क्रांति गाथा का विस्मृत अध्याय : अंग्रेजों की असेम्बली में बम विस्फोट का ग्वालियर में हुआ था पूर्व परीक्षण
वेबडेस्क। क्रांतिनायक सरदार भगतसिंह एवं क्रांतिवीर बटुकेश्वरदत ने अंग्रेजों के दमनकारी "ट्रैड डिस्पुट बिल तथा पब्लिक सेफ्टी बिल" के विरोध में ब्रिटिश सेंट्रल असेम्बली(वर्तमान संसद भवन) में8 अप्रैल 1929 के दिन बम विस्फोट किया था जिसका पूर्व परीक्षण क्रांति के महानायक चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व में ग्वालियर मध्य भारत में किया गया था |
तत्कालीन ग्वालियर राज्य के स्थानीय प्रशासन में अंग्रेजी प्रशासन का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप न होने के कारण ग्वालियर अंचल क्रांतिकारी योजनाओं का गुप्त केंद्र था | यहाँ क्रांति सैनानी चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल,अशफाक उला खान,राजगुरु,सुखदेव तथा जतीन्द्रदास को अंचल के क्रांतिकारियों भगवानदास माहौर, सदशिव मलकापुरकर, गजाननपोतदार सहित अनेक स्थानीय देशभक्तों का सहयोग मिलता रहा| चंद्रशेखर आजाद का लगभग चार माह तक ग्वालियर के जनकगंज में प्रवास रहा | इस दौरान उनके निर्देश पर बमविस्फोटक के परीक्षण की योजना के लिएभगवानदास माहौर, सदशिव मलकापुरकर और गजानन पोतद्दार नेतत्कालीन विक्टोरिया कालेज (वर्तमान महारानी लक्ष्मीबाई महाविद्यालय) में प्रवेश लिया|
विज्ञान के विद्यार्थी सदाशिव मलकापुरकर तथा गजानन पोतदारकालेज की विज्ञान प्रयोगशाला से पुटेशियम नाईट्रेट, सल्फर,फोस्फोरोसआदि विस्फोटक पदार्थ जनकगंज के एक सूने खँडहर मकान में ले आए | जतिनदास ने उन्हें सिगरेट के डब्बे में बम बनाने का प्रशिक्षण दिया| इसदेसी बम का परिक्षण चन्द्रवदनी बस्ती में भगवानदास माहौर के किराए के मकान के पीछे पहाड़ी परकिया गया| बाद में इस परीक्षण के आधार पर लाहौर में बम बनाया गया जिसका विस्फोट सरदार भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 केदिनदिल्ली की ब्रिटिश असेम्बली में कर के अंग्रेज सरकार को हिला कर क्रांति काएक अविस्मरणीय इतिहास रचा | इस सम्बन्ध में यह भी याद रखने योग्य हैकि दोअंग्रेजों के दो धनवान गुलाम ठेकेदारों , सरदार शोभा सिंह(प्रसिद पत्रकार स्व.खुशवंतसिंह के पिता) तथा सेठ शादीलाल की गवाही के आधार पर दोनों क्रांतिवीरों को आजन्म कारावास का दंड दिया गया लेकिनसांडर्स हत्या के आरोप में वीर सरदार भगतसिंह को वीर सुखदेव एवं वीर राजगुरु के साथफांसी दे दी गयी | जय हिन्द |
सन्दर्भ: ग्वालियर के क्रांति इतिहास से सम्बंधित विभिन्न एतिहासिक स्त्रोत