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परामर्श केंद्र से मिटा रहीं घरों की कलह इंस्पेक्टर अलका सिंह
♦ एक वर्ष में कराई 509 परिवारों में सुलह
♦ उपलब्धि परमुख्यमंत्री ने किया था सम्मानित
आगरा। 18 वर्ष पहले खाकी वर्दी पहनते समय अपराधमुक्त समाज बनाने की कसम खाई थी। बड़े-बड़े बदमाश खौफ खाने लगे। मगर, अब अहम में टूटते घरों और बिखरते समाज की सच्चाई देखी तो मकसद की दिशा बदल ली। एक वर्ष में परिवार परामर्श केंद्र में तैनाती के दौरान 509 परिवारों में सुलह कराई। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री ने सम्मानित भी किया।
बता दें कि मुरादाबाद निवासी अलका सिंह वर्ष 2000 में सब इंस्पेक्टर बन गईं। मुजफ्फरनगर में छह वर्ष तैनाती के बाद मेरठ में पहली बार महिला थाना का चार्ज मिला। वर्ष 2008 में उन्हें मेरठ के अतिसंवेदनशील थाना लालकुर्ती का प्रभारी बनाया गया। रालोद नेत्री के पति की हत्या के दो वर्ष पुराने कंकरखेड़ा थाने के मुकदमे का पर्दाफाश किया। इसमें नामजद अभियुक्त जेल जा चुके हैं। बुर्का पहनकर असली शार्प शूटर को रेलवे स्टेशन से दबोचा था। मेरठ में ही वर्ष 2011 से 2012 तक नौचंदी में तैनाती के दौरान आइसीआइसीआइ बैंक से छह लाख की चोरी में आरोपित गार्ड को गिरफ्तार कर सौ फीसद बरामदगी कर वाह-वाही बटोरी। अलका सिंह इंस्पेक्टर के रूप में नवंबर 2016 में आगरा आईं। यहां पहले आइजीआरएस में काम किया। आठ जनवरी 2018 को उन्हें परिवार परामर्श केंद्र का प्रभारी बना दिया। यहां उस समय 1939 मामले लंबित थे। उन्होंने सप्ताह में एक दिन (रविवार को) दोनों पक्षों को बुलाकर परिवार के झगड़ों की जड़ समझी। खुद भी काउंसिलिंग करने लगीं। इसका नतीजा यह रहा कि मामलों के निस्तारण की गति बढ़ती गई। एक वर्ष में 509 परिवारों में समझौते करा दिए। सामाजिक विघटन के इस दौर में परिवारों के जोडने के काम को देखते हुए एसएसपी अमित पाठक ने उनका नाम सीएम मेडल के लिए प्रस्तावित किया। पिछले माह अलका सिंह को मुख्यमंत्री ने उत्कृष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया। अलका सिंह कहती हैं कि परिवार की कलह मिटाकर उन्हें सुकून मिलता है।