अमृत अटल : वह वाणी, वह मौन ! - यशवंत इंदापुरकर

अमृत अटल : वह वाणी, वह मौन ! - यशवंत इंदापुरकर
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बाएं से दाएं : श्री यशवंत इन्दापुरकर, स्व. श्री मानिक चन्द्र वाजपेयी जी, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी

अटल जी का व्यक्तित्व इतना विशाल है कि उन्होंने बच्चों को भी प्रभावित किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्यभारत प्रान्त के सह कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर जी ने अपने बाल्यकाल से जुड़े एक संस्मरण का उल्लेख अमृत अटल में किया है। उनके घर में संघ - जनसंघ का वातावरण होने के कारण बाल्यकाल से ही अटल जी हमारे नायक थे। उनको देखने, मिलने , सुनने का अवसर हमारे लिए अवर्णनीय आनंद का अवसर होता था। आपातकाल की काली छाया में 1977 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान किशोरों की टोली ने अटल बिहारी बोल रहा है - इंदिरा शासन डोल रहा है।, अटल बिहारी संघर्ष करो , और देश का नेता केस हो , जैसे नारे लगाकर चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया था।

आपातकाल के ही एक और संस्मरण का उल्लेख करते हुए यशवंत जी ने लिखा कि अचानक मालूम चला कि अटल जी हम सबसे मिलने हमारे घर आ रहे हैं ( तब मेरे पिताजी श्री माधव शंकर इंदापुरकर बेगमगंज रायसेन की जेल में मीसाबंदी थे, और अटल जी स्वास्थ्य कारणों से चलते पेरोल पर छूटकर ग्वालियर आये थे ) , अटल जी के आने के सूचना पर आसपास के लोग भी इकठ्ठा हो गए। अटल जी आये और स्वभावानुसार सबसे अनौपचारिक पूछताछ बातचीत करने लगे। धीरे धीरे आपातकाल का तनाव काम होकर वातावरण सहज हो चला था। तब अटल जी ने पास ही खड़े छोटे से बालक से पूछा , तुम्हारा नाम क्या है , उसने बताया अतुल रमाकांत तारे ( अतुल तारे, आज स्वदेश के समूह संपादक हैं ) . अटल जी ने फिर प्रश्न किया कहाँ पढ़ते हो - बालक ने कहा सरस्वती संघ ( एक समाजसेवी संस्था द्वारा इस नाम से विद्यालय चलाया जाता था ) . अटल जी ने तत्काल चुटकी ली," अरे तुम्हारे नाम में संघ है फिर भी इंदिरा गाँधी ने तुम्हारा विद्यालय बंद नहीं कराया। ' बालक तो जो समझा सो समझा लेकिन वहां उपस्थित सभी लोग अटल जी के उस व्यंग पर ठहाके लगा उठे।

एक और अन्य संस्मरण के उल्लेख करते हुए यशवंत जी ने लिखा कि दिल्ली एम्स में मध्यप्रदेश में भारतीय जनसंघ और भाजपा के आधार स्तम्भ रहे स्व नारायण कृष्ण शेजवलकर वहां गंभीर अबस्था में भर्ती थे। तब अटल जी प्रधानमंत्री थे, वे शेजवलकर जी को देखने एम्स पहुंचे। वहां पहुंचकर अटल जी ने शेजवलकर जी का हाथ अपने हाथों में थाम लिया। अटल जी मौन थे और शेजवलकर जी भी कुछ कहने की अवस्था में नहीं थे किन्तु अटल जी के बोलते नेत्रों और स्पर्श ने वह सब कह दिया जो शायद वाणी की सामर्थ्य से परे था। उनका मुखमण्डल बता रहा था कि अपने पांच दशक के सहयोगी की पीड़ा देखकर अटल जी द्रवित हो उठे थे। कुछ ही समय के बाद अटल जी ने पास ही खड़े शेजवलकर जी के बेटे विवेक शेजवलकर ( वर्तमान ग्वालियर महापौर ) और अन्य परिजनों से शेजवलकर जी के स्वास्थ्य के विषय जानकारी हासिल करते हुए माहौल को सहज किया।

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