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डुबकी तो छोड़िए, छूने लायक भी नहीं है यमुना का पानी
आगरा। छठ पर्व पर आज श्रद्धालु यमुना नदी में पूजन के लिए काफी संख्या में पहुंचेंगे पर यमुना नदी में प्रदूषण के कारण डुबकी लगाना तो छोड़िए, पानी छूने लायक भी नहीं है। नदी में जलस्तर कम होने और प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाने के कारण पानी काला और बदबूदार हो गया है। शहर में ही कैलाश से लेकर ताजमहल के बीच 91 में से 61 नालों के जरिए 150 एमएलडी सीवेज नदी में पहुंच रहा है। सबसे ज्यादा प्रदूषण ताजमहल के पास दशहरा घाट पर है, जहां मंटोला नाला और महावीर नाले के जरिये सबसे ज्यादा गंदगी और सीवर पहुंच रहा है।
उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक अक्टूबर माह में आगरा में तीन जगह से यमुना जल का सैंपल लिया गया, जिसमें सबसे ज्यादा प्रदूषण ताजमहल के पास मिला। हैरतअंगेज रूप से मथुरा में कॉलिफार्म की संख्या 70 हजार प्रति लीटर है और आगरा में महज 14 हजार, जबकि ताजमहल के पास यमुना का जलस्तर मथुरा के मुकाबले कम है। बोर्ड के आंकड़े एनजीटी में इस मामले के याचिकाकर्ताओं को चौंका रहे हैं। फिरोजाबाद में भी टोटल कॉलिफार्म की संख्या 43 हजार के पार है, लेकिन मथुरा और फिरोजाबाद के बीच आगरा में यमुना में इन दोनों शहरों के मुकाबले कॉलिफार्म कम दिखाए गए हैं।
फर्जीवाड़े से यमुना की है ऐसी हालत
एनजीटी याचिकाकर्ता डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में यमुना जल में न केवल कुल कॉलिफॉर्म, बल्कि फीकल कॉलिफॉर्म की संख्या ज्यादा है, लेकिन नगर निगम ने एनजीटी में किसी लैब से यमुना जल के ऐसे सैंपल पेश किए हैं, जो बोतलबंद मिनरल वाटर से भी बढ़िया दिखाए गए हैं। ऐसे फर्जीवाड़े के कारण ही यमुना की ऐसी हालत है।
पूरी तरह बर्बाद कर चुके हैं अधिकारी
एनजीटी याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि हवा तो हवा, यमुना नदी को भी अधिकारी पूरी तरह से बर्बाद कर चुके हैं। फर्जी रिपोर्ट से न तो शहर का भला होगा, न नदी का। गंभीरता से यमुना नदी को साफ करने, सीवेज गिरने से रोकने के उपाय करने होंगे। यमुना साफ होगी तो दूरी मिटेगी।