परिश्रम की पराकाष्ठा का पर्याय शिवराज

परिश्रम की पराकाष्ठा का पर्याय शिवराज
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शिव चौबे

वेबडेस्क। आज के राजनीतिक परिवेश में व्यक्ति सत्ता में आने के बाद अपने में कितना परिवर्तन लाता है, ये हमने अपने सामाजिक जीवन में देखा है। परन्तु आज में मध्यप्रदेश के उस व्यक्ति के विषय में चर्चा कर रहा हूँ जिसका जन्मदिन 5 मार्च को है ।

आजादी के बाद हमने अपने देश व प्रदेश में अनेकों मुख्यमंत्रीयों को देखा है परन्तु मध्यप्रदेश की भूमि पर मुख्यमंत्री के रूप में एक ऐसे जनसेवक को भी देखा है जो आज प्रदेश का जननायक है। जननायक केवल कहने का ही बल्कि कुछ खास कर देने की नीयत से जिन्होंने परिश्रम की पराकाष्ठा की है। यह मैं उनके कार्यकाल के नैतिक उन्नति के विकास कार्यों की चर्चा नहीं कर रहा, यह तो पिछले 15-16 वर्षों में अपने आंकड़ों के माध्यम से सरकारी, गैर सरकारी समाचारों के माध्यम से पढ़ा ही होगा। इससे हटकर भी शिवराज जी के शासन काल में ऐसा क्या हुआ जिसकी चर्चा प्रदेश में ही नहीं, देश में ही नहीं अपितु सात समंदर पार भी हुई।

पिछले वर्षों में मध्यप्रदेश की भूमि पर सत्ता के माध्यम से शिवराजजी द्वारा प्रतिपादित योजनाओं का जो क्रियान्वयन हुआ, उन योजनाओं के कारण प्रदेश के हर वर्ग ने उन्हें अपना समझा। सरलता सहजता, सहृदयता की त्रिवेणी हमने प्रदेश में देखी जितनी भी योजनाओं का जन्म हुआ वह जाति, धर्म, पंथ अगला पिछड़ा के आधार पर नहीं बल्कि मानव कल्याण को आधार मानकर हुआ फिर योजनाएँ केवल विकास की ही नहीं, अभ्युदय के आधार पर प्रदेश का गढ़ना भी उनकी प्राथमिकता रही। जैसे गरीब निर्धन के लिये इलाज, तीर्थ दर्शन योजना, कन्यादान योजना, लाडली लक्ष्मी, जैसी अनेक योजनाओं के साथ सर्वधर्म समभाव के आधार पर मुख्यमंत्री निवास में गुरुनानक दिवस, ईद, जन्माष्टमी, होली, दिवाली मिलन कार्यक्रम रख इस बात का एहसास कराया कि प्रदेश का मुख्यमंत्री आपका अपना है। इसी कड़ी से पंचायतों का निरंतर चलना और उनसे निकले निचोड़ के आधार पर उस वर्ग की शासकीय योजना बनाना ।

प्रदेश के श्रद्धास्थानों को चिन्हित कर पवित्र स्थान घोषित करना उसी कड़ी में मेला एवं तीर्थ बोर्ड का गठन करना इसी तारतम्य में नर्मदा सेवा यात्रा आदि गुरु शंकराचार्य का पुण्य स्मरण कर एकात्मता यात्रा भी प्रदेश भर में की गई उज्जैन महाकुंभ की ऐतिहासिक व्यवस्थाओं ने उन्हें देश भर में सराहना का पात्र बना दिया। वहां के विचार मंथन ने महाकुंभ को नई दिशा दी।

रामपथ गमन मार्ग का विचार शिवराज जी के ही कार्यकाल में शुरू हुआ एवं कार्य प्रगति पर है। ब्राम्हण बंधुओं के लिये उनका अपना तीर्थ, उनके आराध्य भगवान श्री परशुराम की जन्मस्थली जानापाद को श्रेष्ठ सुविधायुक्त बनाने हेतु एक धाम मानकर 11 करोड़ की राशि प्रदान की। राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत शिवराजजी ने अपने कार्यकाल में वंदे मातरम गान वल्लभ भवन में शुरू करवाया, जिसे गाते हुये क्रांतिकारी वीर देश को आजाद कराने के लिये फांसी के फंदे पर झूल जाते थे देश में शहीदों की स्मृति में शहीद स्मारक बनते चले आ रहे थे, जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज जी ने प्रदेश की राजधानी भोपाल में इसे शौर्य स्मारक नाम देकर बनाया जिसकी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्रजी मोदी ने भी सराहना की।

आजादी को चिन्हित कर उन स्थानों को भी आदरणीय बनाया जिन वनवासी क्षेत्रों में जिन शहीदों ने आजादी के लिये लड़ाई लड़ी और शहीद हुये। ऐसे वनवासी शहीदों को मध्यप्रदेश में आप श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजलि कार्यक्रम रखकर उन्हें हम श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं।

आज के दिन में इस बात को भी नहीं भूल सकता जब सारा देश महामारी के दौर से गुजर रहा था। उस वक्त प्रदेश भी उससे अछूता नहीं था। उस दूसरी लहर ने कहर ढा दिया। इस वक्त में भी शिवराजजी ने रात दिन एक कर महामारी के दौर से प्रदेश के पीडितो बचाया, साथ ही साथ आसपास के प्रदेश से आने वाले बंधुओं के लिये हर चीज की व्यवस्था की उन्हीं पीड़ितों के शब्द थे कि मध्यप्रदेश आकर लगा कि मानवता अभी जिंदा है, हम सरकार को बार-बार धन्यवाद देते हैं ।

इस मानवता के पुजारी ने प्रदेश में चाहे साधु-संत हो, पुजारी हो, वनवासी हो पिछड़े वर्ग के लोग, चाहे खेल के क्षेत्र में खिलाड़ी हो, शहर या गाँव हो, कहीं भी कोई भी वर्ग वंचित न रहे, ऐसी योजनाएं बनाई। किसान हो, विद्यार्थी, व्यापारी हो या उद्योगपति या फिल्मकार सभी को प्रदेश में रहकर आगे बढ़ने का अवसर दिला रहे हैं । इसी संदर्भ में मैं यह उल्लेख करना भी नहीं भूलूंगा कि सामान्य वर्ग की चिंता भी शिवराजजी ने की और सामान्य वर्ग कल्याण आयोग का गठन किया ।

यह भी उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित योजनाओं का क्रियान्वयन सबसे पहले मध्यप्रदेश की भूमि पर ही उतरता है प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी के विचारों के आधार सबका साथ-सबका विकास पर खरा उतरते हुये मध्यप्रदेश कभी भी पीछे नहीं रहा। विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी राजनीति मेरा व्यवसाय नहीं, मेरा धर्म है" को आत्मसात कर प्रगति के पथ पर मध्यप्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने के लिये मेरे शिवराज जी आज भी जन्मदिवस पर यही संकल्प लेंगे।प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता उनके दीर्घायु व ऊर्जावान होने की इच्छा से उन्हें हार्दिक शुभकामना देती है। अस्तु


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