैकेज के अंतर्गत महत्वपूर्ण क्षेत्र

• कृषि प्रणाली (Reformation Of Agricultural Supply Chain & System) ।

• सरल और स्पष्ट नियम कानून (Rational Tax System) ।

• उत्तम आधारिक संरचना (Reformation Of Infrastructure) ।

• समर्थ और संकल्पित मानवाधिकार ( Capable Human Resources) ।

• बेहतर वित्तीय सेवा (A Good Financial System) ।

• नए व्यवसाय को प्रेरित करना (To Motivate New Business) ।

• निवेश को प्रेरित करना (Provide Good Investment Opportunities) ।

• मेक इन इंडिया (Make In India Mission) ।

क्यों जरूरी है आत्मनिर्भरता ?

दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ते जाने का सबसे बड़ा कारण है, इसके किसी इलाज का न होना। इसलिए कोरोना से जंग में मास्क, सेनिटाइजर और पीपीई किट ही इसके हथियार हैं। भारत में भी एकाएक जब कोरोना के मामले बढ़ने लगे तो मास्क , पीपीई किट और सेनिटाइजर की आवश्यकता बढ़ने लगी। भारत ने अपनी इस कमी को पूरा करने के लिए अन्य देशों से पीपीई किट, मास्क , सेनिटाइजर का आयात करना शुरू कर दिया। लेकिन कोरोना के मामले लगातार बढ़ते गए और पीपीई किट समेत मास्क की जरूरत भी बढ़ती गई। भारत ने जो किट आयात भी की थी वो खराब भी निकल गई। ऐसी स्थिति में भारत की महिलाओं ने मोर्चा संभाला और खुद ही पीपीई किट, मास्क व सेनिटाइजर का उत्पादन करना शुरू कर दिया। और केवल दो ही महीनों में भारत ने न केवल अपनी जरूरत के मुताबिक इसका निर्माण कर लिया अपितु भारत दुनिया का ऐसा देश बन गया है जहां चीन के बाद सबसे ज्यादा पीपीई किट बनाए जाते हैं। इसे ही पीएम मोदी ने आपदा को अवसर में तब्दील करना कहा है। भारत ने इतने कम समय में अपनी क्षमता का जो अभूर्तपूर्व प्रदर्शन किया है। उससे यह बात तो साफ है कि भारत को यदि सही दिशा मिल जाए तो वो दिन दूर नहीं जब न केवल अपनी जरूरतों को पूरा कर रहा होगा, अपितु अन्य देशों को सामान निर्यात भी कर रहा होगा। इस तरह से भारत को जो अन्य देशों से आयात करने के कारण व्यापार घाटा उठाना पड़ता था वो कम होगा। साथ ही देश में रोजगार का सृजन भी होगा।

भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में उठे कदम

सरकार ने अपनी तरफ से तो आत्मनिर्भरता अभियान का बिगुल बजा दिया है, अब उसे अन्य लोगों का साथ भी मिल रहा है।

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म लॉन्च करेगी पतंजलि , बिकेंगे सिर्फ स्वदेशी उत्पाद

योग गुरु बाबा रामदेव ने भी स्वदेशी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ई-कॉमर्स पोर्टल लॉन्च करने का फैसला किया है। जिसमें केवल स्वदेशी उत्पादों की बिक्री की जाएगी। इस पोर्टल को आर्डर मी (OrderMe) के नाम से लॉन्च किया जाएगा। इस पोर्टल पर पतंजलि के अलावा अन्य स्वदेशी उत्पादों की भी बिक्री होगी।

https://economictimes.indiatimes.com/hindi/news/baba-ramdev-patanjali-will-launch-e-c ommerce-portal-for-swadeshi-products/articleshow/75754038.cms

ग्लोबल टेंडरों पर लगाई रोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' पर अमल करते हुए शिवराज सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए ग्लोबल टेंडरों पर रोक लगा दी है। मध्यप्रदेश सरकार अब ऐसा कोई भी उपकरण नहीं खरीदेगी, जिसकी आपूर्ति विदेश से होती हो। देश में बनने वाले उपकरण ही लिए जाएंगे। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत के तहत पैकेज का लाभ प्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को दिलाने के लिए भी रणनीति बनाई गई है। 'कोई नहीं रहेगा बेरोजगार, सबको मिलेगा रोजगार' अभियान के तहत मनरेगा के जॉब कार्ड बनाए जाएंगे।

https://www.naidunia.com/madhya-pradesh/bhopal-aatm-nirbhar-bharat-ban-on-global-tenders-in-madhya-pradesh-state-government-will-buy-equipment-made-in-india-5580830

'आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश' अभियान

इसके साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए शिवराज सरकार 'आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश' अभियान चलाएगी। अभियान के तहत सरकार विभिन्न स्थानीय उत्पादों को ब्रांड मध्य प्रदेश के नाम से स्थापित करने का काम करेगी। चाहे मध्य प्रदेश के कृषि उत्पाद हों या फिर वनोपज, सबको मध्य प्रदेश ब्रांड के नाम से बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा। इसी तरह सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को भी इस अभियान से जोड़कर नई दिशा दी जाएगी।

https://www.naidunia.com/madhya-pradesh/bhopal-shivraj-government-to-start-self-reliant-madhya-pradesh-campaign-5579980

'मेक इन इंडिया' की तर्ज पर 'इन्वेंट इन इंडिया' का नारा बुलंद करने का सही समय - डॉ. रघुनाथ माशेलकर

पीएम मोदी के आह्वान का व्यापक समर्थन भी देखने को मिल रहा है। देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि, अब चीन से लोगों का मन उचट चुका है। भारत के लिए इस समय 'मेक इन इंडिया' की तर्ज पर 'इन्वेंट इन इंडिया' का नारा बुलंद करने का सही समय है। भारत में अच्छी गुणवत्ता के टिकाऊ और सस्ते उत्पाद तैयार करने की क्षमता है।

https://www.jagran.com/maharashtra/mumbai-dr-raghunath-mashelkar-says-now-invent-in-india-should-be-our-objective-20296059.html

लावा ने चीन से समेटा अपना कारोबार

आत्मनिर्भर अभियान के चलते मोबाइल उपकरण बनाने वाली घरेलू कंपनी लावा इंटरनेशनल भी चीन से अपना कारोबार समेट कर भारत ला रही है। भारत में हाल में किए गए नीतिगत बदलावों के बाद कंपनी ने यह कदम उठाने का फैसला किया है। कंपनी ने अपने मोबाइल फोन डेवलपमेंट और मैनुफैक्चरिंग ऑपरेशन को बढ़ाने के लिए अगले पांच साल में 800 करोड़ रुपए के निवेश की योजना भी बनाई है। कंपनी का यह सपना भी है कि चीन को भारत से मोबाइल डिवाइस एक्सपोर्ट किए जाएं।

लावा इंटरनेशनल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक हरी ओम राय ने अपने इस फैसले पर कहा था, ''उत्पाद डिजाइन के क्षेत्र में चीन में हमारे कम से कम 600 से 650 कर्मचारी हैं। हमने अब डिजाइनिंग का काम भारत में स्थानांतरित कर दिया है। भारत में हमारी बिक्री जरूरतों को स्थानीय कारखाने से पूरा किया जा रहा है।" https://publish.twitter.com/?

query=https://twitter.com/LavaMobile/status/1261668772382863362&widget=Tweet

आत्मनिर्भर अभियान का विज्ञापन पर दिख रहा है असर

पीएम मोदी द्वारा चलाए जा रहे आत्मनिर्भर भारत अभियान का असर अब सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे विज्ञापनों में भी दिखने लगा है। लंबे समय से मार्किट में काबिज कई स्वदेशी कंपनियां आज #Goforlocal #Vocalforlocal के जरिए अपने उपभोक्ताओं के साथ संबंध स्थापित कर रही हैं।

Parle –g

आत्मनिर्भर अभियान को समर्थन देने के लिए ही कई स्वदेशी कंपनियां भी अपने विज्ञापन के जरिए, लोकल के लिए वोकल का नारा बुलंद कर रही है। Parle बिस्किट अपने विज्ञापनों में भारत का अपना बिस्किट व #Vocalaboutlocal के जरिए लोगों के बीच जाकर प्रचार कर रहा है। और लोगों से कह रहा है कि खरीदने से पहले यह जरूर चेक कर ले कि ब्रांड स्वदेशी हो। भारत के स्वदेशी ब्रांड को अपना समर्थन दीजिए। जैसी की Parle–g भारत का अपना बिस्किट।

https://publish.twitter.com/?query=https://twitter.com/officialparleg/status/1263460381953007620&widget=Tweet

Parle agro

Frooti का उत्पादन करने वाली Parle agro भी अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स के जरिए #vocalforlocal कैपेन चली रही है।

https://publish.twitter.com/?query=https://twitter.com/Parle_Agro/status/1262661497898954752&widget=TweetBata

Bata

जूता बनाने वाली कंपनी बाटा, भले ही एक विदेशी कंपनी है लेकिन काफी लंबे से भारत में अपना कारोबार जमाए हुई है। बाटा को भारत में व्यापार करते हुए 89 साल हो चुके हैं। बाटा भारत में 1931 से अपना कारोबार जमाए हुए है। अब बाटा अपने सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर लोगों के बीच जा रही है।

We have kept the essence of Indian craftsmanship at the heart of our shoe-making for over 89 years now. We began our journey in India in 1931 with our Batanagar factory and we have now 4 factories across the country that contribute to the footwear requirement of crores of Indians and India's self-reliance story.

Dabur

इसी तरह भारत की आयुर्वेदिक दवा कंपनी डाबर इंडिया लिमिटेड भी #vocalforlocal कैपेन चला रही है।

Bee healthy, bee #Swadeshi ! @DaburIndia #Honey is proud to source its product from local apiarists, and urges you to support and consume products by home-grown, local businesses. Share this message to go #VocalForLocal! #DaburHoney #SelfReliantBharat #AatmaNirbharBharat

हालांकि ऐसा नहीं है कि पीएम मोदी ने पहली बार भारत में स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया है। इससे पहले भी उनका यह प्रयास रहा है कि, भारत के उद्योगों को अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले। इसी को देखते हुए आत्मनिर्भरता भारत अभियान के जरिए एक बार फिर स्वदेशी वस्तुओं के प्रति उन्होंने आह्वान किया है। पीएम मोदी ने बताया कि, आत्मनिर्भर भारत पांच स्तंभों पर खड़ा होगा। इनमें पहला पिलर ऐसी इकोनॉमी का होगा, जो इंक्रीमेंटल चेंज के बजाय क्वांटम जंप लाए। वहीं, दूसरा पिलर आधुनिक भारत की पहचान बनने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर का होगा। तीसरे पिलर के तौर पर एक ऐसा सिस्टम होगा, जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहीं बल्कि 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली टेक्नोलॉजी ड्रिवन व्यवस्थाओं पर आधारित हो। आत्मवनिर्भर भारत का चौथा पिलर हमारी डेमोग्राफी है। दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में हमारी वाइब्रेंट डेमोग्राफी हमारी ताकत है. आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है। पांचवां पिलर डिमांड का होगा। उन्हों ने कहा कि, हमारी अर्थव्यवस्था के डिमांड और सप्लाई चेन के सर्किल को पूरी क्षमता से इस्तेमाल करने की जरूरत है. देश में डिमांड बढ़ाने के लिए, डिमांड को पूरा करने के लिए हमारी सप्लाई चेन के हर स्टेकहोल्डर का सशक्त होना जरूरी है। उन्हों ने सप्लाई चेन और आपूर्ति व्यवस्था में स्थाकनीय चीजों को तव्वकजो देने की बात की।

सरकार द्वारा की गई घोषणाएं देश में क्रांतिकारी दौर की शुरुआत कर चुकी है। सरकार कई सारे रिफॉर्म कर रही है, हर सेक्टर में पैसा लगा रही है, साथ ही कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध करवा रही है। अब इस अभियान की सफलता को सफल बनाने में आमजन और स्वदेशी कंपनी को अपनी भूमिका निभानी है। जहां जनता से यह अपेक्षा रहेगी की वह स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं, वहीं स्वदेशी कंपनी की यह जिम्मेवारी बनती है कि अच्छी क्वालिटी की वस्तुएं उपलब्ध कराए, जिससे लोग आकर्षित हों तथा अपनी पसंद अर्थात बाई च्वाईस उसे खरीदें।

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