नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई संधि ने तय की थी सीमाएं

नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई संधि ने तय की थी सीमाएं
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स्वदेश डिजिटल एवं द पंजाब पल्स द्वारा आयोजित लाइव वेबिनार में रि. कर्नल नितिन ने नेपाल सीमा से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी दी

वेबडेस्क। नेपाल ने इसी सप्ताह अपने नक्शे में परीवर्तन करते हुए भारतीय क्षेत्र को अपनी सीमा में दर्शाया है।नेपाल के इस कदम पर भारत सरकार ने तीखी आलोचना की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने आपत्ति जताते हुए कहा की "यह एकतरफा अधिनियम ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित नहीं है।"

यह है नेपाल सीमा का विवाद -

इस मुद्दे पर स्वदेश डिजिटल द्वारा "भारत - नेपाल सीमा विवाद व वर्तमान परिस्थिति" विषय पर सेवानिवृत कर्नल नितिन से चर्चा की। जोकि भू-रणनीतिक एवं सैटेलाइट इमेजरी डेटा के विशेषज्ञ है।उन्होंने बताया की भारत और नेपाल के बीच इस भौगोलिक क्षेत्र को लेकर लड़ाई पिछले कई दशकों से चल रही है। विवाद की मुख्य वजह है नेपाल-भारत और चीन (तिब्बत) के बीच कालापानी-लिम्पियाधुरा-लिपुलेख ट्राइजंक्शन है।काली नदी के तट पर 3600 मीटर की ऊँचाई पर यह क्षेत्र भारत में उत्तराखंड की पूर्वी सीमा और पश्चिम में नेपाल के सुदुरपश्चिम प्रदेश के बीच स्थित है।भारत का दावा है की क्षेत्र उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा है, जबकि नेपाल का मानना ​​है कि यह धारचूला जिले का हिस्सा है।

सुगौली संधि से तय हुई थी नेपाल की सीमा -

इस क्षेत्र को लेकर उत्पन्न हुआ विवाद हमें इतिहास में जाकर तथ्यों की तलाश करने के लिए ले जाता है। जब भारत और नेपाल दोनों देशों में ब्रिटिश शासन था। उस समय नेपाल में राजा पृथ्वी नारायण शाह के शासन के समय नेपाल छोटे राज्यों का एक समूह था। जिनके शासनकाल में 18 वीं शताब्दी के अंत में नेपाल का एकीकरण हुआ, इस समय यह सिक्किम और पश्चिम में उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र तक फैला हुआ था।

उस समय भारत में उभर रही ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अपने क्षेत्र का विस्तार करते हुए नेपाल पर आक्रमण किया। जिसके परिणाम स्वरुप अंग्रेजों ने 1815 में गढ़वाल और कुमाऊं को नेपाल से जीत अलग कर दिया। इसके एक साल बाद हुई सुगौली संधि पर हस्ताक्षर के साथ युद्ध समाप्त हो गया।इस संधि ने नेपाल की वर्तमान सीमाओं को सीमांकित किया।

इस संधि में नेपाल को अपनी वर्तमान सीमाओं के पश्चिम और पूर्व में सभी क्षेत्रों को छोड़ने के लिए कहा गया था। जिसके परिणाम स्वरुप काली नदी ने नेपाल की पश्चिमी सीमा को चिह्नित किया। जिसके परिणाम स्वरुप काली नदी ने नेपाल की पश्चिमी सीमाओं को तय किया|

अलग-अलग नक्शे बने विवाद का कारण

ब्रिटिश सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए बाद के नक्शे विभिन्न स्थानों पर सीमा नदी का स्रोत दिखाते हैं। नदी के स्रोत का पता लगाने में इस विसंगति के कारण भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद हो गए, प्रत्येक देश ने अपने स्वयं के दावों का समर्थन करने वाले नक्शे तैयार किए। काली नदी एक ऐसे क्षेत्र से गुजरती है जिसमें नदी के आसपास लगभग 372 वर्ग किमी विवादित क्षेत्र शामिल है। वर्तमान में इस क्षेत्र पर आईटीबीपी के जवानों का नियंत्रण है।












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