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करोड़ों की जमीन पर कब्जे के मामले में फ रार एसओ गिरफ्तार
जमीन कब्जाने को फर्जी मुदकमा दर्ज करने का है आरोप थाना जगदीशपुरा क्षेत्र में करोड़ों की जमीन कब्जाने के मामले में पुलिस ने आरोपी एसओ जितेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। एसओजी सिटी, सर्विलांस और थाना पुलिस ने यह गिरफ्तारी की है। आरोपी तत्कालीन एसओ जितेंद्र कुमार पर जमीन कब्जे में साथ देने के आरोप लगे थे। आरोपी एसओ फरार थे और उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही थी। बताया जाता है कि पूछताछ में पुलिस को कई अहम जानकारी मिली है। मामले में डीसीपी सिटी के निर्देश में एसआईटी जांच कर रही है। पुलिस ने आरोपी एसओ को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया है।
बता दें कि बैनारा फैक्ट्री के पास बीएस कॉम्प्लेक्स के नजदीक बोदला निवासी उमा देवी की चार बीघा जमीन है। जमीन की कीमत करोड़ों में है। उन्होंने डीजीपी को शिकायत की कि उनके ससुर सरदार टहल सिंह के नाम से चार बीघा जमीन है। ससुर टहल सिंह और पति सरदार जसवीर सिंह का निधन हो चुका है। जमीन उनके कब्जे में थी। उन्होंने जमीन की देखरेख के लिए रवि कुशवाह और उनके भाई शंकरलाल कुशवाह को रख दिया था। यहां 35 वर्ष से दोनों परिवार रह रहे थे। करोड़ों की जमीन पर उनका नेमचंद जैन से विवाद चल रहा था। आरोप है कि जगदीशपुरा पुलिस के साथ मिलकर नेमचंद जैन और उनके साथ जमीन कब्जाने का काम करने वाले लोगों ने साजिश रची। इसके तहत पहला मुकदमा 26 अगस्त 2023 को रवि कुशवाह, शंकरलाल उर्फ शंकरिया और जटपुरा निवासी ओम प्रकाश पर गांजा बिक्री करने का मुकदमा दर्ज करते हुए वाहन सहित गांजा बरामद किया गया और तीनों को जेल भेज दिया। जिस वाहन को जब्त दिखाया गया उसकी नंबर प्लेट फर्जी बताई गई। उसी जगह पर नौ अक्टूबर को आबकारी निरीक्षक ने छापा मारा। मौके से रवि की पत्नी पूनम और बहन पुष्पा और फुरकान को पकड़ा गया। आबकारी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर तीनों को जेल भेज दिया। इससे चार बीघा जमीन खाली हो गई। रातों रात जमीन पर कब्जा कर लिया गया। टूटी बाउंड्रीवाल बना दी गई। सीसीटीवी लगाने के साथ ही सिक्योरिटी गार्ड भी तैनात कर दिए गए। इस पूरे मामले की शिकायत उमा देवी ने जीडीपी कार्यालय में की।सीओ स्तर के अधिकारियों ने जांच की, जांच करने के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। मामला गर्माने पर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ने डीसीपी सिटी से रिपोर्ट मांगी। डीसीपी सिटी ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन जगदीशपुरा एसओ जितेंद्र कुमार, मुख्य आरक्षी उपेंद्र मिश्रा, शिवराज सिंह और आरक्षी रविकांत व एसआई विकास कुमार को दोषी माना।