राष्ट्र उत्थान के लिए महिला उत्थान आवश्यक - जी. किशन रेड्डी
प्राचीन काल से ही भारत में महिलाओं का स्थान अग्रिम पंक्ति में रहा है, उनकी सहभागिता और योगदान अमूल्य रहा है। कोई भी कालखण्ड ऐसा नहीं रहा, जिसमें महिलाओं ने इतिहास न रचा हो। ऋग्वेद से प्रारंभ होकर वर्तमान तक महिलाओं के पराक्रम की कहानियां सबने सुनी हैं। मुगलों से लड़ाई की बात हो या स्वतंत्रता संग्राम का आन्दोलन हो, इतिहास महिलाओं के बलिदान और शौर्य की गाथाओं से भरा पड़ा है। स्वाधीनता के बाद भी राष्ट्र के विकास में नारी शक्ति ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। वैसे तो आज़ादी के बाद देश में नारी उत्थान के लिए अनेक कार्य हुए। बावजूद इसके, महिलाओं के अनेक ऐसे मुद्दे थे जिनकी तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया। वर्ष 2014 के बाद महिलाओं की स्थिति में आमूल-चूल परिवर्तन नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई अनेक योजनाओं के माध्यम से देखा जा सकता है। कुछ आंकड़े प्रस्तुत हैं जिनसे स्पष्ट होता है कि देश में कितना बड़ा बदलाव हुआ है। कई राज्य देश में ऐसे थे, जहाँ कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध की संख्या अधिक थी। इस अपराध से मुक्ति के लिए मोदी सरकार ने "बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ" अभियान का शुभारम्भ किया। जिसके कारण जन्म-दर में 918 से बढ़कर 934 तक 16 अंकों का बड़ा सुधार हुआ है। स्कूलों में लड़कियों का नामांकन अनुपात 77.45 से बढ़कर 81.32 हो गया है। मोदी सरकार ने गाँव की महिलाओं के विकास की रूपरेखा तैयार की और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक करोड़ 14 लाख परिवारों को पक्के घर दिए तथा उनका मालिकाना हक महिलाओं को दिया। इससे उनका आत्मविश्वास तो बढ़ा ही है साथ ही सम्मान से जीने का अधिकार भी मिला है।
इस बात के भी हम साक्षी हैं कि गाँव की माता-बहन-बेटियां शौच के लिए घर से बाहर जाती थी, विद्यालयों में बेटियों के लिए शौचालय नहीं थे। मोदी सरकार ने देश भर में ग्यारह करोड़ शौचालय बनाएं हैं। शौचालय बनने से माताओं-बहनों और बेटियों की प्रतिष्ठा सुरक्षित हुई है। नरेन्द्र मोदी ने गाँव की गरीब माँ के दर्द को पहचाना और उन्हें गैस-सिलेंडर देकर धुंए से आज़ादी दिलाई, उज्ज्वला योजना से नौ करोड़ माताओं को लाभ मिला है। जल जीवन मिशन के तहत "हर घर-नल से जल" का वर्तमान कवरेज 8.7 करोड़ है। इसमें से 5.5 करोड़ परिवारों को पिछले 2 वर्षों में ही नल का जल उपलब्ध कराया गया है। 2022-23 के बजट में 3.8 करोड़ परिवारों को 'नल से जल' देने के उद्देश्य से साठ हजार करोड़ ₹ का प्रावधान किया गया है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत गरीब और कमजोर परिवारों के लोग पांच लाख ₹ तक का मुफ्त इलाज करा सकते हैं। इस योजना से भी दस करोड़ से अधिक परिवारों को लाभ मिला है। गर्भवती महिलाओं को सुपोषण मिलने तक की चिंता सरकार ने की है। जन औषधि जैसे सेंटर खुलने से महिलाओं को सस्ती दवाएं और सस्ते नेपकिन पेड मिल रहे हैं। देश के अनेक विश्वविद्यालय और महविद्यालयों में सेनेट्री नेपकिन मशीनें लगी हैं।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के खाते 43.04 करोड़ हो गए हैं। जिसमें 55 प्रतिशत जन-धन खाताधारक महिलाएं हैं और 67 प्रतिशत जन धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। कुल 43.04 करोड़ प्रधानमंत्री जन-धन योजना खातों में से 36.86 करोड़ (86%) चालू हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत स्वीकृत पीएमएमवाई ऋणों की संख्या चार करोड़ से अधिक है। जिसमें वितरित राशि तीन लाख करोड़ से अधिक है। मुद्रा योजना से हमारे देश की माताओं-बहनों की उद्यमिता और कौशल को बढ़ावा मिला है। तीन तलाक़ जैसी सामाजिक बुराई से मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति मिली है। मुस्लिम महिलाओं पर, केवल मेहरम के साथ ही हज यात्रा करने जैसे प्रतिबंधों को भी हटाया गया है। हाल ही में शादी के लिए उम्र अब 18 से बढ़ा कर 21 वर्ष कर दी गयी है । इससे ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों को पढ़ने का अवसर मिलेगा और उन्हें आगे बढ़ने एवं नए लक्ष्य हांसिल करने का मौका मिलेगा। साथ ही सुकन्या समृद्धि योजना के माध्यम से बेटियों के माँ-बाप की चिंता भी कम हुआ है।
सरकार ने महिला सुरक्षा जैसे विषय पर कई कड़े कदम उठाये हैं। देश में महिलाओं के लिए जो भय का वातावरण था, उसे समाप्त किया है। वन स्टाप सेंटर योजना (सखी) महिलाओं के लिए मददगार साबित हो रही है। किसी महिला के साथ मारपीट, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न या अन्य कोई घटना होती है तो वन स्टाप सेंटर के माध्यम से पीड़ित को न्याय दिलाया जाता हैै। देश भर में महिला हेल्प लाइन नम्बर सेवा उपलब्ध है। महिलाओं के पास ऑनलाइन शिकायत करने और मोबाइल कोर्ट से जल्दी न्याय मिलने की सुविधाएं भी हैं।
अगर महिला सहभागिता की बात करें तो उस दिशा में भी आंकड़े हमें बताते हैं किस प्रकार का परिवर्तन देश में आया है। सरकार ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में भी महिला कैडेट्स के प्रवेश को मंजूरी दी है। महिला कैडेट्स का पहला बैच एनडीए (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) में जून 2022 में प्रवेश करेगा। सरकार के नीतिगत निर्णय और प्रोत्साहन से विभिन्न पुलिस बलों में महिला पुलिस-कर्मियों की संख्या में, 2014 के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है। देश की पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक महिला भागीदारी में बढ़ोतरी हुई है। संसद में 2004 में जहां 52 महिला सांसद थी वहीं 2019 में 78 महिला सांसद हैं। इतना ही नहीं सरकार के विदेश, रक्षा और वित्त जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कुशल नेतृत्व भी महिलाओं ने किया और कर रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आज 'स्वयं सहायता समुह' के द्वारा देश को आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान दे रही हैं। देश में आंगनवाड़ी के हालात में भी सुधार देखने को मिला है। देश के विकास के लिए प्रारंभ की गई अनेक योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी और योगदान प्रशंसा के योग्य है। आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया, स्टार्टअप और वोकल फॉर लोकल जैसे अभियानों से जुड़कर महिलाएं नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। महिला और पुरुष, पक्षी के दो पंख हैं, जिस प्रकार से पक्षी एक पंख से उड़ान नहीं भर सकता। उसी प्रकार महिलाओं के बिना कोई भी राष्ट्र विकास की उड़ान नहीं भर सकता।
कहने का तात्पर्यं यह है कि महिलाओं के बिना नए भारत की कल्पना करना व्यर्थ है। इसलिए मोदी सरकार ने ऐसे काम किये हैं जिन्हें दूसरे लोग छोटा समझते थे या तो करना ही नहीं चाहते थे। मगर सत्य यह है कि ये छोटे-छोटे काम आमजन से जुड़े हुए थे, उनकी रोजमर्रा की जिन्दगी में समस्याएं थी और कई उनकी मूलभूत जरूरतें थी। जिन्हें अब पूरा किया गया है।
नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एक सौ पेंतीस करोड़ भारतवासियों ने नए भारत का संकल्प लिया और उस संकल्प को साकार करने के लिए 'सबका साथ- सबका विकास- सबका विश्वास और सबका प्रयास' वाली सुशासन की मूल भावना को अपनाया है। जिसके कारण भारत विश्वगुरु बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। देश आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' का जश्न मना रहा है। और अपने अमृत काल में प्रवेश कर रहा है इस अमृत काल में, जब हम आज़ादी के 100 वर्ष पूर्ण होने का जश्न मना रहे होंगे, उस समय भारत की मातृशक्ति प्रत्येक क्षेत्र में दुनिया को दिशा दे रही होगी।