और क्या चाहते थे गुलाब ?
ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। कहते हैं राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। जिस व्यक्ति को भरपूर मान-सम्मान मिला और समाज का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया,लाल बत्ती से नवाजा गया। इतना सब कुछ मिलने के बाद उस व्यक्ति की और क्या चाहत थी कि वह उस पार्टी को अलविदा कह जाए जिसने उसे इतने ऊंचे पायदान पर पहुंचाया।यह किसी को हजम नहीं हो रहा। हम बात कर रहे हैं मूलत: भिंड के और यहां तानसेन रोड पर रहने वाले किरार समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य डॉ. गुलाब सिंह किरार की। जिन्होंने अचानक भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया। भाजपा में रहते उन्हें जहां राज्यमंत्री स्तर का दर्जा देकर लाल बत्ती से नवाजा गया। वही व्यापम जैसे जघन्य मामले में कहीं न कहीं सरकार के कारण बचते रहे।इस सब के बावजूद अचानक डॉ. सिंह ने भाजपा को अलविदा कह इंदौर में कांग्रेस की गोदी में बैठना पसंद किया। इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं।यहां बता दें कि डॉ. गुलाब सिंह किरार समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और प्रदेश सरकार ने उन्हें मध्य प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य बनाया था।जब व्यापम मामला बड़े जोरों से गूंज रहा था और एक-एक कर सारे सफेदपोश जेलयात्रा कर रहे थे, तब सिर्फ सरकार के कारण डॉ. गुलाब सिंह पर पुलिस ने फंदा नहीं कसा,बल्कि वे बड़े ही शान से बत्ती लगाकर भी घूमते रहे।उनकी यह लालबत्ती सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं उतरी और वे इस बत्ती को लगाए सरेआम घूमते देखे गए, जिससे वे कई अखबारों की सुर्खियों में आए। इस बीच उन्होंने विधानसभा चुनाव घोषित हो जाने के बाद पोहरी क्षेत्र से भाजपा से टिकट चाहा।
हालांकि दोनों ही पार्टियों में अभी टिकटों पर मंथन चल रहा है और दोनों ही दलों ने टिकट की घोषणा नहीं की है।लेकिन डॉ. सिंह को लगा कि भाजपा उन्हें पोहरी से टिकट नहीं देने वाली। बस यहीं से उनका मन डांवाडोल हुआ और वे सीधे इंदौर जा पहुंचे।वहां राहुल गांधी, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दीपक बाबरिया, सुरेश पचौरी के समक्ष कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की। इस मामले में जब स्वदेश ने डॉ. सिंह से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि वे समाजहित में भाजपा में आए थे, लेकिन उनके मूल में कांग्रेस है,वे कांग्रेस संस्कृति से जुड़े हुए हैं और अर्जुन सिंह के समय कांग्रेस के लिए कार्य करते थे।अब अपने घर वापस आकर अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि समाज हित में और पिछड़ा वर्ग के लिए कोई काम संभव नहीं हो पा रहा है।वही किसान आत्महत्या कर रहे हैं, महिलाओंं पर अन्याय हो रहा है, आमजन पर झूठे मुकदमे, जहां तक की धारा 302 लग रही हैं। इसलिए मैं मानसिक वेदना से त्रस्त था, मन दुखी था इसलिए मूल पार्टी में बिना शर्त वापस आया हूं। उन्होंने स्वीकारा कि वे पोहरी से टिकट चाहते थे,लेकिन अभी किसी पार्टी ने टिकटों का ऐलान नहीं किया है।इसलिए यह आरोप बेबुनियाद है कि भाजपा से टिकट न मिलने पर मैं कांग्रेस में आ गया। उन्होंने कहा जहां तक व्यापम मामले की बात है तो मेरे ऊपर एफआईआर होने के बाद सीबीआई ने जांच की, जिसमें आरोप निराधार पाए गए। अब मैं अपनी मूल पार्टी में रहकर ही समाज सेवा का काम करूंगा। यहां बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी धर्म पत्नी के साथ कई बार उनके घर जा चुके। साथ ही कई शादी समारोह में भी उनके साथ रहे। जिससे इनकी प्रतिष्ठा में चार चांद लगे और आज इन्हीं गुलाब सिंह ने मुख्यमंत्री की दी प्रतिष्ठा का ध्यान नहीं रखा।