कभी स्कूल नहीं गई लता दीदी को विश्व के 6 विश्वविद्यालयों ने दी मानद उपाधि

कभी स्कूल नहीं गई लता दीदी को विश्व के 6 विश्वविद्यालयों ने दी मानद उपाधि
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वेबडेस्क। लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर के मराठी परिवार में पंडित दीनदयाल मंगेशकर के घर हुआ। इनके पिता रंगमंच के कलाकार और गायक भी थे इसलिए संगीत इन्हें विरासत में मिली। लता मंगेशकर का पहला नाम 'हेमा' था, मगर जन्म के 5 साल बाद माता-पिता ने इनका नाम 'लता' रख दिया था।

सन 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का 'गिनीज़ बुक रिकॉर्ड' उनके नाम पर दर्ज है।

गाने की रिकॉर्डिंग के लिये जाने से पहले लता मंगेशकर कमरे के बाहर अपनी चप्पलें उतारती थी। वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाती थी।

लता दीदी महज एक दिन के लिए स्कूल गई थी। इसकी वजह यह रही कि जब वह पहले दिन अपनी छोटी बहन आशा भोसले को स्कूल लेकर गई तो अध्यापक ने आशा भोसले को यह कहकर स्कूल से निकाल दिया कि उन्हें भी स्कूल की फीस देनी होगी। बाद में लता ने निश्चय किया कि वह कभी स्कूल नहीं जाएंगी। हालांकि बाद में उन्हें न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी सहित छह विश्वविद्यालयों में मानद उपाधि से नवाजा गया।

लताजी को अपने सिने करियर में मान-सम्मान बहुत मिले हैं। वे फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला हैं जिन्हें भारत रत्न और दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त हुआ। उनके अलावा सत्यजीत रे को ही यह गौरव प्राप्त है। वर्ष 1974 में लंदन के सुप्रसिद्ध रॉयल अल्बर्ट हॉल में उन्हें पहली भारतीय गायिका के रूप में गाने का अवसर प्राप्त है।

लताजी की सबसे पसंदीदा फिल्म द किंग एंड आई थी। हिंदी फिल्मों में उन्हें त्रिशूल, शोले, सीता और गीता, दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे और मधुमती पसंद थीं। वर्ष 1943 में प्रदर्शित ही फिल्म किस्मत उन्हें इतनी पसंद आई कि उन्होंने यह फिल्म तकरीबन पचास बार तक देखा।

लताजी ने मोहम्मद रफी के साथ सैकड़ो गीत गाए थे, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया था जब उन्होंने रफी से बातचीत करना बंद कर दी थी। लता गानों पर रॉयल्टी की पक्षधर थीं, दोनों का विवाद इतना बढ़ा कि मोहम्मद रफी और लता के बीच बातचीत भी बंद हो गई और दोनों ने एक साथ गीत गाने से इंकार कर दिया था। हालांकि चार वर्ष के बाद अभिनेत्री नरगिस के प्रयास से दोनों ने एक साथ एक कार्यक्रम में 'दिल पुकारे' गीत गाया

लता जी को संगीत के अलावा खाना पकाने और फ़ोटो खींचने का बहुत शौक़ था।

राममंदिर पर कहा था-

"सदियों का सपना पूरा हो रहा है"उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर कहा था, 'आज भले ही करोना की वजह से लाखों रामभक्त वहां पहुंच नहीं पाएंगे परंतु उनके मन और ध्यान श्रीराम के चरणों में ही होंगे।मुझे खुशी है की ये समारोह माननीय नरेंद्रभाई के करकमलों से हो रहा है। आज मैं, मेरा परिवार और पूरा संसार बहुत खुश है और मानो आज हर धड़कन हर सांस कह रही है जय श्रीराम।

लता मंगेशकर ने अपने पोस्ट में लिखा था,

'नमस्कार. कई राजाओं का, कई पीढ़ियों का और समस्त विश्व के राम भक्तों का सदियों से अधूरा सपना आज साकार होता दिख रहा है। कई सालों के वनवास के बाद आज अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर का पुनर्निर्माण हो रहा है, शिलान्यास हो रहा है। इसका बहुत बड़ा श्रेय माननीय लालकृष्ण आडवाणी जी को जाता है, क्योंकि उन्होंने इस मुद्दे को लेकर रथ यात्रा करके पूरे भारत में जनजागृति की थी और श्रेय माननीय बालासाहेब ठाकरे जी को भी जाता है। आज इस शिलान्यास का बहुत बड़ा आयोजन हो रहा है।'

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