कोरोना की वजह से ऑक्सीजन की कमी साफ संकेत है की पर्यावरण को भी बचा लो
वेबडेस्क। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के साथ ही प्राणवायु ऑक्सीजन की किल्ल्त से हाहाकार मच गया। कई लोगों ने समय पर ऑक्सीजन ना मिल पाने से जान गंवा दी। कोरोना की वजह से सामने आई ऑक्सीजन की कमी साफ संकेत हैं की अब समय पर्यावरण को बचाने का है। महामारी के दौर में जीवन की रक्षा के लिए लोग हजारों रूपए देकर कृत्रिम ऑक्सीजन खरीद रहें है। वृक्ष जो हमें मुफ्त प्राणवायु प्रदान करते है और जानलेवा कार्बनडाई आक्साइड को अवशोषित करते हैं। उनके महत्व को समझना होगा।
आपदा की इस घड़ी से हमें सबक लेना चाहिए और पर्यावरण के महत्व को समझते हुए अधिक से अधिक वृक्ष लगाने की ओर ध्यान देना चाहिए। आज आवश्यकता है की हम बड़े स्तर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाएं। बाग़,बगीचे, तालब किनारे, जंगल सभी जगह पेड़ों को लगाना चाहिए। घर मर कोई शादी जो या सलगिरह हर उत्सव पर एक वृक्ष लगाने की परंपरा आने वाली पीढ़ियों को सीखाना होगी। ताकि जो समस्या आज हम झेल रहे है। भविष्य में आने वाली पीढ़ियां उस संकट का सामना ना करें।
पर्यावरण को बचाना चुनौती -
आधुनिकता और औद्योगिक विकास के इस युग में पर्यवरण को बचाएं रखना किसी चुनाती से कम नहीं है। आज शहर से लेकर गांव तक में प्रगतिशीलता के नाम पर हरे- भरे प्राकृतिक जंगलों और पेड़ों को कांटकर क्रांकीट का जंगल खड़ा किया जा रहा है। आज की वर्तमान पीढ़ी विकास के सामने पर्यावरण प्रदूषण के दूरगामी परिणामों को समझ नहीं पा रही है। ऐसे में आवशयक है की हम जन जागरूकता अभियान चलाएं। हमें इस पीढ़ी को पर्यावरण का लाभ एवं प्रदूषण के दुष्परिणामों को समझाना होगा। सभी लोगों को अपने घरों के आस - पास कम से कम दो पेड़ लगाना आवश्यक है ताकि हमें शुद्ध प्राणवायु ऑक्सीजन मिलती रहें।
पेड़ ही जीवन का आधार -
जब तक पृथ्वी पर पेड़ और पर्यावरण सुरक्षित रहेंगे तभी तक जीवन संभव है, ये बात हमें समझनी होगी और अगली पीढ़ी को भी बतानी होगी। क्योकि पेड़ ही जीवन का आधार है। यदि जंगल और पेड़ समाप्त हो गए तो पृथ्वी पर जीवन असंभव हो जाएगा। इसलिए हमें जीवन की रक्षा के लिए पर्यावरण को बचाने का कार्य करना होगा।