अंत्योदय से आत्मनिर्भर भारत तक: “दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर आगे बढ़ती सरकार” - शिवप्रकाश, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, भाजपा
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११ फरवरी को भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय का मृत शरीर तत्कालीन मुगलसराय जंक्शन (अब पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन) पर पाया गया। वह १९६७ का साल था। केरल के कालीकट अधिवेशन में देश भर से आए हुए भारतीय जनसंघ के कार्यकर्ताओं ने उन्हें अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना था।
वामपंथी प्रभाव वाले राज्य केरल में जनसंघ के कार्यकर्ताओं ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की भव्य शोभायात्रा निकालकर राजनीतिक क्षेत्र में चुनौती देने का कार्य किया था। राजनीतिक धरातल पर उभरती भारतीय जनसंघ की यह चुनौती ही उनकी हत्या का कारण बनी जो अभी तक अनसुलझी गुत्थी है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म २५ सितंबर १९१६ को श्री भगवती प्रसाद एवं श्रीमती रामप्यारी देवी के परिवार में उनके नानाजी पं. चुन्नीलाल शुक्ल के घर हुआ था।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेधावी छात्र थे। बचपन से ही कठिनाइयों में पले दीनदयाल जी संघर्षमय जीवन के प्रतीक थे । वह १९३७ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए। संघ की विचारधारा एवं कार्य पद्धति से प्रभावित होकर १९४२ में वह संघ के प्रचारक बन गये। सादगी, कठोर परिश्रम , कुशाग्र बुद्धि , लेखक एवं राजनीतिक दूर दृष्टि जैसे अनेकों गुणों से विभूषित उनका जीवन था।
भारतीय विचारो के आधार पर राजनीतिक क्षेत्र में एक नए विकल्प के रूप में स्थापित भारतीय जनसंघ के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन लगाया था। स्वतंत्रता के पश्चात हमारे देश के विकास का मॉडल क्या हो इस विषय पर विचार करने वाले श्रेष्ठ महानुभव विदेशी विचारो के अनुपालन में ही देश की समस्याओं का समाधान खोज रहे थे।
उक्त समय में दीनदयाल जी ने कहाँ कि हमारे लिए विदेशी भूमि पर फलित पूंजीवाद , साम्यवाद एवं समाजवाद तीनों ही विचार उचित नहीं है। भारत का एक दीर्घकालिक राजनीतिक जीवन है। अंततः हमें हमारे देश के विकास के लिए विदेशी नकल नहीं अपितु भारतीय संस्कृति एवं मूल्यों के आधार पर पोषित राजनीतिक चिंतन का अनुसरण करना चाहिए।
गहन अध्ययन के उपरांत इसी भारतीय चिंतन को उन्होंने “एकात्म मानववाद” के रूप में प्रस्तुत किया। आज अपने देश ही नहीं संपूर्ण बल्कि विश्व के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन एवं उनके द्वारा प्रस्तुत विचार एकात्म मानववाद, शोध का विषय बना है। भारत में स्थापित केंद्र की सरकार एवं अनेक राज्यों में गठित भाजपा की सरकारे उनके द्वारा प्रस्तुत विचार के आधार पर लोक कल्याणकारी नीतियों के माध्यम से समाज की सेवा में जुटी है ।
व्यक्ति , परिवार, समाज , प्रकृति सभी परस्पर जुड़े हैं यह एकात्म दृष्टि उनके विचार के केंद्र में थी इसीलिए उनकी मान्यता थी कि हमारी आर्थिक नीतिया रोजगार प्रदान करने वाली एवं पर्यावरण का पोषण करने वाली होनी चाहिए। व्यक्ति शरीर , मन , बुद्धि एवं आत्मा से युक्त है , इसीलिए व्यक्ति का विकास केवल भौतिक विकास तक सीमित नहीं, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास भी चाहिए।
सरकार की नीतियों का मूल्यांकन उनके द्वारा गरीब कल्याण कितना हुआ इस आधार पर करना चाहिए इसी को उन्होंने अंत्योदय के सिद्धांत के रूप में अपने चिंतन में रखा। राष्ट्र प्रथम के आधार पर सुरक्षित एवं समृद्ध राष्ट्र बनाना यह उनका संकल्प था।
सार संक्षेप में यदि कहना हो तब गरीब कल्याण, रोजगार परक, विकेंद्रित, पर्यावरण का पोषण करने वाली अर्थव्यवस्था हमारी नीतियों का आधार हो। राष्ट्र को सुरक्षित रखते हुए हम अपनी संस्कृति का गौरव लेकर विश्व में अपने राष्ट्र को श्रेष्ठ बनाएं इसी लक्ष्य के लिए उन्होंने अपना जीवन भारत मां के चरणों में समर्पित किया।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अंत्योदय ( ग़रीब कल्याण) को शासन की नीति का आधार माना। उन्होंने कहा रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई एवं दवाई यह सुविधा सभी के लिए उपलब्ध होनी चाहिए। पंडित दीनदयाल जी के जीवन एवं विचारों को आदर्श मानकर २०१४ में बनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार एवं राज्यों में बनी भाजपा सरकारों ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए।
१९६७ कोलकाता अधिवेशन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने कहा था कि “राष्ट्र केवल भौतिक संसाधनों से नहीं बनता , बल्कि उसमें बसने वाले हर नागरिक के आत्मनिर्भर बनने से बनता है। हमें आत्मनिर्भर भारत के लिए हर व्यक्ति को सशक्त बनाना होगा।”
दीनदयाल जी के इसी विचार का अवलंबन करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि "आत्मनिर्भर भारत केवल सरकार की नीति नहीं, बल्कि १३० करोड़ भारतीयों का संकल्प है। यह आत्मनिर्भरता हमें वैश्विक स्थिरता और समृद्धि में योगदान देने योग्य बनाएगी।"
गरीब कल्याण के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में 80 करोड लोगों को मुफ्त राशन की गारंटी, वन नेशन वन राशन के माध्यम से देश के सभी स्थानों पर मजदूरों को राशन की सुविधा, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुविधा, प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि द्वारा ११ करोड़ किसानों को आर्थिक सहयोग, टेक्सटाइल उद्योग में अनेकों योजनाएं तथा कपड़ा क्षेत्र में लगे उद्योगों एवं मजदूरों के कल्याण का प्रयास, खादी खरीद का आह्वान कर खादी को प्रोत्साहन जिसके कारण खादी बिक्री में चार गुना वृध्दि अभिनंदनीय प्रयास है ।
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत गरीबों को लगभग ३.२५ करोड़ पक्के घर उपलब्ध करा कर घर की महिलाओं को चाभी सौपने का सहरानीय कार्य किया। सस्ते मकान उपलब्ध कराने के लिए मध्यम एवं निम्न वर्ग के परिवार को ४ % के दर से सस्ते ब्याज की सुविधा से गरीब का अपने घर का सपना साकार हो रहा है।
आयुष्मान योजना के माध्यम से 50 करोड लोगों को 5 लाख के मुफ्त उपचार के माध्यम से स्वस्थ जीवन प्रदान करने का कार्य सरकार कर रही है। जन औषधि केंद्रों से सस्ती दवाई उपलब्ध कराने का काम भी हो रहा है । इस योजना के अंतर्गत अब तक सामान्य व्यक्तियों की लगभग ३०,००० करोड़ की बचत हुई है। जल जीवन मिशन में १५ करोड़ घरों में स्वच्छ जल पहुचाने का कार्य हुआ है।
गरीब कल्याण के अनेक प्रयासों का परिणाम है कि गत १० वर्षों में लगभग २५ करोड़ गरीब, ग़रीबी रेखा के ऊपर आ चुके हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि “यदि भारत जैसा सामरिक महत्व की स्थिति वाला देश सैनिक दृष्टि से आत्मनिर्भर हो जाए तब विश्व की शांति को भंग करने की संभावना भी कम हो जाएगी ।”
सैन्य दृष्टि से भारत को सुरक्षित करने के अनेक प्रयास विगत् १० वर्षों में मोदी सरकार ने किए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक लंबित राफेल की माँग को पूर्ण करना , हल्के लड़ाकू विमान तेजस का निर्माण , भारत में निर्मित सैनिकों को बुलेट प्रूफ जैकेट उपलब्ध कराकर सैनिकों को सुरक्षा का आश्वासन, वन रैंक वन पेंशन की पूर्व सैनिकों की लंबित मांग को पूर्ण कर , पूर्व सैनिकों के पुनर्वास की व्यवस्था के लिए योजना कर सैनिक कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किया हैं।
रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में हमारे प्रयासों का परिणाम है कि इस वर्ष तक १६००० करोड़ का निर्यात हमने किया है । २०२५ में ४१००० करोड़ के लक्ष्य को आधार मानकर हम कार्य कर रहे हैं ।
अंत्योदय के क्षेत्र में अनेक योजनाओं के माध्यम से गरीबों की सेवा एवं उत्थान , आत्मनिर्भरता तथा स्वदेशी के आधार पर सैन्य क्षेत्र के उपकरण निर्माण एवं वर्तमान सैनिकों, पूर्व सैनिकों के कल्याण की योजनाओं द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों की पूर्णता की ओर हमनें कदम बढ़ाया है ।
हम ग़रीब कल्याण, सुरक्षा , विरासत एवं अपने सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण तथा संवर्धन के लिए भी संकल्पबध्द है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर उनके विचारों को साकार करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है ।
शिवप्रकाश
राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री
भाजपा