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कुछ मामलों को लेकर वैश्विक स्तर एक समान कानून संहिता होनी चाहिए
आगरा/स्वदेश वेब डेस्क। भारत में आयोजित हो रहे विश्व में मुख्य न्यायाधीशों के 19 वेें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभाग करने के लिए विभिन्न देशों न्यायाधीश व पूर्व राष्ट्र प्रमुखों ने सम्मेलन से पूर्व बुधवार को आगरा में ताजमहल का भ्रमण किया। भारत की स्थापत्य व सांस्कृति धरोहरों से अभिभूत प्रतिनिधिमंडल ने भारत की न्यायायिक प्रक्रिया की प्रशंसा की। प्रतिनिधिमंडल में शामिल माॅरिशस की पूर्व राष्ट्रपति अमीनाह गुरीब-फाकिम व अमेरिका के इक्वाडोर स्थित राष्ट्रीय न्यायालय की न्यायाधीश मारिया टेरेसा डेलगाडो ने स्वदेश से अपने विचार साझा किए और कुछ मामलों में वैश्विक स्तर पर एक समान कानून संहिता होने की बात कही।
बाल अधिकारों का हनन रोकना बेहद जरूरी
वह समाज सभ्य कैसे हो सकता है जो अपने बच्चों का बचपन छीनकर उनके अधिकारों का हनन करता हो। इसलिए अब समय आ गया है जब हम वैश्विक स्तर पर बाल अधिकारों को मजबूती देते हुए बच्चों के बचपन को बनाने की दिशा में काम करें। यह कहना है माॅरीशस की पूर्व राष्ट्रपति अमीनाह गुरीब-फाकिम का। स्वदेश से वार्ता में उन्होंने कहा कि हम भारत में आयोजित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 19 वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बाल अधिकारों पर चर्चा करेंगे और एक ठोस योजना के साथ भारत की भूमि से बालकों के अधिकारों पर विश्व को संदेश देंगे। उन्होंने कहा कि आज कानून के कई प्रावधानों में बदलाव आवश्यक है। वहीं उन्होंने कहा भारत को विश्व में पहचान हिन्दी के कारण मिल रही है। वह खुद भी हिन्दी बोलतीं हैं। उन्होंने कहा कि माॅरीशस को पूरा हिन्दी और भारतीय संस्कृति से प्रभावित है। वहां पर भारतीय पर्व और त्यौहारों पर विशेष कार्यक्रम होते हैं।
भारत की न्यायिक प्रक्रिया बहुत मजबूत है और हम उसका सम्मान करते हैं
आगरा भ्रमण पर आयीं अमेरिका के इक्वाडोर स्थित राष्ट्रीय न्यायालय की न्यायाधीश मारिया टेरेसा डेलगाडो ने स्वदेश से वार्ता में कहा कि कानून प्रक्रिया को लेकर विश्व के कई देशों में बहुत सी जटिलताएं हैं। किसी भी देश में कानूनी प्रक्र्रिया और काूनन के बारे में लोगों को जानकारी होना जरूरी है, जोकि बहुत कम लोगों को है। बहुत से कानून जटिल हैं। उनका सरलीकरण कैसे किया जा सकता है। इस दिशा में व्यापक बहस के बाद कदम उठाना चाहिए। मारिया टेरेसा डेलगाडो ने कहा कि उन्होंने इस दिशा में शोध भी किया है और अनुभव भी किया है कि कुछ मामलों को लेकर विश्व में एक समान कानून संहिता बननी चाहिए। कम से कम दो पडोसी देशों को लेकर इस दिशा में पहल करनी चाहिए। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि आज वैश्विक स्तर पर लोगों में सहन शक्ति कम हो रही है। ऐसे में लोगों को न्याय दिलाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की न्यायिक प्रक्रिया बहुत मजबूत है और हम उसका सम्मान करते हैं।