इस बार भी उप्र से 'कमल' खिलाने की तैयारी में 'भाजपा'

इस बार भी उप्र से कमल खिलाने की तैयारी में भाजपा
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-मिशन-2019 के लिए मुख्य भूमिका में भाजपा के विस्तारक -राजधानी को छोड़ जिलों में कार्यकर्ताओं से सीधे मिल रहे हैं अमित शाह -चुनाव से पूर्व प्रदेश में हर माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की तैयारी

आगरा/मधुकर चतुर्वेदी। एक बार भाजपा के प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि 'अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा'। उनका यह काव्य कथन सच हो गया और कमल देशभर में खिल गया। बात भले ही पुरानी हो गई हो लेकिन, वर्तमान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लिए अटल जी का यह कथन आज भी प्रासंगिक है। क्योंकि आगामी लोकसभा चुनाव में पुनः एक बार राष्ट्रीय स्तर पर कमल खिलाने की जिम्मेंदारी उन्हीं के कंधों पर है और वह यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि राजनीति के रण में सेनापति के लिए बहुत जरूरी होता है अपने घर को एकजुट रखे। इसलिए अमित शाह ने राज्यों की राजधानी में पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक करने के बजाय छोटे-छोटे जिलों में जाकर सीधे कार्यकर्ताओं व आम जनता से संवाद का निश्चय किया और शुरूआत की है उप्र के दो दिवसीय प्रवास से। मिर्जापुर के संगठन की बैठक के बाद अमित शाह आगामी लोकसभा चुनाव-2018 में विजय की व्यूह रचना करके लिए गुरूवार को आगरा में थे।

आगरा में शाह की बैठक में ब्रज, मेरठ, कानपुर व बुंदेलखंड के पार्टी पदाधिकारियों, संगठनमंत्रियों सहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की उपस्थिति से स्पष्ट है कि भाजपा जहां एक ओर अपनी तरफ से 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। वहीं बिखरे से अनबिखरे का प्रदर्शन कर रहे विपक्ष को कोई मौका भी नहीं देना चाहती। आगरा की बैठक में इस बात की रणनीति बनाई गई कि भले ही विपक्ष एकजुट हो लेकिन, शीर्ष से लेकर बूथ तक का कार्यकर्ता चुनाव से पहले हर स्तर पर विपक्षी हमले का मुकाबला करने के लिए तैयार हो। वैसे भी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पंचायत से लेकर नगरपालिका चुनाव होते हुए संसद तक हर चुनाव का संचालन अपने हाथ में रखते हैं और आगरा में आईटी के कार्यकर्ताओं को उन्होंने इस बात का भी मंत्र दिया कि सोशल मीडिया के माध्यम से कार्यकर्ता ना केवल केंद्र सरकार की योजनाओं का प्रसार जनसामान्य में करें बल्कि विपक्ष की ओर से फैलाए जा रहे दुष्प्रचार का तत्काल जवाब भी दें।

हाल के दिनों में फूलपुर और गोरखपुर की सीट पर हुए लोकसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद भाजपा इससे विचलित नहीं लग रही और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर महीने उप्र में दौरे की योजना बनाई गई है। इस दौरे में प्रधानमंत्री भी ना केवल रैली करेंगे बल्कि, कार्यकर्ताओं से भी संवाद करेंगे। अमित शाह और नरेंद्र मोदी की कार्य प्रणाली को जो लोग करीब से जानते हैं, वो इनके परिश्रम क्षमता को अवश्य जानते होंगे। दूरगामी सोच और कठोर अनुशासन इनके कार्य पद्धति का हिस्सा है। दोनों ही एक सामान्य कार्यकर्ता से शुरू करके सर्वोच्चता तक पहुंचे हैं। संगठन की बुनियादी समझ के मामले में दोनों ही निपुण हैं। संभवतः इसलिए उप्र में भाजपा के 73 सांसद और 325 विधायक हैं और पार्टी अध्यक्ष का पूरा ध्यान प्रदेश में इस राजनीतिक दबदबे को बनाए रखने का है। खुद अमित शाह ने आगरा में कहा भी था कि अगर हम केंद्र में मजबूत सरकार दे पा रहे तों, इसके पीछे उप्र की जनता की शक्ति है। 2019 में अगर भाजपा उप्र में अच्छा कर पाती है तो यह भाजपा को उसी स्वर्णकाल की तरफ ले जाएगा, जिस लक्ष्य को अमित शाह साधे हुए बैठे हैं। वैसे भी पिछले कई दशकों में जिस तरह से उप्र के अलावा देश के अन्य राज्यों में तुष्टिकरण ने जो छिछली राजनीतिक हदें पार की हैं, उससे जनता ने भाजपा को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा है। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि वर्तमान में भारतीय राजनीति में मोदी के सामने खड़ा होने वाला कोई दूसरा चेहरा दूर-दूर तक नहीं है। इसके पीछे कुछ और कारण नहीं बल्कि खुद नरेंद्र मोदी का विराट व्यक्तित्व और विपक्ष की मुद्दों को लेकर नासमझी ही है। आगरा में हुए प्रबुद्ध सम्मेलन में नरेंद्र मोदी नहीं थे लेकिन, उनके नाम पर जिस तरह से सम्मेलन में चिकित्सक, शिक्षक, उद्यमी व सामाजिक कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ी, उससे विपक्षी राजनीतिक दल भी यह जान चुके होंगे कि मोदी लकीर काटकर छोटी करने की बजाय बड़ी लकीर खड़ी करने में यकीन रखते हैं और प्रोपगंडा बनाम परफोर्मेंस की लड़ाई में मोदी की परफोर्मेंस उन्हें उन राजनीतिक सिद्धांतों का स्मरण कराती रहेगी, जो शत्रुतापूर्ण व्यवहार की बजाय नैतिक मूल्यों पर आधारित हैं।

ब्रजक्षेत्र पर खासा ध्यान

भाजपा के लिए उप्र को खास है ही। साथ ही प्रदेश का सांस्कृतिक व औद्यौगिक क्षेत्र ब्रजअंचल पर भी पार्टी खासा ध्यान दे रही है। ब्रज क्षेत्र की 13 लोकसभा सीटों में मैनपुरी, फीरोजाबाद और बंदायू को छोड़कर 10 सांसद हैं और 65 विधानसभाओं में से 57 पर उसके विधायक हैं। अमित शाह ने 5 जुलाई को बैठक में विस्तारकों से कम से कम 15 सदस्य बनाने की अपेक्षा जताई और कहा कि शहरी क्षेत्र का विस्तारक अपने बूथ पर कम से कम एक दिन और ग्रामीण क्षेत्र का विस्तारक तीन दिन अपने बूथ पर जरूर बिताये। ब्रजक्षेत्र वैसे भी मिश्रित-बहुधा दलित, अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र है और जाटों की उपस्थिति उसे राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम बनाती है। हाल ही में भजपा ने क्षेत्रों के अध्यक्ष बदले हैं और ब्रजक्षेत्र संगठनमंत्री का कार्यविस्तार किया है। पार्टी अध्यक्ष की योजना जमीनी स्तर पर तैयारियों का जायजा लेना, अभी तक हुए राजनीतिक प्रयासों का आकलन करना तथा संभावित तैयारियों की जमीन तैयार करना है।

मिशन-2019 को पूरा करने में चुनौतियां भी हैं

केन्द्र सरकार के चार साल पूरा होने के बाद आगरा में प्रबुद्ध सम्मेलन को संबोधित करते अमित शाह ने जिस तरह से महागठबंधन पर हमले किए और उनके द्वारा लगाए गए प्रश्न चिन्हों का उत्तर दिया, उससे स्पष्ट है कि 2019 को लेकर कुछ चुनौतियां हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कि अभी चुनाव होने में एक साल का समय है और तब तक भाजपा इन कमियों को दूर कर लेगी और नवंबर-दिसंबर के बाद हालात में तेजी से सकारात्मक बदलाव आने लगेगा।

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