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यमुना में धड़ल्ले से गिर रहे हैं नाले
आगरा। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के दिशा-निर्देश हैं। अरबों रुपये खर्च किए जा चुके यमुना को साफ रखने के नाम पर। उसके बावजूद हाल वही है। आज भी नाले सीधे नदी में गिर रहे हैं। दयालबाग हो या फिर धांधूपुरा एसटीपी। यहां मौका मिलते ही एसटीपी में आने वाले सीवर को ट्रीट किए बिना यमुना में छोड़ दिया जाता है। दस्तावेजों में कोरम पूरा किया जा रहा है। इसकी कई बार पोल खुल चुकी है। कार्रवाई करने के बदले मामले को दबा दिया जाता है।
बता दें कि शहर में दर्जनभर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं। इनका संचालन जल निगम द्वारा किया जाता है। नगर निगम जल निगम को हर साल करीब 23 करोड़ रुपये का भुगतान करती है, जिससे एसटीपी सही तरीके से चलें और यमुना में गंदा पानी न जाए। स्थिति कुछ और ही है। शहर में 92 नाले हैं। 60 नाले अभी तक टेप नहीं हुए हैं। यानी यह सभी नाले सीधे यमुना में गिर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार दयालबाग और धांधूपरा एसटीपी को आए दिन बंद कर दिया जाता है और गंदे पानी को सीधे यमुना में छोड़ दिया जाता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर गठित कमेटी पांच दिसंबर 2018 को आगरा आई थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष एसपी सिंह ने धांधूपुरा एसटीपी का निरीक्षण किया था। संचालन सही तरीके से न होने पर उन्होंने नाराजगी जताई थी। उधर, निरीक्षक के नाम पर जल निगम और नगर निगम के अफसर रस्म अदायगी कर रहे हैं। यमुना में गंदा पानी छोडने के बाद भी इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है।