ऐसा विद्यालय...जहां पढ़ाई नहीं, ईसाई बनाए जाते हैं: सरकार से अनुदान लेने वाले दो स्कूलों में चल रहा कन्वर्जन का खेल…

आदित्य त्रिपाठी, रायपुर। विद्यालय बच्चों में संस्कृति और सभ्यता के बीज बोने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। लेकिन छत्तीसगढ़ में यही स्थान हिन्दू संस्कारों को नष्ट करने के लिए उपयोग में लाए जा रहे हैं। ताजा मामला है जशपुर जिले के पोरतेंगा स्थित सरकारी अनुदान प्राप्त विनय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय का।
यहां न केवल हिन्दू छात्रों को ईसाई धर्म की गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है, बल्कि अव्यवस्थाओं के बीच मच्छर, खटमल और चूहों के साथ टूटी छत के नीचे जबरन रखा जाता है। प्रदेश की मिशनरी संस्थाएं विद्यालयों में ऐसे अवैध हॉस्टलों का संचालन कर रही हैं। गौरतलब है कि जिन विद्यालयों में बच्चों की दुर्गति है, उन्हें सरकार से अनुदान मिलता है और वह भी छोटा-मोटा नहीं, करोड़ों का।
ऐसे हुआ खुलासा
दरअसल, जशपुर कलेक्टर को कार्रवाई की मांग के साथ पत्र भेजा जाता है। जिला प्रशासन तक मासूमों का दर्द पहुंचाया जिले के बाल कल्याण विभाग के अध्यक्ष नितिन राय ने। इस पत्र में छात्रों ने खुद के साथ हो रहे दुव्र्यवहार की जानकारी प्रशासन को दी है। उन्होंने गुहार लगाई है कि छात्रावास में साफ-सफाई और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बच्चों को अस्वच्छ और असुरक्षित वातावरण में रखा जा रहा है, जिससे उनका स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है।
ईसाई गतिविधियों में शामिल होने का दबाव
शिकायत के अनुसार, बच्चों ने बताया कि छात्रावास चर्च के पास स्थित है और सभी बच्चों को प्रार्थना के लिए चर्च जाना पड़ता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। छात्रावास में एक निश्चित दैनिक समय-सारिणी चस्पा की गई है, जिसके अनुसार बच्चों को रोज सुबह 6 बजे मिस्सा पूजा करना और शाम को रोजरी व अन्य धार्मिक गतिविधियां करनी होती हैं। शनिवार और रविवार के समय-सारिणी में भी इसी तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का पालन करने के निर्देश हैं।
फादर बोले, बच्चे चर्च जाना चाहते हैं, वे जा सकते हैं
संस्था प्रमुख फादर अमित बेक ने इन आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि यह कोई छात्रावास नहीं है, बल्कि गरीब बच्चों को उनकी सहमति से यहां पढ़ाई करने के लिए स्थान दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चे किसान के बेटे हैं और उन्हें खेती के साथ बागवानी भी सिखाई जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि किसी पर भी धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने का दबाव नहीं डाला जाता और जो बच्चे चर्च जाना चाहते हैं, वे जा सकते हैं।
करोड़ों के अनुदान का दुरुपयोग
पूर्व के वर्षों की तरह ही वर्ष 2024-25 में सरकार ने विद्यालय को कुल 79 लाख का अनुदान दिया है। यही नहीं, सरकारी ऑडिटर से भी इस मामले की जांच की मांग की जा चुकी है। शिक्षा की आड़ में मासूम बच्चों का मतांतरण बेहद निंदनीय है। सरकार हिन्दू हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। प्रशासन को इसका संज्ञान लेना चाहिए। - चिंतामणि महाराज, सांसद, सरगुजा लोकसभा क्षेत्र
मुख्यमंत्री जी के गृह क्षेत्र में इस तरह के षड्यंत्र के माध्यम से बच्चों का कन्वर्जन करना चिंता का विषय है। सीएम साहब की टीम को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। सरकार को इन विद्यालयों के अनुदान पर नजर रखनी चाहिए। सरकार का पैसा कन्वर्जन में तो बिल्कुल नहीं लगना चाहिए। - रणविजय सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता
बच्चे हमारा भविष्य हैं। मिशनरियों द्वारा लंबे समय से उन्हें टारगेट कर कन्वर्जन के कुचक्र में फंसाए जाने की सूचना मिलती रहती है। ऐसे षड्यंत्रों से संभाग की डेमोग्राफी में भी बड़ा बदलाव आया है। - गोमती साय, विधायक, पत्थलगांव
यह एक जिले तक ही सीमित नहीं है, अन्य क्षेत्रों में भी मिशनरियों का खुला खेल चल रहा है। सभ्यता को बचाना है तो बच्चों में संस्कारों का होना आवश्यक है। ये लोग दीमक की तरह समाज को खोखला कर रहे हैं। शासन संज्ञान ले। - रामबालक दास, श्री जामड़ी पाटेश्वर सेवा संस्थान