स्वदेश विशेष: निवेश के अभिषेक से धुला त्रासदी का कलंक…

गिरीश उपाध्याय: जिस भोपाल की पहचान अब तक दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी से होती थी, उसी भोपाल में पिछले दो दिनों में जुटे देश और दुनिया के हजारों निवेशकों ने निवेश की ऐसी झड़ी लगाई कि चालीस साल पुराने कलंक को पूरी तरह धो डाला।
अब जब भी भविष्य में भोपाल की बात होगी तो उद्योग और निवेश के सिलसिले में भोपाल गैस त्रासदी का नहीं बल्कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का उल्लेख होगा। अब पहचान MIC से नहीं GIS से होगी।
मोहन यादव सरकार अपने गठन के बाद से ही प्रदेश में निवेश और रोजगार की संभावनाओं को तलाशने और उन्हें जमीन पर उतारने के प्रयासों में लगी थी। क्या संयोग है कि करीब एक साल पहले एक और दो मार्च को महाकाल की नगरी उज्जैन में आयोजित पहले इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव से जिस अभियान की शुरुआत हुई थी उसके परिणाम की खबर प्रदेश के अखबारों में महाशिवरात्रि के दिन प्रकाशित हो रही है। महाशिवरात्रि पर महानिवेश के इस महाभिषेक से बड़ा आशीर्वाद और क्या हो सकता है।
30.77 लाख करोड़ जितना बड़ा आंकड़ा है उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी भी है। नए जमाने की भाषा में कहें तो अभी तो पार्टी शुरू हुई है। अब सबसे ज्यादा ध्यान उस धारणा को तोड़ने का रखना होगा जिसके तहत अब तक यह माना जाता रहा है कि ऐसे सम्मेलनों में निवेश के आंकड़े सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए होते हैं।
इन आंकड़ों को जमीन पर उतारना, निवेशकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना और युवाओं के रोजगार के सपने को पूरा करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। विश्वास है कि जिस संकल्प के साथ इन्वेस्टर्स समिट को साकार किया गया है, उसी संकल्प के साथ यह चुनौती भी पूरी होगी।