'औरत' शब्द को बैन करने की उठ रही मांग, जानिए क्या है कारण
वेबडेस्क। छोटे अ से अनार बड़े आ से आम, छोटी इ से इमली, बड़ी ई से ईख, छोटे ओ से ओखली और बड़ी औ से औरत, जी हां हम बचपन से ही पढ़ते आ रहे है और आज भी स्कूलों में यहीं पढाया जा रहा है। बाकी सब तो ठीक है लेकिन औरत शब्द को लेकर देश भर में लोगो के मन में बेहद नाराजगी है। नारीवादी सोच के लोगों की नजरों में ये शब्द बहुत ही बेढंगा और बेइज्जती भरा है। इसका कारण इसका असली अर्थ है, जिसे हम भारतीय जानते ही नहीं है।
दरअसल, औरत शब्द हिन्दी में बरास्ता फारसी, अरबी से आया। अरबी में औराह या औरत का अर्थ होता है महिला का गुप्तांग। इस नजरिए की बात करे तो अरबी में किसी स्त्री की पहचान सिर्फ उसका गुप्तांग भर है। इसके अतिरिक्त उसका कोई वजूद नहीं है। इसलिए इस शब्द को लेकर समय -समय पर भारत में हिंदी भाषी लोग विरोध करते रहे है। प्रसिद्द यूटूबर मनोज मुंतशिर ने वीडियो जारी कर बैन करने की मांग की है।
जाहिर है इस्लाम में परिवार या रिश्तेदार की किसी भी स्त्री से विवाह और बहू विवाह को जायज ठहराया जाता है। लेकिन भारतीय सभ्यता इस्लामी सोच के एकदम विपरीत है। हमारे यहां नारियों को देवी का स्वरूप माना जाता है। लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती, आदि विभिन्न रूपों में उसका पूजन होता है। हमारे जिन शास्त्र और मनु स्मृति का वामपंथी विरोध करते आए है। उसमें नारी को पूजनीय बताया गया है। मनु स्मृति में कहा गया है- 'यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमंते तत्र देवता' , जिस देश और सभ्यता में महिलाओं को ऐसा सम्मान दिया जाता रहा हो। वहां किसी महिला को उसके गुप्तांग के आधार पर संबोधित करना बेहद अनुचित लगता है। यहीं कारण है की आज देश भर में हिंदी भाषी इस शब्द को हिंदी की पुस्तकों से विलोपित करने की मांग कर रहे है।