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लोको पायलट को हटाकर सीएलआई ने दौड्राई एपी एक्सप्रेस
आगरा। चीफ लोको इंस्पेक्टर (सीएलआई) ने एपी एक्सप्रेस को दौड़ा कर 1800 यात्रियों का जीवन संकट में डाल दिया। वो ट्रेन को फरह से आगरा कैंट तक चलाकर ले गए। ट्रेन के लोको पायलट ने सीएलआई की लिखित शिकायत की है। डीआरएम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
नई दिल्ली से विशाखापट्टनम जाने वाली एपी एक्सप्रेस सात जुलाई को नई दिल्ली से चली। ट्रेन को झांसी डिवीजन के एलपीएम डीके कंचन चला रहे थे। उनके साथ सहायक लोको पायलट अनिल कुमार कुशवाह थे। ट्रेन के लोको पायलटों की निगरानी के लिए आगरा डिवीजन के एलआई नवल किशोर भी इंजन में मौजूद थे। फरह और कीथम के बीच लोको पायलट को लाल सिग्नल दिखाई दिया तो उसने ब्रेक लगा दिए। इसी दौरान सिग्नल पीला हो गया। आपातकाल ब्रेक से ट्रेन का प्रेशर डाउन हो गया। झांसी डिवीजन के वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता ओपी को दी गई लिखित शिकायत में आरोप है कि प्रेशर डाउन होने के बाद सीएलआई नवल किशोर ने उन्हें सीट से जबरन हटा दिया और खुद ट्रेन को चलाने लगे। उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन वो नहीं माने। चालक ने उनकी शिकायत करने के लिए बैग से मोबाइल निकाला तो सीएलआई ने उनसे मोबाइल छीनकर डेस्क पर रख दिया। सीएलआई आगरा कैंट तक ट्रेन को चलाकर लाए। उन्होंने आरोपों की सत्यता के लिए ट्रेन में लगे सीसीटीवी कैमरे की रिकार्डिंग निकलवा कर जांच की मांग की है।
1800 यात्री थे मौजूद
जिस समय ट्रेन के एलपीएम ने चलाया, उस समय ट्रेन में करीब 1800 यात्री मौजूद थे। एलपीएम ने ट्रेन चलाकर उन सबकी जान खतरे में डाल दी थी। उनका कहना है कि सीएलआई को केवल निगरानी का अधिकार है। उनका काम है कि लोको पायलट सही तरीके से ट्रेन चला रहे हैं या नहीं, ये देखना है। इस मामले में आगरा रेल मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव का कहना है कि पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। जांच के बाद जो तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।