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काहे रोकत डगर नंदलाल मोरे...
आगरा। टुकड़े, परने, ठुमरी, तराना जैसे कथक नृत्य की सतरंगी विधाओं को खुद में पिरोए हुए था रंग विविधा। जहां कथक पर आधारित सूरदास के पदों पर भाव नृत्य था तो दूसरी ओर राग पर आधारित बसंत नृत्य। कला और नृत्य के विभिन्न रंगों से सजे रंग विविधा कार्यक्रम का आयोजन खंदारी स्थित जेपी सभागार में ललित कला संस्थान एवं नृत्य ज्योति कथक केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।
शुभारम्भ कुलपति डॉ. अरविन्द कुमार दीक्षित, ब्रह्म कुमारी आगरा सबजोन की सचिव बीके अश्विना बहन ने किया। कार्यक्रम में नृत्य ज्योति कथक केन्द्र की छात्राओं ने गणपति गजमुख मंडल... गणेश वंदना प्रस्तुत की। नृत्य ज्योति कथक केन्द्र की निदेशक ज्योति खंडेलवाल ने कथक केन्द्र के 10 वर्ष पूर्ण होने पर सफरनामा प्रस्तुत किया। पारम्परिक कथक के तहत छात्राओं ने ठाठ, परने व टुकड़े पर मनमोहक प्रस्तुति दी। काहे रोकत डगर नंदलाल मोरे... ठुमरी पर प्रस्तुत भावनृत्य ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ पत्रकार ब्रज खंडेलवाल, पद्मिनी अय्यर व ज्योति खंडेलवाल ने किया। संचालन देव शर्मा व श्रुति सिन्हा व धन्यवाद ज्ञापन ललित कला संस्थान की निदेशक विनीता सिंह ने दिया। वहीं कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार ब्रज खंडेलवाल, पर्यावरणविद् श्रवण कुमार, देव शर्मा, गोपाल नारायण शिवहरे, स्व. जितेन्द्र रघुवंशी की धर्मपत्नी भावना रघुवंशी को सम्मानित किया गया।