नागरिक अनुशासन का अचूक विजयी मंत्र, ऐसा आह्वान तो सरसंघचालक ही कर सकते थे....

नागरिक अनुशासन का अचूक विजयी मंत्र, ऐसा आह्वान तो सरसंघचालक ही कर सकते थे....
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डॉ अजय खेमरिया

वेबडेस्क। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष जब कोरोना संकट पर तुष्टीकरण के सुगठित प्रलाप में लगी है तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंंघचालक डॉ मोहनराव भागवत ने 135 करोड़ भारतीयों को एकजुटता और सद्भाव का सन्देश देकर वन्दनीय कार्य किया है।संघ मुख्यालय नागपुर से प्रसारित अपने ऑनलाइन सन्देश में डॉ भागवत ने स्पष्ट किया कि इस भारत भूमि पर रहने वाले सभी नागरिक माँ भारती के सहोदर है।उन्होंने संघ के सभी स्वयंसेवको से कहा है कि वे पीड़ित मानवता की सेवा का ध्येय ह्रदय में धारण करते हुए काम करें।कथित तौर पर इस्लामोफोबिया का प्रायोजित वातावरण बनाने वाले लोगों को आइना दिखाते हुए सरसंघचालक ने दो टूक सन्देश दिया कि कुछ लोग समाज को भय और क्रोध के दलदल में धकेलने की सुनियोजित कोशिश कर रहे है लेकिन हमें इन साजिशों से सजग और सावधान रहकर इस संकट पर विजय पानी है।उन्होंने जो महत्वपूर्ण बात कही वह यह कि किसी सम्प्रदाय विशेष के कुछ लोगों की नापाक हरकतों को हम सम्पूर्ण वर्ग पर लागू नही कर सकते है।डॉ भागवत का इशारा तबलीगी जमात की ओर ही था इसीलिए उन्होंने जोर देकर कहा कि 130 करोड़ लोग हमारे बन्धु है और स्वयंसेवक पीड़ित की मदद करते समय केवल पीड़ा देखें।यह बहुत ही महत्वपूर्ण सन्देश है संघ प्रमुख का जिसे अल्पसंख्यकवाद की सियासत करने वाले राजनीतिक और एकेडेमिक्स शायद पचा नही पायेंगे।

संघ की मैदानी गतिविधियों को स्थगित किये जाने का तार्किक पक्ष रखते हुए संघ प्रमुख ने एक और महत्वपूर्ण सन्देश यह दिया है कि कवारन्टीन कोई प्रतिबंध नही है इसलिए समाज के हर व्यक्ति ,संस्था को इसका उदारमना होकर निष्ठापूर्वक पालन करना चाहिये।इस मुद्दे पर भड़कने और क़ानून तोड़ने के किसी भी औचित्य को उन्होंने करीने से खारिज किया है।

सेवा प्रकल्पों को लेकर भी उनका नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है उन्होंने कहाकि 130 करोड़ लोगों के मध्य हम अहंकार मुक्त होकर सेवा कार्य करें।खुद के यशोगान या कीर्ति की अपेक्षा से दूर रहने की उनकी नसीहत बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि कोरोना संकट में लोगों की सहायता को उन्होंने संघ कार्य के समान निरूपित कर दिया है।उन्होंने सेवा कार्य को उपकार नही दायित्व के साथ सयुंक्त कर स्वयंसेवकों को निरन्तर कार्य का आदेश भी दिया है।

इस महामारी के साथ आ रहे नए जीवन अनुभवो को नए भारत के जीवन मानक के रूप में आत्मसात करने का संघ प्रमुख का आह्वान बहुत ही महत्वपूर्ण है।स्वावलंबन औऱ स्वदेशी का आग्रह वाकई इस संकट की सबसे बड़ी सीख है।लॉक डाउन ने हमारी सीमित आवश्यकता और शोषण की जगह दोहन केंद्रित जीवनशैली को प्रमाणित किया है।संघ प्रमुख ने इसे बेहद ही सुबोध ढंग से रेखांकित कर लोकजीवन में इस भारतीय दृष्टि की पुनर्स्थापना पर ही जोर दिया है।आधुनिक ,तकनीकी,विज्ञान और स्वदेशी के युक्तिसंगत युग्म को डॉ भागवत ने इस संकट का सबसे निर्णायक पाठ बताकर समाज को नई दिशा पकड़ने का भी आह्वान किया है।

नागरिक अनुशासन को देशभक्ति का प्रमाणिक पैमाना बताकर संघ प्रमुख ने सरकार की एडवाइजर के पालना की बेहतरीन जमीन भी निर्मित की। इसके लिए उन्होंने डॉ भीमराव अंबेडकर और भगनि निवेदिता को उद्धरत किया।इसके पीछे उनका मूल मन्तव्य लॉक डाउन के बाद नागरिक जबाबदेही बरकरार रखना ही है।असल में सरकारी एडवाइजर की पालना में ही इस महामारी से बचने के सूत्र है और भारत की लड़ाई इसी एहतियात पर निर्भर है।संघ प्रमुख ने इसीलिए इस बात पर विशेष जोर दिया है कि न केवल स्वयंसेवक बल्कि सभी अन्य लोग बचाव के लिए विहित चिकित्सकीय प्रावधानों की पालना हर कीमत पर सुनिश्चित करें।अगर नागरिक अनुशासन के पैमाने पर हम परम्परागत रूप से ही शिथिलता दिखाते रहे तो यह संभव है कि कोरोना की जंग में भारत उलझकर रह जाये इसलिए एक दूरदर्शी नजरिये से ही संघ प्रमुख इसे देशभक्ति का प्रमुख आधार निरूपित कर रहे है।असल में यह आज भारत की सर्वाधिक ज्वलंत आवश्यकता भी है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के अलावा पहली बार किसी गैर सरकारी गैर राजनीतिक शख्स ने अपने ब्रह्द प्रभाव क्षेत्र में ऐसी अपील की है।

संघ पहले से ही अपने सभी अनुषांगिक संगठनों के जरिये कोरोना संकट में जरूरतमंद लोगों के मध्य काम कर रहा है ऐसे में संघ प्रमुख का सेवा कार्यों के लिए भी एक तरह की एडवाइजर जारी करना संघ की राष्ट्रीय निष्ठाओं को स्वयंसिद्ध करता है।बगैर यश और नाम की आकांक्षा के बीच निरन्तरता के साथ बिना थके सेवा का लक्ष्य सौंपने का कार्य संघ प्रमुख ही सुपुर्द कर सकते थे।ऐसा ही उन्होंने किया।खासबात यह है कि 130 करोड़ भारतीयों की बात संघ के चिर दुश्मनों का जायका जरूर खराब करेगी।लेकिन संघ अपने राष्ट्रीय दायित्व में सदैव की तरह जुटा है और कोरोना पर भारत की विजय समाज के सहयोग से सुनिश्चित करके ही दम लेगा।क्योंकि भारत की विजय दुनिया में मानवता के लिए अक्षय जीवन शैली का पुनः अनुकरणीय प्रमाण भी होगा।

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