...तो अयोध्या की हार का बदला मिल्कीपुर में लेंगे योगी: बीजेपी के लिए करो या मरो की स्थिति में है मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव, सपा पर भारी पड़ता दिख रहा परिवारवाद…
कुंवर समीर शाही, अयोध्या। बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा बनी फैज़ाबाद लोकसभा की मिल्कीपुर सीट पर उप चुनाव के तिथि की घोषणा के बाद अब बीजेपी के जिताऊ प्रत्याशी के बारे में कयासों का दौर तेज हो गया है। निर्वाचन आयोग से उपचुनाव की घोषणा के साथ ही सभी दलों के उम्मीदवारों ने मेल-मुलाकात का सिलसिला भी बढ़ा दिया है।
उप चुनाव के लिए भारी संख्या में दावेदार क्षेत्रीय स्तर पर जनता के बीच में चर्चा में बने हुए है। भाजपा इस हॉट सीट को किसी भी स्तर पर खोना नही चाहती है। शायद इसीलिए प्रत्याशियों की पकड़ को देख रही है। चुनाव के दावेदारों की बात करें तो सबसे अधिक दावेदार भाजपा से उस समय से अपने दमखम का प्रदर्शन कर रहे हैं।
अब उपचुनाव की घोषणा आयोग से मंगलवार को हो गई तो जनचर्चा में पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ ही एक नम्बर की दौड़ में हैं। चंद्रकेश रावत एवं चंद्रभान पासवान की भी चर्चा जनता के बीच में हैं।
लोकसभा चुनाव में सपा की जीत से देश-विदेश तक भाजपा की किरकिरी हुई। हतोत्साहित कार्यकर्ताओं में मुख्यमंत्री योगी के चर्चित नारे 'बंटोगे तो कटोगे' से उत्साह का संचार हुआ। कटेहरी में नेता लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को टिकट देना सपा की हार का कारण बना था। मिल्कीपुर में चुनाव की घोषणा भेल ही मंगलवार को हुई है, जबकि भाजपा समेत सभी दल मुकम्मल तैयारी कर चुके है।
मिल्कीपुर का उप चुनाव मुख्यमंत्री योगी की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव की भरपाई भाजपा उपचुनाव जीतकर करना चाह रही है। तभी मुख्यमंत्री योगी का मिल्कीपुर क्षेत्र में कार्यक्रम लगाना, विकास कार्यों की समीक्षा करना, सात मंत्रियों सूर्य प्रताप शाही, गिरीश चंद्र यादव, मयंकेश्वर शरण सिंह, सतीश शर्मा, स्वतंत्र देव सिंह, जेपीएस राठौर को जिम्मेदारी देना दर्शाता है कि भाजपा नाक पर मक्खी नहीं बैठने देना चाहती है।
4 जनवरी को मुख्यमंत्री ने ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच चुनाव जीतने का तरीका बताते हुए जन भावनाओं को समझने का प्रयास तो किया ही अल्पसंख्यकों को भी भाजपा से जोड़ने का संकेत दिया।
भाजपा में कई नए चेहरे तलाश रहे संभावना : बता दें कि चंद्रभान पासवान 2017 से ही टिकट के लिए दावेदारी पेश करते रहे हैं। चंद्रकेश रावत अमानीगंज से प्रमुख के पत्नी को चुनाव लड़ाने के साथ पूरी तरह सक्रिय हैं। बाबा गोरखनाथ निवर्तमान विधायक हैं। फिलहाल सभी दावा मजबूती के साथ पेश कर रहे हैं। चुनाव भले ही मिल्कीपुर के लिए है पर पढ़ा-लिखा एवं बुद्धिजीवी वर्ग में प्रत्याशियों की समीक्षा हो रही है।
समीक्षा में 2017 का चुनाव है, जिसमें गोरखनाथ बाबा 86,960 मत पाकर सपा के अवधेश प्रसाद से 30,264 वोटो से जीत हासिल किए थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में 9,00,567 वोट पाकर सपा के अवधेश प्रसाद से मात्र 13,342 वोटो से पराजित हुए थे। बसपा से प्रत्याशी मीरा देवी को मात्र 14,427 वोट प्राप्त हुए थे। सपा-कांग्रेस का समझौता था। इससे बसपा के वोटों का ध्रुवीकरण सपा की ओर और कांग्रेस का समर्थन सपा के अवधेश प्रसाद की जीत का कारण बना।
2017 के चुनाव से 2022 के चुनाव तक गोरखनाथ के वोटो में हुई बढ़ोतरी : राजनीति के विश्लेषकों का यह भी मानना है कि 2017 के चुनाव से 2022 के चुनाव तक गोरखनाथ बाबा के वोटो में बढ़ोतरी हुई। दूसरे यह कि लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह की हार को भी यदि देखा जाए तो मिल्कीपुर क्षेत्र में फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभाओं से सबसे कम मतों की हार थी। इसके आधार पर लोग गोरखनाथ के संभावित प्रत्याशी होने की अटकले लग रहे हैं।
सपा ने सांसद अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद को एवं बसपा रामगोपाल को पहले ही प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। कटेहरी में परिवारवाद को लेकर सपा कार्यकर्ताओं में जो असंतोष था उससे यदि सपा कुछ सीख मिली होगी तो यहां नया चेहरा सामने आ सकता है? अब चुनाव कार्यक्रम घोषित हो गया है तो सभी राजनीतिक पार्टियों के भी अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा होगी। अभी तक की जन चर्चा, कयासों और चुनावी विश्लेषकों तथा बुद्धिजीवी वर्ग के तर्क वितर्क पर आधारित है।