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सेहरा सजा के दूल्हा बने महाकाल, पहली बार दोपहर में हुई भस्मारती
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उज्जैन। रविवार दोपहर महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व के दूसरे दिन वर्ष में एक बार दोपहर मे होने वाली भस्मार्ती सम्पन्न हुई। इसके बाद भगवान को भोग लगाया गया। इसी के साथ शिवनवरात्रि का समापन हो गया। एक वर्ष के लिए पुन: परंपरागत रूप से प्रतिदिन होनेवाली आरती आदि प्रारंभ हो गई।
मंदिर के सहायक प्रशासक आर के तिवारी ने बताया कि वर्ष में एक बार होने वाली भस्मार्ती रविवार को दोपहर 12 बजे सम्पन्न हुई। दोपहर की भस्म आरती के आधे घंटे बाद भोग आरती हुई। भगवान को भोग लगाया गया। शनि प्रदोष के कारण आम श्रद्धालु के साथ भगवान ने भी उपवास किया था। अत: भोग आरती के साथ भगवान ने भी नैवेद्य ग्रहण किया। इसके बाद ब्राह्मण भोज का आयोजन मंदिर प्रबंध समिति द्वारा किया गया।
तिवारी ने बताया कि अब 21 फरवरी को चंद्र दर्शन दूज पर भगवान महाकालेश्वर के पञ्चानन दर्शन होंगे। दर्शन अपरांह 3 बजे से रात्रि 10 बजे तक, शयन आरती के पूर्व तक होंगे। उन्होंने बताया कि 19 फरवरी की शाम से भगवान महाकाल का पूजन क्रम नित्य अनुसार प्रारंभ हो जाएगा।