राजस्थान के शिव मंदिर से सिंधिया राजवंश को मिला था आशीर्वाद , दान में दे दी थी 250 बीघा जमीन
ग्वालियर/ नईदिल्ली। ग्वालियर के सिंधिया राजवंश का भारतीय राजशाही से लेकर राजनीति तक में दबदबा रहा है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया के बाद अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, यशोधरा राजे, वसुंधराराजे इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
सिंधिया राजवंश का ग्वालियर, उज्जैन, सहित कई मंदिरों से रिश्ता रहा है। आपको हैरानी होगी ये जानकर की मप्र के बड़े राजवंशों में शामिल इस परिवार का राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित प्राचीन झोझेश्वर महादेव मंदिर से भी पुराना रिश्ता है। सिंधिया परिवार के वंशज यहां करीब 150 साल से दर्शन और पूजन करने आते रहे है। इसकी शुरुआत ज्योतिरादित्य के पूर्वज जयाजीराव सिंधिया ने की थी और वे इस मंदिर में पूजा करने आते थे।
जयाजीराव ने दान की जमीन -
बताया जाता है की दिवंगत पूर्व महाराज जयाजीराव जिस समय इस मंदिर में पूजन के लिए आते थे। उस समय यहां बिरजू महाराज नाम के साधु रहते थे। महाराज ने साधु के समक्ष पुत्र के लिए याचना की थी। मंदिर में पूजन और साधु महाराज के आशीर्वाद के प्रताप से साल 1876 में माधौ राव के रूप में जयाजीराव को पुत्र की प्राप्ति हुई। ताया जाता है कि माधौ महाराज के जन्म के बाद उनके पिता जयाजीराव ने ग्वालियर से झोझेश्वर महादेव मंदिर तक की यात्रा की। वहां पहुंचने पर उन्होंने संतों के रहने के लिए आश्रम का निर्माण करवाया। साथ ढाई सौ बीघा जमीन भी दान में दी थी।
ज्योतिरादित्य ने निभाई परंपरा -
इसके बाद से सिंधिया परिवार की राज गद्दी पर बैठने वाला महाराज मंदिर में दर्शन के लिए निरंतर जाता रहा है। माधवराव सिंधिया तक भी ये संदेश मंदिर प्रशासन और संतों ने भिजवाया था, लेकिन वह महादेव मंदिर आकर दर्शन करते उससे पहले उनका देहांत हो गया था। जिसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंदिर में दर्शन कर इस परंपरा का पालन किया और पिता की इच्छा पूरी की।
कई मंदिरों का निर्माण कराया -
बता दें की उस समय की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में उभरे मराठा साम्राज्य से जुड़े सिंधिया राजवंश ने मध्य भारत में कई मंदिरों का निर्माण कराया। जिसमें उज्जैन का प्रसिद्ध महाकाल मंदिर भी शामिल है।