मैनपुरी में अपने स्थान से खिसकता है मन्दिर में स्थित शिवलिंग

श्री वाणेश्वर महाराज मन्दिर का है विशेष महत्व एवं मान्यता

(आशीष धूसिया)

मैनपुरी। मयन ऋषि की नगरी अपने अन्दर आस्था के विभिन्न केन्द्रों को समेटे हुये है। प्राचीनकाल में यहां तमाम ऋषि मुनियों ने तपस्या कर नगर की धरती को पवित्र बनाया। जिले में कई शिव मन्दिर भी है, जिनकी अपनी अलग विशेषताऐं है। नगर से सटे ग्राम बड़ी नगरिया में श्री वाणेश्वर महाराज मन्दिर स्थित है, इस मन्दिर को नगरिया वाला मन्दिर भी कहां जाता है। यूं तो मन्दिर बहुत कम स्थान में बना है, लेकिन काफी पुराना होने के साथ मन्दिर की विशेष मान्यता एवं महत्व है। मन्दिर में स्थापित शिवलिंग अपने स्थान से खिसकता है।

शिव मन्दिरों में शिवलिंग मन्दिर के बिल्कुल मध्य स्थापित होता है। लेकिन यहां शिवलिंग मन्दिर के द्वार के समीप है। स्थानीय लोग बताते है कि कई वर्ष पूर्व वाणेश्वर महाराज मन्दिर में शिवलिंग को घण्टे के नीचे ही स्थापित किया गया था। लेकिन शिवलिंग खिसककर मुख्य के बेहद करीब आ चुका है।

मुख्य द्वार के समीप है शिवलिंग

स्थानीय लोगों ने मन्दिर के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि वाणेश्वर महाराज मन्दिर का विशेष महत्व है। भगवान शिव यहां आने वाले भक्त की मनोकामना पूर्ण करते है। स्थानीय लोगों ने बताया कि मन्दिर में स्थित शिवलिंग अपने मूल स्थान से खिसकर द्वार की ओर आ रहा है।

मनोकामना होती है पूरी

श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि वाणेश्वर महाराज मन्दिर में लगातार चालीस दिन तक शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मनोकामना पूरी हो जाती है।

इस वजह से खिसक रहा शिवलिंग

जानकार बताते है कि नगरिया गांव में करीब 50-60 वर्ष पूर्व सूखा पड़ा था, पानी के लिए ग्रामीणों ने भगवान शिव की बहुत पूजा अर्चना की, लेकिन बारिश नही हुई। तभी गुस्से में मंदिर के पुजारी ने शिवलिंग में कई प्रहार किये। कुल्हाड़ी के निशान आज भी शिवलिंग पर मौजूद है। तभी से शिवलिंग खिसकता जा रहा है।

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