फिर से लौट रहा है भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग!
18वें एशियाड में इस बार भारतीय हॉकी टीम कुछ अलग अंदाज में नजर आ रही है। पूल-ए में भारत ने कोरिया को 5-3, जापान को 8-0, हॉन्गकॉन्ग को 26-0, इंडोनेशिया को 17-0 और एशियाड के 10वें दिन श्रीलंका को 20-0 से पराजित किया है इस तरह 18वें एशियन खेल में भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने अब तक 76 गोल दागे हैं और विरोधियों को मात्र 3 गोल करने दिए हैं। एक के बाद एक बड़ी जीत से भारतीय टीम का मनोबल बढ़ा है तो यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय हॉकी का फिर से स्वर्णिम युग लौटने लगा है। हालाकि कुछ खेल विशेषज्ञों का मानना है भारतीय हॉकी टीम मजबूत स्थिति में है और विरोधी टीमें हॉकी में उतनी निपुण नहीं हैं। लेकिन कुछ खेल विशेषज्ञों की मानें तो एशियाड जैसे खेलों में भाग लेने वाली सभी टीमों को खेल की समझ और कौशल की जानकारी होती है। जो जीत का अंतर इस एशियाड में देखने को मिल रहा है उससे तो लगता है कि भारत का वह पुराना हॉकी स्वर्णिम युग वापस लौट रहा है।
हॉकी इण्डिया ने बदली कार्यप्रणाली
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के देश में हॉकी ने लगभग दम तोड़ ही दिया था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हॉकी इण्डिया के अध्यक्ष नरेन्द्र बत्रा ने पूरी कार्यप्रणाली में बदलाव कर दम तोड़ चुकी हॉकी में एक नई जान फूंकने का काम किया है। जहां पहले सबजूनियर, जूनियर और सीनियर हॉकी टीमों के प्रशिक्षण शिविर साल में एक-दो बार लगते थे वहीं अब सबजूनियर, जूनियर और सीनियर हॉकी खिलाडिय़ों की चार-चार टीमें बनाई जाती हैं, और साल में 5-6 बार प्रशिक्षण शिविर लगाकर उनको तैयार करने का काम किया जाता है। परिणाम हमारे सामने हैं और जल्द ही विश्व पटल पर भी भारतीय टीम अपना परचम लहराएगी।
खेलमंत्री ने हॉकी इण्डिया को दिया विशेष प्रोत्साहन
देश में पहली बार मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में विदेशों की तरह एक खिलाड़ी (ओलम्पिक पदक विजेता राजवर्धन सिंह राठौर) को खेलमंत्री बनाकर ऐतिहासिक कार्य किया था, तो खेलमंत्री ने उनके विश्वास को भलीभांति निभाने की पूरी कोशिश भी की। खेलमंत्री के अथक प्रयासों का ही परिणाम है जो हॉकी इण्डिया को खुले हाथ से काम करने का मौका मिला और हॉकी इण्डिया के अध्यक्ष ने कार्यप्रणाली को बदलकर कार्य को अंजाम दिया।