जीवन रोपण आजादी के अमृत महोत्सव में ग्वालियर के फेफडे का पौधरोपण उत्सव
वेबडेस्क। आज़ादी के अमृत महोत्सव को प्रकृति के साथ जोड़कर ग्वालियर के फेफडे जनअभियान पौधरोपरण उत्सव करने जा रहा है जहां देश स्वतंत्रता की 75 वीं वर्ष गाँठ मनाने जा रहा है वहीं जन अभियान इस पावन श्रावण मास में हरियाली अमावस्या से हरियाली तीज तक क्रम बद्ध पौधरोपरण कर प्रकृति वंदना का अपना दायित्व निभाने के लिए संकल्पित है एक ओर जहां ये पौधे वृक्ष का आकार लेंगे वहीं इस महोत्सव का असल महत्व होगा हम देशवासियों को यह संकल्प लेना ही होगा कि पर्यावरण और वसुधा का संतुलन क़ायम रहे
हरियाली अमावस्या प्रकृति वंदना का उत्सव -
सावन के महीने की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाते हैं इस दिन पौधरोपरण करने से बहुत पुण्य प्राप्त होता पूर्वजों की स्मृति में पौधरोपरण का विशेष महत्व होता है अपनी राशि के अनुसार पौधरोपरण करने से कुंडली के दोष दूर होते हैं वरन हरियाली भी सुखकारी होती है पवित्र श्रावण मास में जब प्रकृति से आच्छादित धरा हरितिमा युक्त हो ह्दय को शीतल करती है तब यह पर्व हम सनातनी परंपरा के साथ मनाते हैं शिव और पार्वती अर्थात प्रकृति और परमेश्वर की साधना का यह पर्व एक ओर शिवमय करता है वहीं सृष्टि की उपासना कर धर्म लाभ दिलाता है
हरियाली अमावस्या और ग्वालियर के फेफडे जनअभियान का अद्भुत संयोग है इसी दिन इस जीवन रोपने के अभियान का जन्म हुआ हम प्रकृति को पूजने वाले अर्थात जीवन की पूजा करने वाली परंपरा से आते हैं हम वन वृक्ष पर्वत सरिता सागर जीव जंतु जिसमें जीवन है उसकी परेमश्वर सृदश पूजा करते आ रहे हैं इस दिन वरुण देवता की पूजा
पौधरोपरण कर प्रकृति वंदना का विशेष महत्व है । जब साँसों पर गहन संकट आया तो साँसों की स्थिरता के लिए संकल्प लिया कि ऐसा वृहद अभियान जिससे लाखों पौधे रोपे जा सकें और साँसों पर आया अंधेरा दूर किया जा सके तब ग्वालियर के फेफडे जनअभियान का जन्म हुआ और गत वर्ष की हरियाली अमावस्या पर श्री सिद्श्वर मंदिर पर 501 पौधे रोपने के लिए समाज एकत्र हो गया और पौधरोपरण का यह अभियान सभी के प्रयासों से जनअभियान में बदल गया मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जनअभियान के साथ पौधरोपरण कर कहा कि आप जीवन रोप रहे हैं हमारे अभियान के आव्हान पर समाज जन्मदिन विवाह वर्षगाँठ स्वजनों की स्मृति श्रीमद् भागवत कथा कोई भी ऐसा अवसर उस पर पौधरोपरण करने लगा प्रकृति की वंदना का आद्यात्म और पुराणों में भी महात्म बताया गया है इसलिए इस कलिकाल में पौधरोपरण साक्षात श्री राम की आराधना स्वरूप है इस हरियाली अमावस्या 28 जुलाई 2022 पर भी वृहद पौधरोपरण करने हम जा रहे हैं पवित्र श्रावण मास में पौधरोपरण कर प्रकृति के संरक्षण के दायित्व का निर्वहन कर शिव और शक्ति की उपासना का धर्म लाभ प्राप्त करें
हरियाली तीज का पौराणिक महत्व एवं पौधरोपरण -
हरियाली तीज श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में मनाई जाती है यह दिन विशेष महत्व का है इस दिन प्रकृति पुरुष श्री शिव जी ने माँ पार्वती को पत्नि के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था जैसा कि आप जानते हैं कि शिव और पार्वती प्रकृति और परमेश्वर का ही रूप हैं और श्रावण का माह इसी लिए शिव को प्रिय है और प्रकृति के आभूषण वृक्ष ही होते हैं शिव को अपनी पूजा में बिल्व पत्र धतूरा आँकड़ा जैसे वृक्ष के फल और लता पत्ते प्रिय लगते हैं प्रकृति के द्वारा प्रदत्त सरिता पर्वत झरने और उन में पड़ा हर एक कंकर शिव का ही स्वरूप बताता है उनकी पूजा हम शिव समृश ही कर ते आ रहे हैं हरियाली तीज का यही महत्व हमें प्रकृति से जोड़े हुए
मैंने प्रकृति वंदना के लिए लिखा
प्रकृति ही भगवान है
कण कण में श्री राम हैं
बूँद बूँद से घट भरे
और पेड़ पेड़ से वन
करते रहोगे रे प्राणी
तुम जो यही जतन
तभी धरा पर रह पाऐगा
मानव का जीवन
एक वृक्ष दस पुत्र समान हरियाली सुख की पहचान -
ग्वालियर के फेफडे जनअभियान का यह ब्रह्म वाक्य अर्थात पंच लाइन है जो हमारी प्रतिबद्धता को बताती है कि स्कंद पुराण एक वृक्ष को दस पुत्र समान मानता है और हम जानते हैं कि हरियाली सुख ही देती है इसी सुख के लिए जो कि भौतिक नहीं अपितु अलौकिक है इस हेतु हम प्रयत्नशील हैं कि कैसे अधिक से अधिक पेड़ लगा पाऐं जिससे जीवन के लिए प्राणवायु अमृत जल निर्वाध प्राप्त होता रहे इसी विचार को पुष्ट करने के लिए यह जनअभियान कर्मशील है।