रंगेहाथों रिश्वत लेते पकड़े गए लेखपाल

रंगेहाथों रिश्वत लेते पकड़े गए लेखपाल
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पुत्र ने तहसील परिसर में किया हाईवोल्टेज ड्रामा

आगरा। ताजगंज के एक होटल से बुधवार शाम 10 लाख रुपये घूस लेकर सदर तहसील पहुंचे लेखपाल को युवकों ने घेर लिया। पुलिस के पहुंचते ही लेखपाल भाग निकला। कुछ देर बाद रिश्वतखोर लेखपाल का बेटा गाड़ी लेने आया। पुलिस को अपनी दलील देने लगा। करीब तीन घंटे तक मामला चलता रहा, इसके बाद पुलिस क्रेन से कार को उठवाकर थाने ले गई और आरोपित लेखपाल भीमसेन विरुद्ध शाहगंज थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। वहीं इस मामले में दहशतजदा शिकायकर्ता ने अपनी तहरीर वापस लेने का प्रार्थना पत्र पुलिस को दिया है।

घटना शाम साढ़े पांच बजे की है। डायल 112 को बमरौली कटारा निवासी उमेश राना और हरभजन ने फोन कर सूचना दी कि उनकी जमीन के दस्तावेजों में हेरफेर के लिए लेखपाल भीमसेन 10 लाख रुपये की रिश्वत लेकर तहसील पहुंचा है। कार में 10 लाख रुपये रखे हैं। यह रकम ताजगंज के एक होटल में ली गई है। हमने कार को तहसील परिसर में रोक लिया है। इसके बाद डायल 112 पुलिस और शाहगंज थाना पुलिस पहुंच गई। पुलिस के पहुंचते ही लेखपाल भीमसेन वहां से गाड़ी छोड़कर भाग गया। इसके बाद एंटी करप्शन और विजिलेंस को भी सूचना दी गई। इसके बाद एसडीएम सदर नवोदिता शर्मा और एसीपी लोहामंडी मयंक तिवारी पहुंच गए। लेखपाल को बुलाने के प्रयास चलते रहे, लेकिन वह नहीं पहुंचा। उमेश राना ने पुलिस को बताया, बमरौली कटारा के रहने वाले तीन भाई है। इनमें से एक भाई राजस्थान में रहता है। गांव में रहने वाले दो भाई उसका नाम दस्तावेजों से हटवाना चाहते हैं। इसके लिए लेखपाल ने 10 लाख रुपये में सौदा किया था।

ताजगंज के होटल में मीटिंग में लेखपाल ने 10 लाख रुपये लिए। वहां से कार में पैसे रखकर तहसील आ गया। उमेश ने बताया कि अपने मित्र हरभजन के साथ होटल आया था। वहां इसकी जानकारी हुई। उमेश होटल में पहले काम कर चुके हैं। घूस की रकम उसने अपने हाथ से कार में रखी थी। इसके बाद घूसखोर लेखपाल को पकड़वाने का तय किया। इस मामले में डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया लेखपाल के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

तहसील पहुंचा लेखपाल का बेटा, बोला मेरे हैं पैसे

यह अकेले ऐसे एक लेखपाल नहीं हैं ऐसे अनेकों लेखपाल हैं। अधिकतर लेखपालों को तहसीलदार, एसडीएम, अपर जिलाधिकारी तथा जिलाधिकारी तक का संरक्षण प्राप्त होता है। लेखपालों के खिलाफ आए दिन शिकायत होती रहती हैं, लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। इसी कारण इनके हौसले बढ़े रहते हैं। आम आदमी से यह ढ़ग से बात नहीं करते। वह तो यह शिकायतकर्ता इतना योग्य और सामर्थ्यवान था कि उसने लेखपाल को रिश्वत देने के प्रमाण जुटाकर रिश्वत ली गई रकम बड़ी ही चतुराई उसके सहित गिरफ्तार कराने की व्यूह रचना कर ली। यह संयोग ही रहा कि मौके से लेखपाल सबको चकमा देकर भाग गया। इतने पर भी उसके द्वारा अपना लड़का भेजकर रकम को उसकी बताने का दावा करवा दिया। लेखपाल का लड़का इतनी हिम्मत क्यों कर सका यह भी एक विचारणीय प्रश्न है क्योंकि लेखपालों को नीचे से ऊपर तक संरक्षण मिला होता है। लेखपालों के द्वारा समय समय पर सभी को नजराना दिया जाता है। इस मामले में भी कुछ नहीं होता पकड़ी गई रकम लेखपाल के बेटे की दिखाकर लेखपाल को साफ बचा दिया जाता, लेकिन इस मामले में शिकायतकर्ता ने रिश्वत देने के भी अकाट्य प्रमाण जुटा रखे थे। जिसकी वजह से कार्रवाई हो सकी। लेखपाल का जो लड़का रिश्वत की इस रकम को अपनी बता रहा है उसके खिलाफ भी तत्काल कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए। जो लेखपाल के कार को तहसील में छोड़कर जाने के बाद वहां पहुंच गया। पुत्र का कहना था कि रकम उसकी है। वहीं शिकायतकर्ता उमेश राना का कहना है कि पुलिस होटल और तहसील में लगे सीसीटीवी चेक करा ले। इससे सच सामने आ जाएगा। पुलिस जांच की बात कहकर कार ले गई।

तहसील सदर में 22 वर्षों से जमे हुए हैं लेखपाल भीमसेन

शासन की पॉलिसी के अनुसार एक तहसील में लेखपाल अधिकतम 10 वर्ष से अधिक समय कार्यक्षेत्र पर नहीं रह सकता हैं, लेकिन तहसील सदर में लेखपाल 10 वर्षों से अधिक समय से अपना वर्चस्व राजनीतिक संरक्षण के चलते जमाए हुए है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तहसील सदर में लेखपाल शैलेंद्र कुमार, राजकुमार, अतुल कुमार, रघुराज सिंह, महेंद्र सिंह, अजीत सिंह, गजेंद्र राना, वीरेंद्र दीक्षित, हीरा सिंह, प्रताप सिंह व अन्य 10 वर्ष से अधिक समय से जमे हुए है। इस बीच कई बार इन लेखपालों का स्थानांतरण हुआ, लेकिन हर बार राजनीतिक संरक्षण के चलते तहसील में ही डटे हुए है। वहीं आरोपित रिश्वतखोर लेखपाल चौधरी भीमसेन तहसील सदर में करीब 22 वर्षों से तैनात है और तहसील में अपनी राजनीतिक रसूख के चलते हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। सूत्रों ने बताया कि आरोपित लेखपाल का एक महाविद्यालय और एक कोल्ड स्टोरेज भी है। इस मामले में उप जिलाधिकारी नवोदिता शर्मा ने बताया कि 10 वर्षों से अधिक तहसील में जमे सभी लेखपालों का शासन के निर्देशानुसार स्थानांतरण सुनिश्चित करने को सूची तैयार की जायेगी।

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