Rang Panchami 2025: मध्य प्रदेश में बेहद ख़ास तरीके से मनाई जाती है रंग पंचमी, जिसे देखने देश विदेश से आते हैं मेहमान

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और उनके साथ होली मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान स्वयं पृथ्वी में आकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इसे देव पंचंमी भी कहते हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन इंदौर में होने वाले फाग उत्सव को देखने दूर - दूर से लोग आते हैं। आइए जानते हैं मध्य प्रदेश में क्यों फेमस है ये पर्व…
कब है रंग पंचमी?
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि आज यानी 18 मार्च की रात 10 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी जो कि 20 मार्च की सुबह 12 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार इस साल रंग पंचमी कल यानी बुधवार 19 मार्च को मनाई जाएगी।
रंग पंचमी के शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह के समय लगभग 4 बजकर 52 मिनट से 5 बजकर 40 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर के समय 2 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 54 मिनट तक
- पूजा-अर्चना का समय - शाम के समय 6 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 55 मिनट तक
मध्य प्रदेश की फेमस है रंगपंचमी
रंगपंचमी का पर्व मध्य प्रदेश में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। प्रदेश के ज़्यादातर शहरों में इस दिन फाग यात्रा निकाली जाती है जिसमें पारंपरगत तौर पर अबीर - गुलाल उड़ाया जाता है। यहां के शहरों में इस दिन सरकारी अवकाश भी घोषित किया जाता है।
इंदौर में निकलती है भव्य गेर यात्रा
इंदौर में रंग पंचमी के दिन भव्य गेर उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव को देखने के लिए दूर -दूर से लोग आते हैं। इसमें हजारों लोग एक साथ सड़कों में उतरते हैं और उन पर रंगों की बारिश की जाती है। इसमें डीजे, ढोल-नगाड़े और बैंड-बाजों के साथ लोग नाचते गाते हुए मस्ती करते हैं। इंदौर के अलावा उज्जैन, महेश्वर, भोपाल और मालवा क्षेत्र के अन्य शहरों में भी रंग पंचमी का विशेष महत्व है।
रंग पंचमी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंग पंचमी के दिन देवी - देविताओं को रंग, गुलाल अर्पित करने से वो प्रसन्न होते हैं। ऐसे करने से कुंडली के दोष समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख - समृध्दि आती है। माना जाता है कि होली पाँच दिन तक मनाई जाती है और यह होली का अंतिम दिन होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी, जिसे देखने के लिए देवी-देवता भी पृथ्वी पर आए थे।