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फीस बढ़ोतरी पर विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्रों का हंगामा
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आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में बुधवार को कुलपति कार्यालय के सामने पीएचडी के विद्यार्थियों ने जमकर हंगामा किया। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय ने अचानक से रिसर्च डेवलपमेंट कमेटी (आरडीसी)ने स्नॉपसिस की फीस में बढ़ोतरी कर दी है। अब तक आरडीसी में 600 रुपये फीस ली जाती थी। जिसे विवि ने बढ़ाकर 11000 कर दिया है। जब तक विश्वविद्यालय इस निर्णय को वापस नहीं लेगा, तब तक हम अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।
विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों में 2021-22 सत्र के करीब 700 विद्यार्थी पीएचडी कर रहे हैं। इन लोगों ने बुधवार को छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष गौरव शर्मा के साथ कुलपति कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय ने बिना किसी सूचना के अचानक से आरडीसी में स्नोपसिस की फीस में बढ़ोतरी कर दी है। कॉलेज और अन्य खर्चे मिलाकर अब तक विश्वविद्यालय हमसे 29500 जमा करा चुका है। जबकि लखनऊ में पीएचडी करने में मात्र 14000 खर्च होते हैं। विश्वविद्यालय ने कहा था कि हम अन्य प्राइवेट कॉलेज से काफी कम दामों में पीएचडी करा रहे हैं, लेकिन अब विश्वविद्यालय अनावश्यक रूप से फीस बढ़ोतरी कर वसूली कर रहा है। वहीं प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं ने आरोप लगाया कि जब कुलपति से पिछली बार इस संबंध में हमने मुलाकात की तो वह हमारे कपड़ों पर तंज कसने लगीं। उन्होंने कहा कि आप लोग इतनी बढ़िया शर्ट पहनकर और पेन लगाकर घूम रहे हैं। आप लोगों को बढ़ी हुई फीस में कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिए। आप लोग फीस भरने में सक्षम हैं। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष गौरव शर्मा ने बताया कि सत्र 2021-22 के विद्यार्थियों के ऊपर 10000 की फीस थोप दी है। जबकि मैं 2018 वर्ष का पीएचडी छात्र हूं। मैंने स्नोपसिस की 600 फीस दी थी। कुलपति से जब इस बारे में बात की गई, तो उन्होंने कह दिया गया कि आपकी फीस कम नहीं की जाएगी। वहीं विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारी बात करने आए तो सभी छात्र-छात्राओं का नाम मांग रहे थे। हमने नाम इसलिए लिख कर नहीं दिए, क्योंकि पहले जब विद्यार्थियों ने प्रदर्शन किया तो विश्वविद्यालय ने उनका एडमिशन निरस्त कर दिया था। वहीं इस मामले पर विवि की कुलपति प्रोफेसर आशू रानी ने कहा कि पिछले करीब 50 सालों से शोध की फीस नहीं बढ़ाई गई है। विश्वविद्यालय द्वारा देखा गया कि शोध के लिए सुविधाएं कम हैं और जिस तरह से विद्यार्थियों की शोध प्रक्रिया चल रही है, वह अन्य विश्वविद्यालयों की अपेक्षा बेहतर नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत और यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार हमें अपने विश्वविद्यालय में शोध के स्तर को बढ़ाने के लिए कई तकनीकी फेरबदल किए जा रहे हैं। पीएचडी के जो नए छात्र हैं, उनकी फीस में बढ़ोतरी की गई है।
जबकि पुराने छात्रों की फीस पुरानी गाइडलाइन के अनुसार है। उन्होंने बताया कि तमाम छात्र-छात्राएं ऐसे हैं, जिन्होंने नई प्रक्रिया का विरोध नहीं किया। वह लोग इसी प्रक्रिया के तहत शोध जारी रखना चाहते हैं। उन लोगों के रजिस्ट्रेशन फॉर्म भी भरे जा चुके हैं।